सरकारी एग्जाम क्लियर करने के बाद भी विभाग ने नहीं दी नियुक्ति , वजह जानकार HC ने लगाई फटकार
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सरकारी एग्जाम क्लियर करने के बाद भी विभाग ने नहीं दी नियुक्ति , वजह जानकार HC ने लगाई फटकार

कॉलेज शिक्षा विभाग में नियुक्ति नहीं देने के खिलाफ दायर मनीष चौहान की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में सुनवाई हुई.

सरकारी एग्जाम क्लियर करने के बाद भी विभाग ने नहीं दी नियुक्ति , वजह जानकार HC ने लगाई फटकार

Jodhpur News : कॉलेज शिक्षा विभाग में नियुक्ति नहीं देने के खिलाफ दायर मनीष चौहान की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट मुख्य पीठ जोधपुर में सुनवाई हुई. राजस्थान हाई कोर्ट ने याची को सिर्फ इसलिए नियुक्ति नहीं दी क्योंकि वह उत्तरप्रदेश के निवासी है पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने आदेश दिए, नहीं तो संयुक्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा विभाग, जयपुर को हाई कोर्ट में व्यक्तिगत उपस्तिथ होने के आदेश दिए है.

याची मनीष चौहान की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर ने कॉलेज शिक्षा विभाग के सहायक आचार्य के पदों पर विज्ञप्ति जारी कर योग्य अभ्यर्थियों से आवेदन मांगे. गणित विषय में कुल 34 पद थे, जिसमे एक पद हियरिंग इंपेयर्ड एचआई वर्ग के विशेष योग्यजन के लिए आरक्षित किया. याची एम. एससी. गणित, पीएचडी, जेआरएफ, स्लेट परीक्षा पास की योग्यता रखते हुए अपना आवेदन पीएच वर्ग में किया. आयोग द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा में कुल 48.47 अंक हासिल किए और पास घोषित किया गया. इसके बाद आयोग ने याची को साक्षात्कार में बुलाया. याची के सभी दस्तावेज़ सत्यापन पश्चात् उसे अंतिम रुप से चयनित करते हुए आयोग ने कॉलेज शिक्षा विभाग को उसका नाम नियुक्ति के लिए भेजा. आयुक्तालय, कॉलेज शिक्षा विभाग, जयपुर द्वारा काउंसलिंग में बुलाया गया. याची ने समस्त मूल दस्तावेज़ जमा करवा दिए लेकिन अन्य सभी अभ्यार्थियों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए लेकिन याची को बिना किसी कारण के नियुक्ति से यह कहते हुऐ मना कर दिया कि वह उत्तर प्रदेश का मूल निवासी हैं. विशेष योग्यजन वर्ग में नियुक्ति नहीं दी जा सकती है. जिसपर याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

 याची की ओर से बताया गया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और राजस्थान दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2018 के प्रावधानों के अनुसार विशेष योग्यजन वर्ग में किसी अन्य राज्य का मूल निवासी होने के आधार पर नियुक्ति से वंचित नही किया जा सकता है, जबकि विज्ञप्ति में स्पष्ट लिखा गया था कि संपूर्ण भारत के किसी भी राज्य के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी विकलांगता प्रमाण पत्र मान्य होगा. नियमानुसार दिव्यांगजन व्यक्ति को मूल निवासी होने के आधार पर नियुक्ति से वंचित करना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है.

न्यायालय ने माना कि विज्ञप्ति की शर्तो अनुसार जब आरपीएससी ने याची को योग्य मानते हुए नियुक्ति की अनुशंसा कर दी तो विभाग का कृत्य स्वीकार योग्य नहीं हैं. विभाग को बार बार समय दिए जाने के बावजूद नियुक्ति आदेश जारी नही करने पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश अरूण  भंसाली ने इसे गंभीरता से लेते हुए कॉलेज शिक्षा विभाग के सयुंक्त निदेशक को याची के नियुक्ति आदेश जारी करने अन्यथा अगली सुनवाई तिथि पर कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत उपस्थित रहकर स्पष्टीकरण देने का आदेश  दिया. अब मामले पर अगली सुनवाई  15 दिसंबर 2022 मुकर्रर की गई है.

Reporter- Bhawani Bhati

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