जल धाराओं में भी अब सुनाई देगा जोधपुर की बेटी का राग, पापा और भाई सेना में तो कविता ने थामा नौसेना का हाथ
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जल धाराओं में भी अब सुनाई देगा जोधपुर की बेटी का राग, पापा और भाई सेना में तो कविता ने थामा नौसेना का हाथ

जोधपुर जिले  छोटे से गांव जालेली नायला की बेटी कविता नायल इंडियन नेवी एकेडमी केरल में हुई पासिंग आउट परेड के बाद नौसेना में अधिकारी बनी हैं.

जल धाराओं में भी अब सुनाई देगा जोधपुर की बेटी का राग, पापा और भाई सेना में तो कविता ने थामा नौसेना का हाथ

Jodhpur news: जोधपुर जिले के छोटे से गांव जालेली नायला की बेटी कविता नायल ने गांव का नाम रोशन किया है. राजस्थान के जोधपुर की यह बेटी अब भारतीय नौसेना में अपनी सेवा देगी. बता दें कि कविता नौसेना में अधिकारी बनी. बेटी के नौ सेना में अधिकारी बनने से पूरे गांव में खुशी का माहौल बा हुआ है. हालांकि बेटी को यह प्रेरणा परिवार  से  मिली है . क्योंकि कविता के भाई और पापा दोनों भारतीय सेना को अपनी सेवाएं दे रहे है. 
 
गौरतलब है कि कविता के पिता ओमप्रकाश नायल भी आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल हैं तो उसके भाई अभिषेक का भी पिछले ही साल आर्मी में  लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ था . और अब कविता भी अपने पिता और भाई की ही तरह भारतीय नौसेना में अपनी सेवाएं देगी.  कविता की इस सफलता से उसका पूरा परिवार उस गर्व कर रहै है.  बता दें कि  इंडियन नेवी एकेडमी केरल में हुई पासिंग आउट परेड के बाद कविता नौसन में अधिकारी के पद पर तैनात होंगी. 

कौन है कविता नायल
कविता नायल जोधपुर के छोटे से गांव जालेली नायला से आती है. कविता ने 2016 में जबलपुर से कक्षा 10 वीं और 12वीं की पूरी की थी और  आर्मी की  पढ़ाई के लिए  सिकंदराबाद के आर्मी स्कूल में की. यहां उन्होंने  2018 में पीसीएम सब्जेक्ट के साथ  नौसेना के लिए अपनी पढ़ाई पूरी की. आगे की पढ़ाई जयपुर की मणिपाल यूनिवर्सिटी से जून 2022 में पूरी की.

 कविता ने एयरफोर्स एनसीसी में सी सार्टिफिकेट भी लिया  है. कविता यूनिवर्सिटी की मैराथन में भी गोल्ड मैडल हासिल कर चुकी हैं. उसने नेवी में जाने के सपने को पूरा करने के लिये  जनवरी में नेवी में एसएसबी का इंटरव्यू दिया था.  इस इंटरव्यू को पास कर कविता का नेवी में चयन हुआ. 19 सप्ताह ट्रेनिंग के बाद अब पासिंग आउट परेड के बाद उसे जब लेफ्टिनेंट बनाया गया तो परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. 

  कपिता ओमप्रकाश ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि सेना एक नोबेल सर्विस है. इसलिए शुरुआत से ही वह यही चाह रहे थे कि  उनके दोनों बच्चे सेना में ही जाएं. उन्होंने भी सन 1993 में आर्मी में जवान के तौर पर देशसेवा शुरू की थी। इसके बाद 2009 में अफसर बने, लेकिन बेटी ने पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की।
Reporter: Bhawani Bhati

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