एमएसएमई सेक्टर जितना मजबूत होगा, प्रदेश में उतना ही विकास होगा- सीएम अशोक गहलोत
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एमएसएमई सेक्टर जितना मजबूत होगा, प्रदेश में उतना ही विकास होगा- सीएम अशोक गहलोत

इंवेस्ट समिट का जेईसीसी में समापन हो गया. समिट का दूसरा दिन एमएसएमई पर केंद्रित रहा. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी एमएमएमई की मजबूती पर जोर दिया और कहा कि जितना एमएसएमई सेक्टर मजबूत होगा प्रदेश में उतना ही विकास होगा.

एमएसएमई सेक्टर जितना मजबूत होगा, प्रदेश में उतना ही विकास होगा- सीएम अशोक गहलोत

Jaipur: दो दिवसीय इंवेस्ट समिट का जेईसीसी में समापन हो गया. समिट का दूसरा दिन एमएसएमई पर केंद्रित रहा. इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी एमएमएमई की मजबूती पर जोर दिया और कहा कि जितना एमएसएमई सेक्टर मजबूत होगा प्रदेश में उतना ही विकास होगा.

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जेईसीसी के रणथंभौर हॉल में आयोजित कॉन्क्लेव और पैनल डिस्कशन में एमएसएमई सेक्टर की भविष्य की तैयारी पर चर्चा करने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम क्षेत्र के अग्रणीय उद्यमी, निवेशक, विचारक और नीति निर्माता मौजूद रहे. बतौर मुख्य अतिथि सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने हमेशा एमएसएमई क्षेत्र के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया है. हमें विश्वास है कि मजबूत एमएसएमई क्षेत्र में विकास से प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

आज देश की जीडीपी में एमएसएमई का 30 प्रतिशत योगदान है. राजस्थान में लगभग 6 लाख से अधिक एमएसएमई उद्योग स्थापित है. यहां 1.35 लाख से अधिक निर्यातक है. इस सेक्टर में रोजगार की सबसे अधिक संभावनाएं हैं. राज्य सरकार ने इसी सोच के साथ एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए अनेक नीतिगत फैसले लिए है. उद्योगपति वहीं आते हैं जहां सभी सुविधाएं मिलती हैं.

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एमएसएमई कॉन्क्लेव के ‘थिंकिंग बिग, थिंकिंग स्मार्ट’ सत्र में कहा कि समिट से प्रदेश में निवेश का एक नया वातावरण बना है. राज्य की नीतियों का इन्वेसटर्स की ओर से खुले मन से तारीफ करना व इन्वेस्टमेंट के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन बताना सफलता का प्रतीक है. हम प्रदेश में ऐसा माहौल विकसित कर रहे हैं, जिससे कि हर क्षेत्र में उद्योग स्थापित हो सकें और रोजगार बढ़ सकें. राज्य सरकार हर समय और हर परिस्थिति में निवेशकों के साथ खड़ी है.

सरकार हर एमओयू और प्रोजेक्ट्स को धरातल पर उतारने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने निवेशकों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार का हर अधिकारी-कर्मचारी समर्पित होकर निवेशकों की आवश्यकताओं को समयबद्ध पूरा कराना सुनिश्चित करेंगे. उद्यमी वहीं निवेश करते है, जहां अच्छा माहौल होता है. हमने सडक तंत्र को मजबूत बनाया है. औद्योगिक विकास के लिए नीतिगत निर्णयों से ऐसा माहौल विकसित किया है कि निवेशकों को समस्याएं नहीं आएंगी. हैप्पीनेस इंडेक्स में हमारी रैंक और प्रतिव्यक्ति आय बढ़ना प्रदेश की सुख समृद्धि को दर्शाता है.

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गहलोत ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने देश में औद्योगिक विकास की नींव रखी. इसके बाद से एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा मिलता गया. नेशनल प्लानिंग कमीशन के आधार पर देश में नीतियां और अधिनियम बने, जिससे विकास संभव हुआ. उसी आधार पर राज्य सरकार भी एमएसएमई को बढ़ावा दे रही है.

2019 में एमएसएमई एक्ट लाया गया

राज्य में एमएसएमई के महत्व, उसकी जरूरतों और उनकी कठिनाइयों को समझते हुए 2019 में एमएसएमई एक्ट लाया गया, यह वरदान साबित हुआ. वर्ष 2022-23 के बजट में इस अधिनियम के तहत एमएसएमई को सरकार की स्वीकृति, अनुमति, निरीक्षण से 3 वर्ष तक मिलने वाली छूट को बढ़ाकर 5 वर्ष कर दिया है. कोविड-19 के दौरान एमएसएमई को जो आर्थिक हानि हुई, उससे राहत दिलाने के लिए अहम फैसले लिए. एमनेस्टी योजना लाकर कई प्रकार की छूट प्रदान की गई.

रिस्क कवरेज का प्रावधान 

नई एमएसएमई नीति का उद्देश्य स्टेट जीडीपी और निर्यात में एमएसएमई के योगदान को बढ़ाना है. एमएसएमई उद्योगों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा और हम निर्यात की दिशा में और आगे बढ़ेंगे. एमएसएमई पॉलिसी में रिसर्च एंड डवलपमेंट में सहायता, ई-बाजार की सुविधा, क्लस्टर डवलपमेंट, सुरक्षा योजना और रिस्क कवरेज का प्रावधान भी किया गया है.

सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका

राज्य सरकार हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने में अग्रणी है. सितंबर में ही प्रथम हस्तशिल्प नीति लॉन्च की गई. यह हैंडीक्राफ्ट यूनिट के उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग, लुप्त हो रहे परंपरागत हैंडीक्राफ्ट्स को बचाने और उत्पादों को नया स्वरूप देकर निर्यात योग्य बनाने और दुनिया में पहचान दिलाने की दृष्टि से महत्वपूर्ण सिद्ध होगी. उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बहुत ही जीवंत क्षेत्र है. राज्य मे कुल मौजूदा उद्योगों में अधिकांश उद्योग एमएसएमई श्रेणी में आते हैं. इनमें वस्त्र, शिल्प, खनन, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण धातु, फुटवियर, जैने अनेक उद्योग इस कैटेगरी में आते है. एमएसएमई उद्योग सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

देश की जीडीपी में एमएसएमई की 31 फीसदी

इस अवसर पर राजस्थान स्माल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के चेयरमेन राजीव अरोड़ा ने कहा कि देश की जीडीपी में एमएसएमई की 31 फीसदी और निर्यात में 48 फीसदी भागीदारी है. एमएसएमई पर आयोजित इस कॉन्क्लेव के दौरान साझा की गई जानकारी अत्यंत आवश्यक है. मुख्य सचिव उषा शर्मा ने कहा कि एमएमएमई को औद्योगिक विकास की बैकबॉन माना जाता है. प्रदेश के विकास में एमएमएमई अहम भूमिका निभा रहा है. प्रदेश में 6 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जिनसे 37 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है. प्रदेश की एमएसएमई इकाइयों में पिछले वर्ष 72 हजार करोड़ का निर्यात किया गया है. एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की ओर से 2019 में पॉलिसी लाई गई.

एमएसएमई कॉन्क्लेव में ग्रोथ स्ट्रेटजी

 थिंकिंग बिग थिंकिंग स्मार्ट‘ विषय पर उद्यमियों ने अपने विचार रखे. उन्होंने राज्य में एमएसएमई के विकास के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की और अपनी सफलता की कहानी साझा की. सत्र का संचालन ग्रैंट थार्नटन भारत एलएलपी के नेशनल सेक्टर लीडर कुणाल सूद ने किया. उन्होंने एमएसएमई के विकास में तकनीक के समावेश से इस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि हमारे विविधता से भरे घरेलू बाजार के कारण ही विश्व की आर्थिक मंदी से हम काफी हद तक अप्रभावित रहे. पैनल डिस्शन के दौरान नेशनल इंजीनियरिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं सीईओ रोहित साबू; एस. रमन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सिडबी ने भी अपनी बात कही. आदिल जैनुलभाई अध्यक्ष क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया ने ‘जीरो इफेक्ट जीरो डिफेक्ट‘ पर अपने अनुभव शेयर किये.

पैनल डिस्कशन के बाद लर्न फ्रॉम द बेस्ट, हाउ टू स्केल योर बिजनेस थीम पर एक्सपीरियंस शेयरिंग सैशन आयोजित किया गया. जिसमें उद्योगपति मनु यंत्रालय प्राइवेट लिमिटेड प्रबंध निदेशक अभिनव बांथिया, हाई-टेक समूह दीप कपूरिया, अध्यक्ष,  श्री समीर गुप्ता, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, जैक्सन ग्रुप, एम पोन्नुस्वामी, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, पोन प्योर केमिकल्स ने अपने अनुभव और विचार साझा किये.

Reporter- Bharat Choudhary

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