आगामी अफीम नीति को लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने की सांसदों के साथ बैठक
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आगामी अफीम नीति को लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने की सांसदों के साथ बैठक

चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने वर्ष 2022-23 के लिये जारी होने वाली अफीम नीति के विभिन्न सुझाव दिए. सांसद जोशी ने कहा कि अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये किसानों के सुझावों का समावेश आगामी अफीम नीति (2022-23) में करने की आवश्यकता है.

आगामी अफीम नीति को लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने की सांसदों के साथ बैठक

Delhi: आगामी अफीम नीति को लेकर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में संबंधित क्षेत्र के सांसदों के साथ मंगलवार को आयोजित बैठक की गई. 

बैठक में किसानों के पुराने कटे हुये पट्टों की बहाली को लेकर चर्चा की गयी. बैठक में झालावाड़-बारां सांसद दुष्यन्त सिंह, मन्दसौर-नीमच सांसद सुधीर गुप्ता, शाहजहांपुर सांसद अरूण कुमार सागर भी उपस्थित रहे.

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चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने वर्ष 2022-23 के लिये जारी होने वाली अफीम नीति के विभिन्न सुझाव दिए. सांसद जोशी ने कहा कि अफीम किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये किसानों के सुझावों का समावेश आगामी अफीम नीति (2022-23) में करने की आवश्यकता है.

जोशी के सुझाव-
-अफीम खेती में अनियमितताओं में संबधित अधिकारियों पर कठोर कार्यवाही की जाए.
-वर्तमान समय में अफीम खेती में लागत की फसल मूल्य बढ़ाया जाए.
-वर्ष 1998 से अभी तक के सभी प्रकार के पट्टे घटिया मार्फीन से हो या कम औसत से हो या अन्य किसी प्रकार से कटे हों उन्हे बहाल किया जाए.
-अफीम का रकबा समान रूप से बराबर आवंटित किया जाए.
-दैनिक तौल को बन्द कर दिया जाना चाहिये क्योंकि अफीम निकालते समय अफीम में पानी की मात्रा होती है. समय के साथ ही पानी सूखता रहता हैं एवं अफीम का वजन कम होता जाता है.
-जिन किसानों को अफीम लाइसेंस के लिये पात्र माना गया हैं, उन किसानों को विभाग के द्वारा लाइसेंस पात्रता की सूचना लिखित में दी जाए.
-अफीम तौल केन्द्र पर ही अफीम जांच का अंतिम परिणाम प्राप्त हो सके ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाए.
-अफीम फसल बुवाई के 45 दिनों के अन्दर गिरदावरी कार्य पूर्ण कर लिया जाए.
-विगत वर्ष में जिन किसानों को लाइसेंस तो मिल गये लेकिन किसी कारणवश फसल बो नही पाये, ऐसे किसान उसी वर्ष फसल बोने की शर्त के कारण वचित रह गये, उन्हें भी इसी वर्ष फसल बाने की अनुमति प्रदान कि जाए.

-1998-2003 तक वालों को पूर्व में सिर्फ 1 किग्रा की छूट दी गयी थी, इनको 5 किग्रा की छूट प्रदान की जाए.
-जिन किसानों की औसत में 5 वर्ष पूरे नहीं हो रहे हैं, उनको प्रतिवर्ष औसत में छूट प्रदान कि जाए.
-अफीम फसल की नपाई, कच्चे तौल, तौल एवं फैक्ट्री जांच के सिस्टम को पारदर्शी बनाया जाए.
-प्रत्येक किसान के अफीम लाइसेंस को दो भूखंडों में बोने का नियम जो पिछले साल के अलावा सभी विगत वर्षों से चला आ रहा है, उसे पुनः लागू करवाया जाए.
-किसान की मृत्यु के उपरान्त नामान्तरण के बाद न्यूनतम क्षेत्र के लाइसेंस की बजाय उसकी उपज (योग्यता) के अनुसार अफीम लाइसेंस जारी करवाया जाए.
-वर्ष 2001 के पश्चात लगातार 3 वर्ष लाइसेंस मिलने पर फसल हंकवाने वाले काश्तकार को पुनः अवसर प्रदान किया जाना चाहिए.
-लाइसेंस मिलने की योग्यता में न्यूनतम मार्फिन को 3.5 किग्रा न्यूनतम औसत को रखा जाए, तथा किसान की उपज दोनो में से जिसमें में भी योग्यता पूर्ण कर रही हो, उसे लाइसेंस के लिये पात्र माना जाए.
-जिन अफीम काश्तकारों की फसल तौल से पूर्व चोरी हो गयी एवं उन्होने प्राथमिकी दर्ज करवायी. ऐसे किसानों के प्रकरणों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर उन्हें भी अफीम खेती का अवसर प्रदान किया जाना चाहिये.
-लाइसेंस प्राप्त किसान को पानी की कमी के कारण अन्य गांव में फसल बोने की छूट पदान करवायी जाए.
-वर्ष 1998-99 में किसानों को नये लाइसेंस प्रदान किये गये लेकीन पानी की कमी के कारण जो किसान अफीम फसल की बुवाई नहीं कर पाये, विभाग की जानकारी वाले इस प्रकार के किसानों को पुनः लाइसेंस प्रदान करवाये जाए.
-पूर्ववर्ती अफीम पॉलिसी में औसत में छूट देते हुये 103 प्रतिशत के स्थान पर 100 प्रतिशत किया गया. वर्ष 2001-02-03 के काश्तकार इस नीति से वंचित हैं. उन्हें भी इसमें सम्मिलित किया जाए तथा इसमें प्रतिशत में कुछ और छूट प्रदान की जाए.

-मृतक किसानों के नामांतरण उनके उत्तराधिकारी जैसे पत्नी, पुत्र, पुत्री, के अलावा मृतक किसान के विधिक/वैध वारिसान जैसे :- दत्तक पुत्र-पुत्री, पौत्र-पौत्री, या किसान द्वारा आवदेन पत्र में दर्शाए गए वारिसान/उत्तराधिकारी के नाम पर नामांतरण करके प्रक्रिया को आसान किया जाकर किसानों को अनावश्यक परेशानी से बचाया जाए.

-अफीम नीति की घोषणा सितम्बर माह के द्वितीय सप्ताह तथा लायसेंस वितरण सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह तक अनिवार्यत किया जाए.
-अफीम लाइसेंस वितरण प्रक्रिया में नवाचार करते हुए पात्र किसानों को लायसेंस आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए.
-एन.डी.पी.एस. की धारा 8/29 को समाप्त किया जाए तथा डोडा चूरा को इस धारा से बाहर रखा जाए.
-2016-17 में रोके गये 83 काश्तकारों को लाइसेंस दिलाये जाने के संबध में मंत्रालय के द्वारा जारी आदेश दिनांक 11.12.2017 को विड्रो करते हुये उन 83 काश्तकारों को उनके 50 ग्राम अफीम नमूने की जांच रिपार्ट के आधार पर लाइसेंस जारी कराया जाए.

क्या कहना है सांसद जोशी का
सांसद जोशी ने बताया कि पिछले 2014 से 2022 तक विगत 8 वर्षों के दौरान 20 हजार से लाइसेंस को बढ़ाकर 76 हजार तक पंहुचाने का कार्य किया है. सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष की पॉलिसी में किसानों को बड़ी राहत प्रदान की गयी हैं तथा शेष जो पट्टे पहले किसी कारण से कट गये और अभी तक बहाल नही हुये हैं, उनको भी बहाल किये जाने की मांग की. पट्टों का निर्धारण प्राचीन पद्धति के आधार पर ही किया जाए तथा वर्तमान में 5400 हैक्टेयर में अफीम की खेती हो रही हैं. इसका रकबा भी बढ़ाये जाने का आग्रह किया.

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