Vegetable prices in Rajasthan: आलू,प्याज,टमाटर और लहसून विक्रेताओं का कहना है कि प्रदेश में आलू,प्याज,टमाटर और लहसून की फसल खत्म हो चुकी है. अन्य राज्यों से महंगे दामों पर ट्रांसपोर्ट हो रही है.
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Vegetable prices in Rajasthan: राजस्थान में आलू,प्याज,टमाटर और लहसून के खुदरा भाव आसमान छू रहे हैं. बढ़ती महंगाई के हालातों से लग रहा है कि महंगाई सरकार से बेकाबू होती नजर आ रही है.आम से लेकर खास सरकार से यहीं मांग कर रहा है कि सरकार महंगाई से राहत दे ताकि लोग सब्जी का स्वाद ले सके.
सब्जी की महंगाई कमर तोड़ रही
सब्जी मंडी में खुदरा भाव में पहली बार आलू 40 रुपये किलो के पार ने गरीब की कमर तोड़कर रख दी है. वहीं प्याज की बात करें तो सफेद प्याज 40 रुपये, लाल प्याज 50 रुपये किलोग्राम भाव से बिक रहा है. टमाटर अलग-अलग वैरायटी में 50 रुपये से लेकर 80 रुपये किलोग्राम में बिक रहा है.
लहसून की वैरायटी में पुराना—100 रुपये नया लहसून—200 रुपये से लेकर 250 रुपये खुदरा भाव से बिक रहा है. इतनी महंगाई के कारण गरीब की थाली से सब्जी का जायका ही बिगड़ गया है. ऐसे में मध्यम वर्ग के लोग इन सब्जियों को कम खरीदने पर मजबूर हैं.
सब्जी मंडी में खरीददारी करने पहुंच रहे लोगों का कहना है कि क्या करें मजबूरी है क्योंकि परिवार को चलाने के लिए महंगे दामों पर खरीददारी करनी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि सब्जियों की क्वांटिटी कम कर दी है.सरकार को दैनिक उपयोगी चीजों पर महंगाई पर काबू करना होगा ताकि आम से लेकर गरीब की थाली में सब्जी का जायका बना रहे.
उत्पादन कम होने से अन्य राज्यों से ट्रांसपोर्ट होने से महंगाई बढ़ी
आलू,प्याज,टमाटर और लहसून विक्रेताओं का कहना है कि प्रदेश में आलू,प्याज,टमाटर और लहसून की फसल खत्म हो चुकी है. अन्य राज्यों से महंगे दामों पर ट्रांसपोर्ट हो रही है. स्टॉकर्स आलू,प्याज,टमाटर और लहसून का स्टॉक कर इस मौसम में महंगे दामों पर ट्रांसपोर्ट कर रहे हैं. वहीं ट्रांसपोटर्स का कहना है कि पेट्रोल,डीजल कीमतें ज्यादा होने से किराया भी बढ़ गया है. ऐसे में टमाटर बैंगलोर,आल,प्याज नासिक से महंगे दामों पर ट्रांसपोर्ट करना महंगा होगा ही.
विक्रेताओं को कहना है कि सरकार स्टॉकर्स पर आलू,प्याज,लहसून और टमाटर स्टॉक पर लगाम लगाए ताकि महंगाई से राहत मिल सके. खरीददारों ने भी खरीद में क्वांटिटी कम कर दी है.प्रदेश में बारिश का मौसम होने से माल कम बिकने से खराब होने की संभावना ज्यादा रहती है. सब्जी विक्रेता भी माल कम ही मंडी में ला रहे है.