Trending Photos
Jaipur: जयपुर के मानसरोवर मेट्रो स्टेशन स्थित रावण बस्ती में 1 जून को लगी आग से प्रभावित लोगों को अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली है, साथ ही पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज करवाने के बाद भी आरोपियों पर पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं. जिसके चलते बस्ती में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. घुमंतू अर्ध घुमंतु एवं विमुक्त जाति परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रतन नाथ कालबेलिया ने बताया कि आदिवासी बस्ती में रहने वाले लोग सोमवार को जले हुए सामान को लेकर मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करेंगे, मार्च में राज्य भर से आदिवासी समाज सेवक तथा कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे. रावण बस्ती में रह रहे परिवारों को बेदखल करने की नियत से उनकी बस्ती में कुछ भू माफियाओं द्वारा आग के हवाले कर दिया, जिसकी रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है ना ही प्रशासन के अधिकारियों ने यहां इन गरीबों की सुध ली हैं. यहां रहने वाले लोगों को कांग्रेस के पूर्व विधायक शिवराम शर्मा ने बसाया था लेकिन उनकी वर्तमान पीढ़ी घनश्याम शर्मा तथा अन्य लोग इन गरीब लोगों को बेदखल करना चाहते हैं.
आग लगने से इनके कपड़े जो कुछ पैसा अन्य सामान बचा था वह सब जलकर खाक हो गया, अब खाना बनाने के लिए चुल्हा तक नहीं है .भरी गर्मी में धूप के नीचे बिना छत के छोटे-छोटे बच्चों एवं बूढ़े मां बाप के साथ रह रहें इन गरीब लोगों की मदद करने के लिए सरकार का कोई भी व्यक्ति नहीं आया है. अब राज्य भर के आदिवासी एवं घुमंतू जाति के लोग इन लोगों के साथ खड़े हो चुके है तथा मांगे नहीं माने जाने तक हजारों घुमंतू एवं आदिवासी लोगों के नेतृत्व में आंदोलन किया जाएगा.
इस मामले में घुमंतु ,अर्ध घुमंतु एवं विमुक्त जाति परिषद ने आंदोलन करने की घोषणा करते हुए सरकार के सामने कुछ मांगों को रखा हैं, जिसमें तबाह हुए परिवारों को तुरंत राहत पैकेज जारी कर उच्च अधिकारीयों के नेतृत्व में आंकलन समिति का गठन कर नुकसान का आंकलन कर मुआवजा दिलाया जाए. इसी के साथ बिना छत के रह रहें इन परिवारों को इनके मकानों को पुरानी अवस्था में तुरंत निर्मित करने, रोजमर्रा के जीवन को आसान बनाने के लिए राहत सामग्री प्रदान करने, नामजद रिपोर्ट में तुरंत कार्रवाई करते हुए आग लगाने के आरोपियों को गिरफ्तार करने, एवं बस्ती में रहने वाले गरीब लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा उपलब्ध करवाने की मांगे शामिल हैं.
Reporter - Anoop Sharma
यह भी पढ़े - जनसुनवाई बनी कागजी खानापूर्ति, नियुक्त अधिकारी भी रहें नदारद