पहली बारिश में बहा केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजक्ट, 7 KM एरिया में ही 46 जगह बिखरा भारतमाला हाइवे
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पहली बारिश में बहा केंद्र सरकार के ड्रीम प्रोजक्ट, 7 KM एरिया में ही 46 जगह बिखरा भारतमाला हाइवे

भारतमाला सड़क मानसून की पहली बारिश में ही ताजनगर, गगाड़ी व चण्डालिया में सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है. ताजनगर से चण्डालिया की दूरी 7 किमी है. जिसमें सड़क के दोनों तरफ 46 जगह पानी के बहने से छोटे बड़े खड्डे हो गये.

46 जगह भारतमाला से मिट्‌टी बही.

Osian: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेस-वे ग्रीन कॉरिडोर 764 के हाइवे (भारतमाला) के निर्माण कार्य की पोल मानसून की पहली बारिश ने खोल दी. जोधपुर जिले के बालेसर-ओसियां और लोहावट क्षेत्र से गुजरने वाले भारतमाला परियोजना की गगाड़ी क्षेत्र सहित आसपास खुडियाला, चण्डालिया, गगाड़ी कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आई है. ताजनगर, गगाड़ी, चण्डालिया के बीच जगह-जगह सड़क पानी में बह गई. सड़क के किनारे क्षतिग्रस्त हो गए.

भारतमाला परियोजना के तहत निर्माणधीन सड़क का एनकेसी कंपनी का प्लांट गगाड़ी में ही है. ये गगाड़ी के पास से एक्सप्रेस हाइवे गुजरता है. इसके निर्माण का कार्य पिछले करीब दो साल से चल रहा है. पिछले दो दिनों में क्षेत्र में हुई बारिश से ताजनगर, खुडियाला, गगाड़ी, चण्डालिया के आसपास सड़क कई किलोमीटर तक बह गई. कई जगह बने पुल भी पानी भरने से जाम हो गए. वहीं जमीन में भराव नहीं होने से सड़क में कई जगह कटाव आ गया.

दो सालों में पहली बार तेज बारिश ने खोली पोल
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण कार्य के दौरान ही कई बार संबंधित कंपनी के अधिकारियों को अवगत कराया गया की तेज बारिश में रेत पानी के साथ बह जाती है लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. भारतमाला प्रोजेक्ट के निर्माण गुणवत्ता में कमी को दो सालों में पहली बार तेज बारिश ने पोल खोल दी है.

कंपनी कर्मचारियों ने लिया फीडबैंक
दूसरी ओर कंपनी के अधिकारियों ने क्षतिग्रस्त सड़कों को दुरुस्त करने और कमियों को सुधारने को लेकर सर्वे शुरू करने की बात कही है.

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भारतमाला सड़क मानसून की पहली बारिश में ही ताजनगर, गगाड़ी व चण्डालिया में सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त हुई है. ताजनगर से चण्डालिया की दूरी 7 किमी है. जिसमें सड़क के दोनों तरफ 46 जगह पानी के बहने से छोटे बड़े खड्डे हो गये. मानसून की पहली बारिश से इस तरह से जगह जगह से हाइवे का बिखरना कंपनी की निर्माण गुणवत्ता की पोल खोल रहा है. वहीं दूसरी सरकार इन एक्सप्रेस-वे को आपातकालीन में फाइटर जेट के लिए रन-वे के तौर पर काम लेने की योजना बना रही है. इस तरह की गुणवत्ता से तो कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है.

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