Bilara: लंपी के कहर से राहत दिलाने के लिए ग्रामीण कर रहे हर संभव उपाय, कम हो रही मृत्यु दर
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Bilara: लंपी के कहर से राहत दिलाने के लिए ग्रामीण कर रहे हर संभव उपाय, कम हो रही मृत्यु दर

जोधपुर जिले के बिलाड़ा उपखंड में महामारी की तरह फैली लंपी स्किन डिजिज से गोवंश को बचाने के लिए गौसेवकों ने औषधीय रोटी, औषधि प्रतिरोधी काढा, फिटकरी के स्प्रे का सहारा लेकर अनूठी पहल की है.

लंपी का कहर

Bilara: जोधपुर जिले के बिलाड़ा उपखंड में महामारी की तरह फैली लंपी स्किन डिजिज से गोवंश को बचाने के लिए गौसेवकों ने औषधीय रोटी, औषधि प्रतिरोधी काढा, फिटकरी के स्प्रे का सहारा लेकर अनूठी पहल की है. लंपी स्किन महामारी बीमारी से निजात दिलाने के लिए हल्दी, काली मिर्च, कड़कड़ शक्कर और देसी घी की रोटी को रामबाण औषधि मानते है. 

ऐसे में यहां के गौ सेवकों और भामाशाह ने मिलकर इस औषधीय मिश्रण के आटे के साथ रोटी, लापसी बनाकर गोवंश को खिलाने की पहल की है, जिससे उम्मीद है कि गायों को बचाया जा सके. इससे लगातार गायों में सुधार हो रहा है और दिनों-दिन मृत्यु दर कम होने से ग्रामीणों और गौभक्तो पर चेहरे पर रौनक दिखाई दे रही हैं. शुरुआत में इस लंपी स्किन महामारी बीमारी से अनेक गायों की मौत हो गई और ग्रामीणों और प्रशासन के सहयोग से गोवंश को इस बीमारी से राहत मिल रही है. 

तिलवासनी गांव में आस-पास की गौशाला में सरपंच अनिल विश्नोई के नेतृत्व में गौभक्त रामदीन नेत, अनिल सैन, कविराज, मनोज, जयराम जाणी, राकेश, सोहनलाल, दिनेश, निर्मल, सहदेव राजवीर सहीराम, बगदाराम सहित गौभक्तों ने औषधियां रोटियां, औषधि काढा और औषधि लापसी बनाकर गायों को खिलाई और इस औषधियों की लापसी को लेकर भामाशाह और विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी अब आगे आ रहे हैं और गायों के लिए औषधीय लापसी बना रहे है.

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गोभक्त और दानदाता ने गोवंश को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने लगे हैं. गोवंश के शरीर पर लंपी स्किन लेकर पहुंचाने वाली मक्खी के संक्रमण का असर नहीं हो इसके लिए गौसेवक फिटकरी युक्त पानी से गायों को नहला रहे है. गौसेवक शाम को नीम की पत्तियों को जलाकर धुआ भी कर रहे है. जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान में इन दिनों गौवंश में लंपी स्किन डिजीज नामक संक्रमण फैलने से गायें कालकवलित होती जा रही हैं. वहीं संक्रमण के साथ-साथ समय पर गौधन को उचित इलाज न मिलने के कारण पशुपालकों की चिंताएं भी दिनों-दिन बढ़ती जा रही है.

जानकारी के अनुसार लंपी स्किन डिजीज नामक इस बीमारी ने प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है. जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार तहसीलों में पशु चिकित्सकों और अधिकारियों की टीमें गठित कर दी गई है, जो इस बीमारी पर विशेष ध्यान दे रहे है. संक्रमित गौवंशों को अलग से रखा जाने लगा है. गौशालाओं में हाइप्रो क्लोराइड का छिड़काव किया जा रहा है. इसके बावजूद भी गौवंशों में संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है. विहिप के गौसेवा विभाग के कार्यकर्ता गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में गोवंश को बचाने के लिए गौसेवा कर रहे है.

ग्रामीण भी विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक औषधीय युक्त घोल बनाकर पशुधन पर छिड़काव कर रहे है. साथ ही विशेष प्रकार के लड्डू बनाकर गौवंशो को सुबह-शाम खिलाने की सलाह दे रहे है, जिससे गौवंश को बचाया जा सके. गौरतलब हैं कि लंपी स्किन डिजीज गौवंश में इन दिनों बहुत ज्यादा दर से फेल रहा है. विशेष बात यह भी है कि यह दुधारू और गर्भवती गायों में भी फेल रहा है, जिसके चलते आमजन को खतरा सता रहा है. जिसे लेकर प्रशासन और आमजन भी फिक्रमंद नजर आ रहा है.

गामीण और प्रशासन के सहयोग से इस महामारी बीमारी को लेकर काफी हद तक सफलता प्राप्त की है और गायों में अब मृत्यु दर कम होने लगी है. जगह-जगह गौशालाओं में औषधि लापसी रोटी सहित फिटकरी स्प्रे किए जा रहे है. मृत्यु दर कम होने से गौभक्तों में खुशी की लहर है और ग्रामीण और गौभक्त दिन रात सेवा कार्य में जुटे हुए है.

Reporter: Arun Harsh

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