गौवंश में लम्पी स्किन के बाद ऊंटों में सर्रा रोग, मर रहे हैं राज्य पशु
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गौवंश में लम्पी स्किन के बाद ऊंटों में सर्रा रोग, मर रहे हैं राज्य पशु

ऊंटों की आबादी भी कम होने लगी है. इन्हे पालने वाले अब इनको लावारिस छोड़ रहे है.  इस कारण ये रोड एक्सीडेंट या अन्य किसी कारण से मर रहे है.

गौवंश में लम्पी स्किन के बाद ऊंटों में सर्रा रोग, मर रहे हैं राज्य पशु

Pokaran : जैसलमेर जिले के लाठी क्षेत्र के धोलिया गांव में क्षेत्र के अलग-अलग गांव से पहुंचे ऊंट सहित ऊंट पालकों ने ऊंटों में फैल रही सर्रा नामक बीमारी का पशुपालन ‌विभाग कि ओर समय पर उपचार नहीं करवाने सहित विभिन्न समस्याओं का समाधान नहीं होने को लेकर भारी आक्रोश जताया और समस्या के समाधान नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

राजस्थान के राज्य पशु ऊंट की बिक्री पर लगे बैन से ऊंट पालने वाले ऊंट पालकों पर अब आजीविका चलाने का संकट आ गया है, इसकी बिक्री पर रोक हटाने और विकास योजना के तहत ऊंट पालकों को दी जाने वाली सहायता राशि को दोबारा शुरू करने की पिछले लम्बे समय से मांग की जा रही है. साथ ही पिछले लंबे समय से पशुपालन विभाग द्वारा ऊंटों में फैल रही सर्रा नामक बीमारी का भी ना तो उपचार करवाया जा रहा है और ना अस्पतालों से निःशुल्क ‌दवाईया दी जा‌‌ रही है. जिससे नाराज क्षैत्र के सोढाकोर,खेतोलाई,भादरिया, धोलिया गांवों के ऊँटपालक अपने सेकडो कि तादाद में ऊंट लेकर धोलिया गांव पहुंचे. 

धोलिया गांव के ऊंट पालक बगडूराम बिश्नोई नेतृत्व में आक्रोश जताया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ऊंट पालक बगडूराम विश्नोई ने बताया कि मौजूदा समय में ऊंटों के बेचान पर प्रतिबंध है. इसके कारण इनको पालने वाले परिवार के लोगों के लिए आजीविका प्रभावित हो रही है, वहीं ऊंटों को चरने के लिए जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र में जो जमीनें थी वह अब सोलर बिजली प्लांट लगाने वालों को आवंटित की जा रही है. जिन कंपनियां को जमीनें दी जा रही है, वे इन ऊंटों को वहां आने से रोकती है. ऊंट की बिक्री पर रोक लगने, राज्य के बाहर लाने-ले जाने पर प्रतिबंध होने के कारण 30-40 हजार रुपए में बिकते थे उनकी कीमत अब 5 से 10 हजार रुपए पर आ गई है.

नहीं मिल रही सरकारी सहयोग राशि
ऊंट पालक ने बताया कि सरकार 2019 से पहले तक उष्ट्र विकास योजना के तहत ऊंट पालकों को ऊंटनी के बच्चे होने पर उनके पालन के लिए 10 हजार रुपए की आर्थिक मदद भी देती थी, लेकिन वह भी अब बंद कर दी है, आर्थिक मदद बंद होने, ऊंटों के बेचान पर रोक लगने और उनके आवागमन पर प्रतिबंद लगाने के कारण राज्य में ऊंटों की आबादी भी कम होने लगी है. इन्हे पालने वाले अब इनको लावारिस छोड़ रहे है.  इस कारण ये रोड एक्सीडेंट या अन्य किसी कारण से मर रहे है.

नहीं मिल रही है पर्याप्त मात्रा में निशुल्क दवा
ऊंटपालक बगडूराम बिश्नोई ने बताया कि पिछले लंबे से क्षेत्र के ऊंटों में सर्रा नामक बीमारी तेजी से अपना पैर पसार रही हैं. जिससे कई ऊंटों की मौत हो चुकी है. साथ ही कई ऊंट अभी तक बीमार चल रहे हैं, उन्होंने बताया कि पिछले लंबे समय से पशुपालन विभाग की ओर से इस बीमारी के उपचार के लिए ना तो शिविर का आयोजन किया जा रहा है और ना ही नजदीकी चिकित्सालयों में दवाइयां पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाई जा रही है.

ऐसे में ऊंटपालक महंगे दामों में निजी चिकित्सालयों से दवाई खरीदने को मजबूर हो रहे हैं. जिससे उनको भारी आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. उन्होंने बताया कि समय पर ऊंटों को उपचार नहीं मिलने के कारण लगातार ऊंटों की मौत हो रही है. बावजूद इसके पशुपालन विभाग की ओर से मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.

उग्र आंदोलन की दी चेतावनी
ऊंटपालक बगडूराम बिश्नोई ने बताया कि ऊंटों से संबन्धित विभिन्न समस्याओं को लेकर ऊंट पालकों की ओर से सरकार को बार-बार अवगत कराया जा रहा है, लेकिन उनकी ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि समय रहते सरकार की ओर से ऊंटों से संबंधित विभिन्न समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो उनकी ओर से उग्र आंदोलन किया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी सरकार कि होगी. 

इस अवसर पर धोलिया गांव से बगडूराम,भागीरथ नरेश,हरलालल,डूगरलाल,रामलाल, नीम्बाराम,गणपतराम खावा, गोरधन,राजूराम माजूसहीराम, भाखराराम,सोढाकोर गांव से चन्दनसिंह,खेतोलाई गांव से पपूराम विकास समेत बड़ी संख्या में ऊंट पालक मौजूद रहे.

रिपोर्टर- शंकरदान

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