करौली के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ आयोजन, 27 हजार से अधिक प्रकरण
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करौली के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ आयोजन, 27 हजार से अधिक प्रकरण

Karauli News: जिले के न्यायालयों में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया.जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में आयोजित लोक अदालतों में आपसी राजीनामा से प्रकरणों का निस्तारण कराया गया.लोक अदालतों में सुनवाई के लिए कुल 27 हजार से अधिक प्रकरण रखे गए.

करौली के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ आयोजन, 27 हजार से अधिक प्रकरण

Karauli News: करौली के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव और अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश बीना गुप्ता ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष एवं जिला एवं सेशन न्यायाधीश माधवी दिनकर के निर्देशन में करौली जिले के समस्त न्यायिक न्यायालयों,समस्त राजस्व न्यायालयों, जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग करौली श्रम विभाग करौली में सभी प्रकृति के लंबित व प्री-लिटिगेशन विवादों से संबंधित एक दिवसीय राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन ऑफलाइन व ऑनलाइन माध्यम से किया गया.

 राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए जिले में कुल 11 बैचों का गठन किया गया.करौली जिला मुख्यालय पर 4,सपोटरा,नादौती मुख्यालय पर एक-एक, तालुका मुख्यालय हिण्डौनसिटी में 2, श्रीमहावीरजी में 1 तथा टोडाभीम में 2 बैंच गठित की गई हैं.

लोक अदालत की बैंचों द्वारा पक्षकारों के मध्य समझौता वार्ता कर प्रकरणों का राजीनामा के आधार पर निस्तारण कराया गया.उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए पूरे करौली जिले में न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों में से 4034 प्रकरण चिन्हित किए गए हैं.

पक्षकार बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं

इसके साथ ही विभिन्न बैंकों एवं वितीय संस्थाओं से प्राप्त प्रलिटिगेशन के 23 हजार 371 प्रकरण भी शामिल हैं. इस प्रकार कुल 27 हजार 405 प्रकरण लोक अदालत में सुनवाई के लिए रखे गए.उन्होंने बताया कि ये राष्ट्रीय लोक अदालत किसी विषय विशेष के प्रकरणों के लिए सीमित न होकर सभी प्रकार के उपयुक्त प्रकरणों के लिए आयोजित की है.लोक अदालत में अधिवक्ता व पक्षकार बढ़चढ़ कर भाग ले रहे हैं.

अंतिम रूप से निस्तारण हो जाता है

अधिकारी,अधिवक्ता व पैरा लीगल वॉलेन्टियर्स द्वारा पक्षकारों से समझाईश  की गई.लोक अदालत के माध्यम से निस्तारित प्रकरणों में पूर्व में अदा किए गए न्याय शुल्क की वापसी का भी प्रावधान है.साथ ही लोक अदालत के जरिए निर्णित मुकदमों में अपील वर्जित होने से प्रकरण का अंतिम रूप से निस्तारण हो जाता है.

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