भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश रहा है. यहां की संस्कृति, खान-पान, खगोल, दर्शन सभी मायनों में भारत के मुकाबले दुनिया में दूसरा देश नहीं था.
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JAIPUR: भारत दुनिया का सबसे समृद्ध देश रहा है. यहां की संस्कृति, खान-पान, खगोल, दर्शन सभी मायनों में भारत के मुकाबले दुनिया में दूसरा देश नहीं था. इसीलिए इस देश को आक्रांताओं ने बार-बार लूटा. गरीब और संस्कृति विहीन देश पर तो किसी ने आक्रमण नहीं किया. यह कहना था भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी के.के पाठक का.
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आई.ए.एस के.के पाठक शुक्रवार को झालाना के अकादमी संकुल में शुरू हुए , तीन दिवसीय संस्कार संस्कृति शिविर के उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. यहा अकादमी संकुल में आज़ादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत राजस्थान संस्कृत अकादमी के कला एवं संस्कृति विभाग , ललित कला अकादमी, राजस्थान सिंधी अकादमी एवं करुणा संस्थान के संयुक्त तत्त्वावधान में 24 से 26 जून तक तीन दिवसीय संस्कार - संस्कृति शिविर का आयेाजन किया गया.
शिविर में कक्षा 10 से स्नातक तक सरकारी/निजी शिक्षण संस्थाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी भाग ले रहे हैं. इस मौके आई.ए.एस के.के पाठक के बाद जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास और संस्कृतिविद् पंकज ओझा ने भी विचार रखे. जस्टिव गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि, राष्ट्र, समाज और परिवार विषय पर अपने विचार रखते हुए, कई रोचक उदाहरणों से कर्तव्य की महत्ता समझाई. उन्होंने कहा कि कोई भी काम छोटा नहीं होता. पिता से कोई काम करने की सलाह मांगने पर उन्होंने कहा कि, घर के बाहर जो मोची है, उसके पास तू भी एक दुकान लगा ले और उस जैसा बन क्योंकि वो बेहतरीन पॉलिश करता है. इसलिए उसके यहां पॉलिश के लिए लोग दो दो दिन की प्रतीक्षा करते हैं.
व्यास ने कहा कि मेरे कहने का अर्थ ये है कि इनसान कोई भी काम करे उसे अपने काम में माहिर होना चाहिए. हर व्यक्ति का जीवन उसका दर्पण होता है जिसमें झांककर वो खुद का विश्लेषण कर सकता है.
Reporter: Anoop Sharma
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