Rajasthan Politics : खबरों की मानें तो अशोक गहलोत सीएम पद से इस्तीफा देने को तैयार थे. लेकिन उनके सिपहसालारों को अहसास था कि सीएम बदलते ही उनके राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगेगा. इधर सोनिया गांधी उन पर विश्वास करके पूरी कांग्रेस की कमान देने को तैयार थीं. लेकिन अशोक गहलोत ने राजस्थान के सीएम को चुना.
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Rajasthan Politics : राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत वो नाम है, जिनको जादूगर कहा जाता है. जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों की बगावत पर सोनिया गांधी से माफी मांगी और कहा कि पार्टी आलाकमान के फरमान को पूरा नहीं करा पाये, तो ऐसा लगा माना मामला ठंडा पड़ गया हो.
कई राजनीतिक पंडितों को लगने लगा था कि शायद मुख्यमंत्री पद को अशोक गहलोत त्यागने वाले हैं और सचिन पायलट का बरसों पुराना सपना पूरा होने वाला है. लेकिन इसके उलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर अपनी जादूगरी दिखा डाली और विरोधियों और आलाकमान को अपने बयान से अपनी ताकत दिखा दी.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए ऐसी परिस्थिति बन गई है. विधायकों ने मेरी बात भी नहीं मानी. आखिर ऐसी नौबत क्यों आई. पहली बार माफी मांगी है. मोदी सरकार हमेशा कोशिश करेगी कि कैसे सरकार गिरा दें.
अशोक गहलोत यहीं नहीं रूके और कहा कि हमारे विधायकों को अमित शाह ने मिठाई खिलाई थी. 102 लोगों जो पायलट की बगावत के समय साथ खड़े थे, उन्हे कैसे भूल सकता हूं. 10 करोड़ का रेट था, बाद में 10, 20, 50 करोड़ तक बात होने लगी.
चिट्टी में क्या कहना चाहते हैं सीएम गहलोत समझें
1-मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इन बयानों से साफ है कि वो बताना चाहते हैं कि फिलहाल राजस्थान के नेता वहीं हैं. उन्होंने साफ कहा कि जब सचिन पायलट गुट की बगावत से सरकार पर संकट आया था तो उन्होंने और उनके साथ खड़े विधायकों ने सरकार बचाई.
2-कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ना यानि की किस भी कीमत पर मुख्यमंत्री की कुर्सी को अशोक गहलोत छोड़ना नहीं चाहते और पार्टी से नाराजगी भी नहीं दिखे इसलिये मल्लिकार्जुन खड़गे का पलड़ा भारी देख, उनकी तारीफ करना भी नहीं भूले हैं.
3- राजस्थान की राजनीति में जहां राजपूतों, ब्राह्मण और जाटों का वर्चस्व रहा हो वहां खुद को स्थापित करने कर तीन बार सीएम बन जाना अशोक गहलोत की राजनीतिक कुशलता का ही नतीजा है.
4- सीएम अशोक गहलोत जब सोनिया गांधी से मिले तो उनके हाथ की चिट्टी की कुछ लाइने कैमरे में कैद हो गयी. चिट्टी की पहली लाइन में लिखा था जो हुआ बहुत दुखद है मैं भी बहुत आहत हूं.
5-चिट्टी की एक लाइन में RG 1 घंटे - SP/CP (PM) लिखा था-आरजी का मतलब है राहुल गांधी, एसपी मतलब सचिन पायलट और सीपी मतलब डॉ. सीपी जोशी जो कि राजस्थान विधानसभा के स्पीकर हैं.
एक घंटे का जिक्र गहलोत ने राहुल गांधी से एक घंटे की मुलाक़ात को लेकर दिया है. लेकिन पीएम शब्द की मंशा को समझ सकना थोड़ा मुश्किल है. इसके आगे गहलोत लिखते हैं, 'SP will leave parti observer..पार्टी के लिए अच्छा होता
6- गहलोत ने सचिन पायलट की दो साल पहले की बग़ावत को लेकर लाइन में संकेत दिया कि तब पार्टी पर्यवक्षकों ने कहा था कि पायलट पार्टी छोड़ देंगे. ऐसा पार्टी के लिए अच्छा ही होता. इसके आगे गहलोत के काग़ज़ में लिखा था, 'पहला प्रदेश अध्यक्ष जिसने...'- गहलोत ने सोनिया को बताया कि सचिन पहले ऐसे अध्यक्ष थे जिन्होंने अपनी ही सरकार को गिराने की कोशिश की.
7-'102 v/s SP+18'- सरकार के खिलाफ बगावत में 102 विधायक एक तरफ थे जबकि सचिन पायलट के साथ कुल 18 विधायक थे. आगे गहलोत की चिट्टी में आगे लिखा है '10 cr-BJP कार्यालय इसका मतलब था कि सचिन की बगावत के वक्त बीजेपी दफ्तर से विधायकों को दस-दस करोड़ दिए गए थे.
8- गहलोत के काग़ज़ में आगे लिखा था, 'विधायकों में भय इसका अर्थ है कि रविवार को जयपुर में जो हुआ वो विधायकों में पनपे डर के चलते हुआ क्योंकि ऐसी चर्चा थी कि पायलट सीएम बन रहे हैं
9-इस चिट्टी में आगे गुंडागर्दी, पुष्कर ,शकुंतला और चांदना जैसे शब्द लिखे थे. यानि कि गहलोत ने पिछले दिनों गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बैंसला की अस्थि विसर्जन के दौरान हुई घटना का जिक्र भी किया जहां राजस्थान के दो गुर्जर मंत्री शकुंतला रावत और अशोक चांदना मंच पर भाषण दे रहे थे और लोगों ने जूते चप्पल फेंके थे, जिसे अशोक गहलोत ने सचिन पायलट गुट की गुंडागर्दी बताया.
10- क्यों लीक हुई चिट्ठी- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते तो चिट्ठी को छिपाकर भी जा सकते थे, लेकिन उन्होने ऐसा नहीं किया. दरअसल ये एक तरीका था. अपने विधायकों के समझाने का कि आलाकमान तक बात पहुंचा दी गयी है.
शशि थरूर को लेकर कही बड़ी बात
मु्ख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि 'मैं कहां रहूं या नहीं रहूं, ये अलग बात है. मैं विधायकों का अभिभावक हूं. आज दो-चार विधायक मेरे खिलाफ कमेंट भी कर देते हैं तो मैं बुरा नहीं मानता हूं.' फिर मल्लिकार्जुन खड़गे की मुख्यमंत्री ने तारीफ भी की. उन्होंने कहा, खड़गे अनुभवी नेता हैं. शशि थरूर भी अच्छे हैं, लेकिन एलिट क्लास के हैं और साथ ही ये भी कह दिया कि संगठन का अनुभव खड़गे के साथ है जिसकी तुलना थरूर के साथ नहीं की जा सकती है.