Sawan 2023: ये है सावन का इतिहास, भगवान ब्रह्मा और विष्णु को इसी माह लेनी पड़ी थी भोलेनाथ की मदद
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Sawan 2023: ये है सावन का इतिहास, भगवान ब्रह्मा और विष्णु को इसी माह लेनी पड़ी थी भोलेनाथ की मदद

History of Sawan: सावन माह में कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi), मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat), हरियाली तीज(Hariyali Teej), नाग पंचमी (Nag Panchami), रक्षा बंधन (Raksha Bandhan), नराली पूर्णिमा (Narali Purnima) और कल्कि जयंती (Kalki Jayanti) पड़ने की वजह से इस माह को खास माना जाता है.

 

Sawan 2023: ये है सावन का इतिहास, भगवान ब्रह्मा और विष्णु को इसी माह लेनी पड़ी थी भोलेनाथ की मदद

Significance and story of Sharavan month: मानसून देश के अधिकांश हिस्सों में प्रवेश कर चुका है, श्रावण मास 4 जुलाई (मंगलवार) से शुरू होने वाला है. हिन्दू इस पूरे माह में भगवान शिव (Lord Shiva) और मां पार्वती (Parvati) की पूजा की जाती है. भक्त भगवान शिव (Bhagwan shiv) के लिए हर सोमवार को व्रत (सावन सोमवार) रखते हैं और पंचामृत, गुड़, भूना चना, बेल पत्र, धतूरा, दूध, चावल और चंदन आदि का प्रसाद चढ़ाते हैं. माता पार्वती (Mata Parvati) के लिए मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) को इस पवित्र माह के हर मंगलवार को मनाया जाता है.

इस साल, सावन का महीना 4 जुलाई (मंगलवार) से शुरू होकर 31 अगस्त (गुरुवार) तक चलेगा. यह सावन इस बार विशेष होगा, क्योंकि 19 सालों के बाद श्रावण का शुभ समय अधिक श्रावण मास के कारण दो महीने तक रहेगा. श्रावण इस साल 59 दिनों का होगा और चार के बजाय आठ सोमवार या सोमवार व्रत मनाए जाएंगे.

ये रहा सावन का पूरा कैलेंडर (Shravan Somwar fast calendar)
 
4 जुलाई 2023 (मंगलवार): श्रावण मास की शुरुआत

10 जुलाई 2023 (सोमवार): पहला सावन सोमवार व्रत

17 जुलाई 2023 (सोमवार): दूसरा सावन सोमवार व्रत

24 जुलाई 2023 (सोमवार): तीसरा सावन सोमवार व्रत

31 जुलाई 2023 (सोमवार): चौथा सावन सोमवार व्रत

7 अगस्त 2023 (सोमवार): पांचवा सावन सोमवार व्रत

14 अगस्त 2023 (सोमवार): छठा सावन सोमवार व्रत

21 अगस्त 2023 (सोमवार): सातवा सावन सोमवार व्रत

28 अगस्त 2023 (सोमवार): आठवा सावन सोमवार व्रत

31 अगस्त 2023 (गुरुवार): श्रावण मास का अंतिम दिन

सावन महीने का इतिहास (History of Shravan month)

श्रावण मास (Shravan Mas) के दौरान Bhagwan shiv की पूजा करने का इतिहास समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के समय जाता है, जब देवताओं और असुरों ने अमृत या अजर अमरता की खोज के लिए एकजुट हुए थे. चर्चा करने से बहुत सारी चीजें सामने आईं, जैसे मणियां, गहने, पशु, देवी लक्ष्मी, धनवंतरि. इसी दौरान हलाहल नामक एक जघन्य विष निकला और जो भी उसके संपर्क में आता था, वह नष्ट होने लगता था. जिसके बाद भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने भगवान शिव (Lord Shiva) की मदद मांगी, क्योंकि केवल वही इस तेजस्वी विष को सहन करने के योग्य थे. उन्होंने इसे पी लिया और जल्द ही उनका शरीर नीला होने लगा. चिंतित होकर देवी पार्वती (Goddess Parvati) ने भगवान के पूरे शरीर में विष फैलने से बचाने के लिए उनके गले में प्रवेश किया और विष को आगे फैलने से रोक दिया. इस घटना के बाद भगवान शिव को "नीलकंठ" ("Neelkanth") कहा जाने लगा.

सावन महीने का महत्व (Significance of Shravan month)

सावन का महीना हिन्दुओं के लिए शुभ माना जाता है क्योंकि इसमें सावन सोमवार व्रत के अलावा कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं. द्रिगपंचांग के अनुसार, कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi), मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat), हरियाली तीज(Hariyali Teej), नाग पंचमी (Nag Panchami), रक्षा बंधन (Raksha Bandhan), नराली पूर्णिमा (Narali Purnima) और कल्कि जयंती (Kalki Jayanti) त्योहार और व्रत इस माह में मनाए जाते हैं. इस पवित्र माह में, शिव भक्त अपनी कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) शुरू करते हैं और पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं और Bhagwan Shiv को गंगा जल (Ganga Jal) चढ़ाते हैं.

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