खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है. खेतों में उत्पादन बढ़ाने की आस में किसान जरूरत से अधिक रासायनिक, खरपतवारनाशक और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं जबकि किसान अपनी परम्परागत जैविक खाद और विधियों को भूलते जा रहे हैं.
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Pipalda: खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है. खेतों में उत्पादन बढ़ाने की आस में किसान जरूरत से अधिक रासायनिक, खरपतवारनाशक और कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं जबकि किसान अपनी परम्परागत जैविक खाद और विधियों को भूलते जा रहे हैं.
इसका नतीजा यह हो रहा है कि खाद्यान्न दूषित हो रहा है, वहीं जमीन की उर्वरा शक्ति में कमी आ रही है. इन दिनों खरीफ की फसल में सबसे अधिक दवाइयों का प्रयोग किया जा रहा है. कम समय में अधिक उत्पादन की खातिर इस होड़ में किसान अंधा-धुंध कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं. इससे खेत और भी खराब हो रहे है और फसल में भी इस जहर का असर हो रहा है.
खेतों में गत वर्षों से खरपतवार और कीटनाशक का अधिक प्रयोग
कृषि जिला विस्तार अधिकारी डॉ तनोज चौधरी ने बताया कि क्षेत्र के खेतों में गत वर्षों से खरपतवार और कीटनाशक का अधिक प्रयोग किया जा रहा है. इस कारण खेतों की मिट्टी दूषित होती जा रही है. जिले में रबी और खरीफ की सीजन में पिछले वर्षों से खपत लगातार बढ़ी है.
भारतीय किसान संघ कर रहा जागरूक
किसानों को भारतीय किसान संघ भी गांव गांव जागरूक कर रहा है. भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री जगदीश कलमण्डा ने बताया कि भूमि को सुपोषण उपजाऊ बनाने के लिए के लिए किसानों को गाय का पालन करना अनिवार्य है. गाय के गोबर, गोमूत्र और केंचुए से निर्मित केंचुए की खाद का उपयोग करने से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है. जिससे किसानों की फसलों की उत्पादकता में कमी नहीं आती है और पूर्ण रूप से जैविक उत्पादन तैयार होता है.
जैविक उत्पादों को खाने से लोगों को किसी प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती है क्योंकि बीमारियों की मुख्य जड़ रासायनिक युक्त पदार्थों सेवन है. जिससे मानव शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियां तो हो ही रही है, साथ-साथ हमारी भूमि की उपजाऊ क्षमता निरंतर घट रही हैं. उन्होंने कहा कि देश की कृषि भूमि को बचाने के लिए हमें परंपरागत खेती करना चाहिए.
हो रहा है काफी दुष्प्रभाव
रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों से फायदा कम है और नुकसान अधिक है. ऐसे में खेतों उर्वरा शक्ति कम होती है. जो खाद्यान्न उत्पादित होता है, उसके उपयोग से मनुष्य शरीर में भी प्रतिकूल प्रभाव होता है. इनके उपयोग से कैंसर समेत कई जानलेवा रोग होते हैं.
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इनका यह है कहना
यह सही है कि क्षेत्र में भी रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक की खपत लगातार बढ़ती जा रही है. किसानों को जैविक खेती की तरफ आना होगा लेकिन अधिकांश किसान जानकारी के अभाव में अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं. किसानों को चाहिए कि समय पर और कृषि विभाग की सलाह के अनुसार ही आदान का उपयोग करना चाहिए. अनावश्यक उपयोग से सभी तरह का नुकसान ही होता है. ऐसे में किसानों को सचेत रहना है.