किसान तेजपाल तंवर के भूमि स्वामित्व में दो हेक्टर में नवीन अनार का बगीचा इस वर्ष स्थापित किया है. कुल 2200 पौधें अनार के सुपर भगवा किस्म के टिशु कल्चर के पौधों का पौधोंरोपण किया.
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Jodhpur: कृषि एवं उद्यान विभाग में विभिन्न योजनाएं हैं. किसान लाभांवित होकर खेतीं में नवाचार को प्राथमिकता दे सकते हैं. आज कल किसानों का रूख बागवनी खेती की ओर बढ़ने लगा है.
सिचांई भूमिगत जल काफी गहराई में जाना और उस जल में गुणवत्ता में विकार आना इसको देखते हुए किसान खेतीं में नवाचार को महत्व दे रहे हैं. जिले के अनवाणा बावड़ी के एक किसान ने दो हेक्टर में अनार की खेती शुरुआत की है, जो आसपास किसानों के लिए बागवानी खेती विस्तार करने का लाभ होगा.
किसान तेजपाल तंवर के भूमि स्वामित्व में दो हेक्टर में नवीन अनार का बगीचा इस वर्ष स्थापित किया है. कुल 2200 पौधें अनार के सुपर भगवा किस्म के टिशु कल्चर के पौधों का पौधोंरोपण किया. कुछ समय बाद 2,200 पौधों से आठ से दस लाख रुपये की कुल आय संभावित होने की उम्मीद है.
अनार बगीचा के रिक्त भूमि पर अन्य फसल और मसाला की खेतीं भी करना आसान है. हाल ही में अनार का बगीचा सफलतम पनपा है. दो-ढाई वर्ष बाद अनार का अच्छा उत्पादन मिलने की उम्मीद है. सबसे बड़ा फायदा यह है कि भूमिगत का सिचांई जल काफी गहराई में जाना और सिचांई जल की कमी को देखते हुए ड्रिप सिस्टम प्रणाली को अपनाया ताकी कम जल से ही बगीचा पनप जाएं. दो हेक्टर में अनार का नवीन बगीचा में बूंद-बूंद सिचांई पद्धति को स्थापित की है.
बहुत ही कम सिंचाई जल से अनार का बगीचा सफलतम पनपा जो हमारे लिए आय का एक स्रोत होगा. अन्य किसान भी बगीचे को देखकर स्वयं नवीन बगीचा स्थापित का करने का मानस बना रहे हैं. खेतीं में फसल, मसाला खेती के साथ-साथ बागवानी खेती भी आज एक आय का स्रोत है. आने वाले समय में बागवानी खेती से लंबे समय तक खेती आय का लाभ प्राप्त किया जा सकता है.
खेतीं में किसान नवाचार को प्राथमिकता दे रहे हैं. क्षेत्र में बागवानी खेतीं क्षेत्र में वृद्धि हो रही है. बागवानी खेतीं से वर्षो तक खेतीं आय का लाभ मिलता है. कम से कम क्षेत्र में बागवानी खेतीं की पहल करनी चाहिए. कृषि एवं उद्यान विभाग में विभिन्न योजनाओं में लाभांवित होकर खेतीं आय में वृद्धि की जा सकती है.
उद्यान विभाग से बागवानी में अनार,नीबूं, बेर और नवाचार में खजुर की खेतीं पर अनुदान देय है. बूंद बूंद सिचांई पद्धति को अपनाकर खेतीं का उपलब्ध सिचांई जल का कुशलतम उपयोग कर बागवानी खेती को सफल पनपाया जा सकता है. खेतीं में फसल, मसाला के साथ-साथ बागवानी खेतीं का भी महत्व है. खेत की मिट्टी एवं सिचांई जल की जाचं पश्चात बागवानी खेतीं को महत्व देना खेती आय वृद्धि का एक बेहतरीन विकल्प है.
Reporter- Bhawani Bhati
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