आमेर में हाथी गांव बसाया गया था ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके, लेकिन हाथियों का प्रजनन करा के इनका कुनबा बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा गया.
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Jaipur: हाथियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है, हाथियों को प्राकृतिक और प्रदूषण मुक्त माहौल देने के लिए जयपुर के आमेर में हाथी गांव बसाया गया था. इनकी पहली पसंद पेड़ और तालाब होते हैं, इसी को ध्यान में रखते हुए हाथी गांव में वन विभाग की ओर से सैकड़ों पेड़-पौधे लगाए गए हैं. हाथियों के नहाने और अठखेलियों के लिए तालाब भी तैयार किए गए हैं.
आमेर में हाथी गांव बसाया गया, ताकि इन्हें संरक्षित किया जा सके, लेकिन हाथियों का प्रजनन करा के इनका कुनबा बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा गया. पूर्व वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि हाथियों के लिए सरकार की ओर से हाथी गांव बनाया गया था. जयपुर में करीब 86 हाथी हैं, 65 हाथियों के थान बने हैं और अन्य हाथी आसपास में रहते हैं. आमेर किले पर लंबे समय से हाथियों की सवारी करवाई जा रही है, सबसे बड़ी विडंबना यह है कि सरकार और विभाग में हाथियों का प्रजनन करा के इनका कुनबा बढ़ाने के बारे में नहीं सोचा गया.
हाथी गांव में ज्यादातर हथनिया हैं, सिर्फ एक ही नर हाथी है. हाथियों को प्राकृतिक आवास तो दे दिया, लेकिन हाथियों को जीवनसाथी नहीं मिल रहा, इसी वजह से हाथियों की संख्या भी नहीं बढ़ रही है. हाथियों के प्रजनन और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को प्रयास करने चाहिए. 86 मादा हाथियों के लिए कम-से-कम पांच नर हाथी तो होने चाहिए, ताकि इनका प्रजनन हो सके.
ऐसे तो धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएंगे हाथी
प्रजनन की क्रिया नहीं होगी तो धीरे-धीरे हाथी विलुप्त होते जाएंगे. कुछ हाथियों में टीबी और अन्य बीमारियां भी देखने को मिली थीं, ऐसे में हाथियों को प्राकृतिक वातावरण मिलना जरूरी है. मनुष्य या फिर जानवर सबका जोड़ा बनाया गया है, ताकि जनसंख्या अनुपात संतुलित रखी जा सके. हाथियों में भी जोड़ा बनाना जरूरी है. कई बार देखने को मिलता है कि हाथी बहक जाते हैं, ये नेचुरल हैं, क्योंकि इंसान हो या जानवर हो उनमें बच्चा पैदा करने की अपनी कैपेसिटी होती है. हथनियों को हाथी का साथ नहीं मिलता है, तो ऐसी स्थिति में यह बहक जाती है. इसका परिणाम कई बार पर्यटकों को भी भुगतना पड़ जाता है. कई बार ऐसा होता है कि हाथी पर्यटकों को पटक देते हैं. इन सबके बीच जरूरी है कि हाथियों का प्रकृतिक जोड़ा जरूरी होना चाहिए. हाथी गांव में भी हथनियों के लिए नर हाथी होने चाहिए. बाहर से आने वाली हाथियों का रजिस्ट्रेशन सरकार ने बंद कर रखा है. सरकार के स्तर पर नर हाथी लाने के प्रयास करने चाहिए.
पहले भी जयपुर में होता था हाथियों का प्रजनन
हाथियों के लिए हाथी गांव में तालाब बना हुआ है. नर हाथी थोड़ा एग्रेसिव होते हैं, जिसकी वजह से हथनियों को ही ज्यादा लाया जाता है. लेकिन यह भी सोचना जरूरी है कि नर हाथी नहीं होगा तो हाथियों की संख्या नहीं बढ़ पाएगी. पुराने समय में जयपुर में हाथियों का प्रजनन होता था, लेकिन 20 से 25 साल में कहीं पर भी जयपुर में हाथियों का प्रजनन नहीं हुआ है.
प्रॉपर मॉनीटरिंग होनी जरूरी
पूर्व वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि हाथी गांव में अभी भी कुछ थान बनने शेष हैं. हाथी गांव में एक-दो तालाब और बनने चाहिए ताकि पानी के तालाब में हाथी पर्याप्त मात्रा में क्रीड़ा कर सकें. वन विभाग भी प्रॉपर मॉनिटरिंग करे. हाथियों के आवागमन की भी मॉनिटरिंग की जाए. हाथी गांव से हाथी के बाहर जाने और अंदर वापस आने का समय रजिस्टर में नोट होना चाहिए. हाथी का खर्चा काफी महंगा होता है ऐसे में हाथी पालकों को भी हाथी पालना काफी मुश्किल होता है.
हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि हाथियों के लिए वर्ष 2010 में हाथी गांव बसाया गया था. 120 बीघा में आमेर इलाके में हाथी गांव बसाया गया. जयपुर के दिन हाथियों को थान अलॉटमेंट हो चुके हैं, वह सभी हाथी गांव में रहते हैं. हाथी गांव में हाथियों के लिए दो तालाब बनाए गए थे. हाथियों के लिए थान के साथ अन्य सुविधाएं भी दी गई हैं. रोजाना हाथी सुबह आमेर महल में हाथी सवारी के लिए जाते हैं. हाथी सवारी का समय पूरा होने के बाद वापस हाथी गांव में लौटते हैं, थोड़ी देर आराम करने के बाद हाथी का महावत उसे चारा खिलाता है. दिनभर हाथियों की डाइट का पूरा ख्याल रखा जाता है. डॉक्टर्स की सलाह पर हाथियों को खाना पीना दिया जाता है. मौसम के अनुसार अलग-अलग भोजन दिया जाता है.
नर हाथी की जरूरत
आसिफ खान ने बताया कि हाथी गांव में एक नर हाथी और करीब 90 फीमेल हाथी है. प्रजनन के लिए हाथियों का एक-दूसरे के प्रति आकर्षण होता है, लेकिन हाथी गांव में एक ही नर हाथी मौजूद है. आशा करते हैं कि आने वाले समय में हाथियों की संख्या बढ़े. मादा हाथियों के लिए नर हाथी भी हाथी गांव में आए, जिसे प्रजनन क्रिया हो सके. वन विभाग को भी प्रयास करना चाहिए. वन विभाग नर हाथी लाने की अनुमति दे. हाथी गांव हरियाली से भरा हुआ है, हाथी गांव में कुछ समस्याएं भी हैं. पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित होनी चाहिए. हर साल 12 अगस्त को हाथी गांव में विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है. वर्ल्ड एलीफैंट-डे पर संदेश दिया जाता है कि बेजुबान जानवर भी हमारे परिवार के सदस्य की तरह है.
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