संकट में रेगिस्तान का जहाज! सड़क और रेल दुर्घटनाओं में खत्म हो रही ऊंटों की नस्ल
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संकट में रेगिस्तान का जहाज! सड़क और रेल दुर्घटनाओं में खत्म हो रही ऊंटों की नस्ल

Jaisalmer News: रेगिस्तान के जहाज ऊंट की आए दिन सड़क और रेल दुर्घटनाओं में मौत हो रही है. क्षेत्र में रेगिस्तान का जहाज ऊंट अब आधुनिक युग में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है और  उसके संरक्षण को लेकर प्रयास करने के दावों की हकीकत अब खत्म होती नजर आ रही है.

 

संकट में रेगिस्तान का जहाज! सड़क और रेल दुर्घटनाओं में खत्म हो रही ऊंटों की नस्ल

Jaisalmer News: रेगिस्तान के जहाज ऊंट को राज्य पशु घोषित कर उसके संरक्षण को लेकर प्रयास करने के दावों की हकीकत क्षेत्र में देख-रेख के अभाव में सड़कों पर आए दिन दम तोड़ रहे ऊंटों से बयां हो रही है. यहां आए दिन सड़क और रेल दुर्घटनाओं में ऊंटों की मौत हो रही है. क्षेत्र में रेगिस्तान का जहाज ऊंट अब आधुनिक युग में अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. 

बावजूद इसके सरकारों द्वारा ऊंट के विकास और उत्थान को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं. राज्य सरकार द्वारा ऊष्ट विकास योजना के तहत पूर्व में योजना शुरू करते हुए ऊंटनी के बच्चे के जन्म पर तीन किश्तों में 10 हजार रुपये की राशि दी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से सरकार द्वारा यह योजना भी बंद कर दी गई है. इससे ऊंटपालकों को मिलने वाला सहयोग भी पूरी तरह से बंद हो गया है.

लाठी क्षेत्र के सिर्फ 6 गांवों में 4 हजार ऊंट
देश भर में सबसे ज्यादा ऊंट राजस्थान में पाएं जाते है. इसके साथ ही राजस्थान में ऊंटों की सर्वाधिक संख्या जैसलमेर में है. लाठी क्षेत्र के 6 गांवों में लाठी, धोलिया, भादरिया, खेतोलाई, डेलासर, सोढाकोर गांवों में 4 हजार से ज्यादा ऊंट है, लेकिन अब ऊंटपालकों के सामने रेगिस्तान के जहाज के पालन पोषण को लेकर समस्या खड़ी हो गई है.

ऊंटपालकों के लिए ऊंट पालन सबसे बड़ी चुनौती
क्षेत्र में 4 हजार ऊंट है और पहले ऊंट आवागमन के लिए उपयोग में लिए जाते थे, लेकिन अब आवागमन के साधन होने से ऊंटों की उपयोगिता बेहद कम हो गई है. इसके साथ ही सरकार ने ऊष्ट विकास योजना भी बंद कर दी. इसके साथ ही पिछले ढाई साल से पर्यटन सीजन पिटने के कारण ऊंट से रेगिस्तान पर सफर और ऊंटनी के दूध से बने प्रोडक्ट भी बनने बंद हो गए है.

वन विभाग की तारबंदी बनी ऊंटों के लिए परेशानी
गत कुछ महीनों पहले वन विभाग की ओर से राष्ट्रीय राजमार्ग 11 के किनारे तारबंदी कर जंगल में आने-जाने वाले रास्तों को बंद कर दिया. ऐसे में ऊंट पानी पीने के लिए ग्रामीण इलाकों में स्थित तालाबों और अन्य जल स्त्रोतों तक नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में ऊंट जंगल में ही प्यासे भटकने को मजबूर हो रहे हैं. जैसलमेर क्षेत्र के ऊंट पलकों का कहना है कि राज्य पशु ऊंट की संख्या लगातार गिर रही है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ऊंटों के संवर्धन और उत्थान के लिए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है. ऊंटों के लिए सरकार द्वारा ऊष्ट विकास योजना को भी बंद कर ऊंटपालकों के साथ छलावा किया जा रहा है.

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उष्ट्र विकास संस्थान के अध्यक्ष सुमेरसिंह सांवता ने जानकारी देते बताया कि पूरे देश में से जैसलमेर में एकमात्र ऐसा जिला है, जहां ऊंटों की सर्वाधिक संख्या है. इसके साथ ही जैसलमेर के ओरण क्षेत्र में ऊंटों की संख्या बहुतायत है. राज्य पशु की संख्या लगातार गिर रही है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ऊंटों के संवर्धन और उत्थान के लिए सरकार द्वारा कोई प्रयास नहीं किए जा रहे है. ऊंटों के लिए सरकार द्वारा ऊष्ट विकास योजना को भी बंद कर ऊंटपालकों के साथ छलावा किया जा रहा है.

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