जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का तीसरा दिन,विभिन्न सेशन हुए आयोजित
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का तीसरा दिन,विभिन्न सेशन हुए आयोजित

Jaipur News: गुलाबी नगरी जयपुर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का किया जा रहा है आयोजन. आज तीसरे दिन कार्यक्रम में विभिन्न सेशन हुए आयोजित. फ्रंट लॉन में सेशन ''जस्टिस द वॉइस ऑफ द वॉइसलेस'' में जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस मुरलीधर, शीतल कलंट्री और अपर्णा चंद्र व चीफ जस्टिस राघवेरेंद्र चौहान ने संवाद किया.

Jaipur Literature Festival

Jaipur News: गुलाबी नगरी जयपुर में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का किया जा रहा है आयोजन. आज तीसरे दिन कार्यक्रम में विभिन्न सेशन हुए आयोजित. फ्रंट लॉन में सेशन ''जस्टिस द वॉइस ऑफ द वॉइसलेस'' में जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस मुरलीधर, शीतल कलंट्री और अपर्णा चंद्र व चीफ जस्टिस राघवेरेंद्र चौहान ने संवाद किया. प्रो शीतल कलंट्री ने कहा कि 64000 लोग हर साल कोर्ट आते है. इनमें से 10% केस पर ही सुनवाई पूरी हो पाती है. 75 साल में 200 से जस्टिस बने, लेकिन महिलाये सिर्फ 11 से 14 ही सुप्रीम कोर्ट में जज बन पाई हैं. 

AI बड़ी मुश्किल
अपर्णा चंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कई केसेस ऐसे आते हैं, जो लोअर कोर्ट के होते है. निचली अदालत अगर मामले सुलझाएं तो सुप्रीम कोर्ट को राहत मिले. चीफ जस्टिस राघवेन्द्र चौहान ने कहा की ये सही है कि कोर्ट में कई बड़ी संख्या में केसेस पंडिंग हैं. सही गाइडलाइन के साथ सब कुछ सुलझाया जा सकता है. जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा कि जेएलएफ में साइन लैंग्वेज का उपयोग हो रहा है, यह एक बेहतर प्रयोग है. उन्होंने कहा कि 10 मिलियन केसेस है और सुप्रीम कोर्ट में 17 बांचेज है. 10 साल में प्राथमिकता के साथ केसेस को निपटाया गया है. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी खासकर AI बड़ी मुश्किल में डाल रहा है. इसकी वजह से हमारी निजी जिंदगी सेफ नहीं है, अपराध करने का तरीका अलग हो गया है. 

कोर्ट बंद होने का समय मालुम नहीं 
इसलिए सभी को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए. कोर्ट में चलने वाले लम्बे वेकेशन के सवाल पर जस्टिस मुरलीधर ने कहा कि लोगों को यह लगता है कि 4.30 बजे कोर्ट बंद हो जाता है. सही मायने में आम लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है, लेकिन में अपने एक्सपीरियंस के साथ बता सकता हूं कि जज कई कमेटियों में होते है, एडमिनिस्ट्रेशन वर्क होता है, कई तरह के रूटीन वर्क होता है, जो कोर्ट रूम के बाहर के होते है. मैं खुद रात 9 बजे या 9.30 बजे तक कोर्ट परिसर में रहा हूं. यह आसान नहीं है, कितना वर्क ऑफ प्रेशर है. वहीं जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस एस मुरलीधर, सीतल कलंट्री और अपर्णा चंद्र इन कन्वर्सेशन विद चीफ जस्टिस राघवेरेंद्र चौहान.

64000 लोग हर साल कोर्ट आते है
सुप्रीम कोर्ट ने 75 साल के होने का सेलिब्रेशन किया. सीतल कलंट्री ने कहा कि 64000 लोग हर साल कोर्ट आते है. इन में से 10% केस पर सुनवाई पूरी हो पाती है. 75 साल में 200 से जस्टिस बने, लेकिन महिलाये सिर्फ 11 से 14 ही सुप्रीम कोर्ट में जाज बन पाई हैं.अपर्णा चंद्र ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में कई केसेस ऐसे आते हैं, जो लोअर कोर्ट के होते है. निचली अदालत अगर मामले सुलझये तो सुप्रीम कोर्ट को रहत मिले. चीफ जस्टिस राघवेरेंद्र चौहान ने कहा की ये सही है कि कोर्ट में कई बड़ी संख्या में केसेस पंडिंग हैं. सही गाइडलाइन के साथ सब कुछ सुलझाया जा सकता है.

10 मिलियन केसेस हर साल 
 जस्टिस एस मुरलीधर ने कहा कि साइन भाषा का धन्यवाद करना चाहिए. 10 मिलियन केसेस हर साल आते है.17 बांचेज है सुप्रीम कोर्ट में. 10 साल में प्राथमिकता के साथ केसेस को निपटाया गया है. लोग लम्बी छुट्टियों की शिकायत करते हैं, पर वो समझे की हम कई कमेटियों में हैं, जिसका भी हमें काम करना पड़ता है. टेक्नोलॉजी खासकर AI बड़ी मुश्किल में डाल रहा है. इसकी वजह से हमारी निजी ज़िंदगी सेफ नहीं है, अपराध करने का तरीका अलग हो गया है. इसलिए सभी को टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए.

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