Karauli: घासीराम बाबा मंदिर! जहां का जल लगाने मात्र से लकवा रोगियों के ठीक होने की है मान्यता
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Karauli: घासीराम बाबा मंदिर! जहां का जल लगाने मात्र से लकवा रोगियों के ठीक होने की है मान्यता

Karauli News: करौली जिले की तहसील टोडाभीम के गांव खिरखिड़ी में स्थित घासीराम बाबा मंदिर का एक अनोखा ही इतिहास है. यहां टोडाभीम क्षेत्र ही नही बल्कि देश के कई प्रांतों से लोग बाबा के दर्शन को आते हैं और अपनी मन्नत मांगते हैं. 

 

Karauli: घासीराम बाबा मंदिर! जहां का जल लगाने मात्र से लकवा रोगियों के ठीक होने की है मान्यता

Karauli, Todabhim: करौली जिले की तहसील टोडाभीम के गांव खिरखिड़ी में स्थित घासीराम बाबा मंदिर का एक अनोखा ही इतिहास है. यहां टोडाभीम क्षेत्र ही नही बल्कि देश के कई प्रांतों से लोग बाबा के दर्शन को आते है और अपनी मन्नत मांगते हैं. वहीं यह जगह लकवा रोगियों के लिये भी वरदान साबित हो रही है. ऐसी मान्यता है कि यहां लकवे रोग से पीड़ित जो भी मरीज आता है. वह बाबा के चरणों का जल लगाने मात्र से ही ठीक हो जाता है.

इसके साथ ही रोगी को बाबा की समाधी की परिक्रमा करनी होती है. बताया जाता है कि घासीराम बाबा ने मेहंदीपुर बालाजी में हनुमान जी तथा करीरी घाटा में भैरव जी की स्थापना करवाई थी. जो आज विश्व में प्रसिद्ध है. मान्यता है कि आज भी 5 गांव में बाबा की असीम कृपा से फसल पर ओले नहीं पड़ते हैं. 

इसे ग्रामीण बाबा का चमत्कार मानते है. वैसे हर माह की पूनम तिथि के दिन भी घासीराम बाबा के मन्दिर पर भक्तों की खूब भीड़ उमड़ती है. जिससे मेले जैसा माहौल रहता है. इस दिन भक्तो को खीर की प्रसादी का वितरण किया जाता है. हालही में देवदास जी महाराज के द्वारा मंदिर की देखरेख और पूजा अर्चना की जिम्मेदारी है.

घासीराम बाबा का मंदिर टोडाभीम उपखण्ड मुख्यालय से लगभग 7 किलोमीटर की दुरी पर टोडाभीम गाजीपुर रोड के मध्य स्थित है. यहां अपने निजी वाहनों से ही पंहुचा जा सकता है. मेले के दौरन आवागमन के साधनों की वैल्पिक व्यवस्था रहती है.

घासीराम बाबा का इतिहास

घासीराम बाबा के जीवन चरित्र को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि बाबा आस-पास के गांव से भिक्षा लेकर 9 पट्टी पावटा गांव तक भिक्षा लेने और जन कल्यान के लिए जाया करते थे. इसी गांव के तत्कालीन सामंत राजा हटी सिंह जो बाबा के अनन्य भक्त भी थे. 1 दिन बाबा भिक्षा लेकर पावटा में राजा हटीसिंह के यहां पहुंच गए. राजा चौपड़ खेलने का आग्रह कर बैठे. बाबा ने समझाया हठीसिंह मे पहले भिक्षा ले आउ तब खेलेंगे. हटीसिंह ने कहा महाराज आपके इस पात्र को मैं यही भरवा दूंगा आज आप कहीं न जाए. 

बाबा चौपड़ पर बैठ गए और राजा हटीसिंह को मात देते रहे जब दोपहर से शाम होने लगी तब बाबा को अपनी भिक्षा का ध्यान आया. हटिसिंह ने नौकर को हुक्म सुनाया की बाबा के पात्र को आटे से भर दिया जाए. नौकर आटा लाकर उस पात्र में डालता रहा परंतु वह भरने में नहीं आ रहा था. नौकर ने राजा से फरियाद की महाराज पात्र भर ही नहीं रहा. राजा हटीसिंह ने महल का सारा आटा डलवा दिया पात्र तब भी नहीं भरा. तब सारे पावटा गांव के घरों का आटा उस पात्र में डाला गया. मगर तब भी वह पात्र नहीं भरा. 

तब राजा ने अपनी हार स्वीकार करते हुए घासीराम बाबा से कहा महाराज आप 8-10 घरों की थोड़ी-थोड़ी भिक्षा से इसे कैसे भर लेते हो. तब बाबा ने बताया कि भिक्षा देने वालों के मनों में आस्था होती है अभिमान नहीं. यही वजह है कि तुम इस पात्र को 6 माह के परिश्रम के बाद भी नहीं भर पाओगे.

बाबा ने अपना चमत्कार बताते हुए भिक्षा के पात्र को महल के चौक में खाली किया तो आटे के पहाड़ लग गए. जिसे बाबा के आदेश पर कदम खुंड़ी लाया गया. बताया जाता है कि साढ़े बारह मण् आटा निकला उसी आटे को भरा कर रखा दिया. जिसे रामनवमी पर पूरे आटे का प्रसाद बटवाया गया लेकिन आटा फिर भी बचा रहा. अगले दिन दशमी और एकादशी को उसे बांटा गया. उसी दिन से बाबा के यहां सालाना मेले का आयोजन किया जाता है और रामनवमी के दिन खीर पुए की प्रसादी भी बांटी जाती है.

घासीराम बाबा का लक्खी मेला

घासीराम बाबा का लक्खी मेला रामनवमी के शुभ अवसर लगाया जाता है जिसे देखेने के लिये टोडाभीम क्षेत्र सहित दूर दराज से हजारो की संख्या में लोग उमड़ते है. यहां कदम के पेड़ अधिक मात्रा में पाए जाते है जिसके लिए इसे कदमखुंडी के नाम से भी जाना जाता है. घासीराम बाबा के स्थान जोरवाल गोत्र के 5 गांव खिरखिडी, मन्डेरू, जोधपुर, मातासूला और पाडली के ग्रामीणों द्वारा कदम्बखुण्डी पर तीन दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. जिसमें पहले दिन श्री घासीराम बाबा के मन्दिर पर कदम्ब के उपर ध्वजा लहरायी जाती है और उस समय ढोल नगाडे बजाये जाते  और बंदूक तोप आदि चलाकर आतिशबाजी की जाती है. 

मेले के दौरान हर व्यक्ति के चहरे पर ख़ुशी देखी जाती है और एक महत्वपूणॆ बात यह है की मंदिर परिसर में ठाकुर जी का मन्दिर व एक बाबा की टोपी है. जिसमे स्वत ही बाल उगते है और इसी दिन वो बाल काटे जाते है. दूसरे दिन यहां पर विशाल कुश्ती दंगल आयोजित किया जाता है. जिसमें सभी क्षेत्र के पहलवानो के साथ साथ महुवा, कठूमर, पथैना, भरतपुर, नोठा हरियाणा, पंजाब, खेडली, धौलपुर एंव दूर दूर के पहलवान आपस में जोर आजमाते है और विजेता पहलवान को पांचो गांवों के पंच पटेलो द्वारा हजारो रुपयों की राशि इनाम के रूप में दी जाती है. 

दंगल को देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है. तीसरे दिन पांचो गांव के महिला पुरुष बच्चो सहित सभी ग्रामीण सामूहिक रूप से जयकारो और बंदूक तोपों के धमको के साथ घासीराम बाबा के मन्दिर की परिकृमा लगाते है. जिसे मिडाव कहा जाता है. इसके साथ मेले के दौरान घासीराम बाबा को खीर पुए की प्रसादी का भोग लगाने के बाद प्रसादी का वितरण किया जाता है.

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