जयपुर ग्रेटर निगम की मेयर सौम्या गुर्जर पर भी बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है. नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर के खिलाफ राज्य सरकार बड़ा एक्शन लेने के मूड दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद अब सरकार, सौम्या गुर्जर को भी पार्षद और मेयर दोनों पद की सदस्यता से हटाया जा सकता है.
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Jaipur: राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच में ग्रेटर निगम की शहरी सरकार मुखिया भी बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है. नगर निगम ग्रेटर मेयर डॉ.सौम्या गुर्जर के खिलाफ राज्य सरकार बड़ा एक्शन लेने के मूड दिख रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद अब सरकार, सौम्या गुर्जर को भी पार्षद और मेयर दोनों पद की सदस्यता से हटाया जा सकता है.
बता दें कि इसके लेकर फिलहाल स्वायत्त शासन विभाग में ड्राफ्टिंग का काम चल रहा है और सुत्रों की माने तो जल्द ही इस बाबत मंजूरी के लिए यूएचडी मंत्री शांति धारीवाल को भेजा जा सकता है.बर्खास्ती को लेकर मेयर के पास अब हाईकोर्ट का ही विकल्प बचा है. जिसके लिए वह मंगलवार को हाईकोर्ट जाकर न्यायिक जांच को चुनौती दे सकती है.वहीं, विधि विशेषज्ञ अशोक सिंह की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किए है, उसके तहत मेयर सौम्या गुर्जर न्यायिक जांच की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज कर सकती है. वहीं सरकार के पास भी अधिकार है कि वह न्यायिक जांच की रिपोर्ट के आधार पर आगे कोई भी नियमानुसार कार्रवाई कर सकती है.
बता दें कि, 23 सितंबर को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में राज्य सरकार को 2 दिन तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा था. जिसका समय 25 सितंबर को पूरा हो गया है और अब सरकार इस मामले पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
यूं हुआ विवाद
4 जून 2021 | जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुई. कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हुई.जिसमें कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया. |
5 जून 2021 | सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक को सौंप दी. |
6 जून 2021 | जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवाई. |
7 जून 2021 | राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया. सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया. जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की. |
1फरवरी 2022 | सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी. |
11 अगस्त 2022 | सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया. |
22 अगस्त 2022 | सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है. इन पार्षदों को भी सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामले की जल्द सुनवाई की मांग की. |
23 सितंबर 2022 | सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्रवाई के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया. |