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जयपुर: युवा कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित किये गए चार दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का शानदार प्रस्तुतियों के साथ समापन हुआ. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे युवाओं ने बांसुरी, शास्त्रीय गायन, तबला, कथक पेश कर दर्शकों का मन मोह लिया. रंगायन सभागार में तालियों की गूँज सुनाई दी जिसने युवाओं की मेहनत और जेकेके के प्रयास पर सफलता की मुहर लगाई. जयपुर के जाकिर हुसैन ने बांसुरी पर राग हंसध्वनि बजाई. हंस ध्वनि पांच स्वरों का संयोजन है, जिसमें आलाप, जोड़, झाला सुनकर श्रोताओं ने सुकून महसूस किया.
इसके बाद सात मात्रा के रूपक में बंदिश व द्रुत तीन ताल के साथ बांसुरी के स्वर थमे. तबले पर अकबर हुसैन ने संगत की. पं. आलोक भट्ट से जाकिर ने बांसुरी वादन का हुनर हासिल किया है. मधुरा वैद्य ने राग मारु बिहाग गाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. विलम्बित ख्याल एक ताल में ''रसिया हो न जा'', मध्य लय तीन ताल में बंदिश, ''रात के अलसाये पिहरवा'', द्रुत तीन ताल में, ''काहू के मन को लुभावन जात है'' गाकर उन्होंने महफ़िल लूटी. भैरवी राग में ठुमरी गाकर मधुरा ने स्वरों को श्रोताओं तक पहुँचाया. मधुरा ने अपने पिता पं. आनंद वैद्य से गायन की बारीकियां सीखी हैं.
मोहित कथक ने तबले पर ताल ठोककर दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खिंचा. उन्होंने अपने गुरु पं. परमेश्वर लाल कथक द्वारा रचित पेशकार, गते, परणे व कायदे पेश किये. हारमोनियम पर राग चारुकेशी बजाकर किशन कथक ने मोहित का साथ दिया. मोहित संगीत से ताल्लुक रखने वाले परिवार से आते हैं. जयपुर घराने की नृत्यांगना प्रगति पाठक ने शिव पंचाक्षर स्त्रोत्र से कथक प्रस्तुति शुरू कर माहौल को शिवमय कर दिया. उठान, ठाठ, विलम्बित गत निकास भी पेश किये गए. प्रगति ने अपनी गुरु डॉ. तरुणा जांगिड़ द्वारा रचित ''कोविड कवित'' पर फुटवर्क दिखाकर महामारी के दंश को जाहिर किया. खंडिता नायिका पर कदम थिरकाकर प्रगति ने शृंगार रस के भाव जाहिर किये. गौरतलब है कि जवाहर कला केंद्र की ओर से चार दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का आयोजन किया गया था जिसमें 15 कलाकारों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया.
Reporter- Anoop Sharma
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