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Rajasthan News: प्रदेश में मानसून का दौर लगातार जारी है, शहरी इलाकों में तो बरसात का पानी बह जाता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पानी की निकासी नहीं होने के कारण ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खास तौर पर वह बालक बालिकाएं, जो घर से दूर दराज स्कूल में पढ़ने के लिए जाते हैं. ऐसे विद्यार्थियों को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे बच्चों की परेशानी को दूर करने के लिए कई ग्रामीण आगे आ रहे हैं जिससे बच्चों का भविष्य संवर सके.
प्रदेश में भर रहा बारिश का पानी
प्रदेश में इस बार सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की जा रही है, कई इलाकों में तो अभी भी पानी का तेज बहाव बना हुआ है. जयपुर के समीप चाकसू कस्बे के हालात इन दोनों विकट बने हुए हैं. क्षेत्र में तेज बरसात के बाद छात्र छात्राओं को स्कूल जाने में भारी परेशानी हो रही है. देवगांव से करीब 15 छात्र छात्राएं सरकारी स्कूल रूपवास में पढ़ने आते हैं.
चाकसू में टूटा बरसात का रिकॉर्ड
करीब 2 से 3 फीट पानी को पार कर छात्र छात्राएं स्कूल जाते हैं. इस बार चाकसू क्षेत्र में हो रही बरसात ने पिछले कई वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है. गत दस वर्ष की बात करें तो इस बार सबसे अधिक 957 MM बरसात हो चुकी है. जबकि अभी मानसून बाकी है. अधिक बरसात से क्षेत्र के लगभग सभी बांध और तालाबों पर चादर चल रही है.
अनेक गांवों में आवागमन का मार्ग बाधित हो रहा है. कई इलाके पिछले एक माह से पानी से घिरे हुए है. लगातार पानी भरे रहने से मकानों में सीलन आने लगी है, और भूजल स्तर बढ़ा है. वहीं लगातार हो रही बरसात ने आमजन समेत छात्र छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ग्रामीणों को हो रही परेशानी
चाकसू उपखंड के रूपवास गांव मैं छात्र छात्राओं और ग्रामीणों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रूपवास स्कूल में देवगांव समेत अन्य ढाणियों के बच्चो को स्कूल आने जाने के लिए रास्ते में भरे करीब दो से तीन फीट पानी पार कर स्कूल जाना पड़ता हैं, जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है. स्थानीय ग्रामीण किशन लाल चौधरी ने बताया की देवगांव से करीब 15 बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने रूपवास आते हैं. रास्ते में करीब दो से तीन फीट पानी भराव होने से विकट समस्या से गुजरना पड़ रहा हैं, रोजाना सुबह शाम बच्चो को पकड़कर नाला पार कराता हूं, इस दौरान पानी भराव होने से हादसे का भय बना रहता हैं.
एक गांव से दूसरे गांव पढ़ने जाते हैं छात्र
बता दें कि देवगांव से रूपवास आने के लिए जो मुख्य मार्ग है उसमे तालाब के कैचमेंट एरिया में होने से बरसात के बाद चार से पांच फीट पानी भर गया हैं जिससे देवगांव, तामडिया समेत अन्य आसपास की ढाणियों का आवागमन का संपर्क लगभग टूट चुका हैं. देवगांव से स्कूल आने वाले करीब 15 बच्चे दूसरे वैकल्पिक रास्ते से स्कूल आते हैं, लेकिन उस रास्ते पर भी दो से तीन फीट पानी भरा हुआ हैं.
जान जोखिम में डालकर रास्ता कर रहे पार
छात्र छात्राओं को मजबूरन जान जोखिम में डालकर रास्ते में भरे गहरे पानी से निकलना पड़ रहा हैं. हालाकि स्थानीय ग्रामीणों ने अपने खर्चे से करीब 400 मिट्टी के कट्टे डालकर रास्ता बनाने की कोशिश की है लेकिन पानी अधिक होने से मिट्टी के कट्टे कम पड़ गए. स्थानीय निवासी सेवानिवृत अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रमेश चंद शर्मा ने मीडिया के माध्यम से प्रशासन से मांग करते हुए कहा कि देवगांव सहित अन्य कुछ ढाणियों के बच्चो को जल भराव के चलते स्कूल आने में बहुत बहुत परेशानी हो रही है. अधिक पानी होने से छात्र-छात्राओं में डर बना रहता है, उन्होंने स्थानीय प्रशासन से अनुरोध किया कि बरसात के चलते अभी तत्काल स्थाई समाधान तो नहीं हो सकता लेकिन आपदा राहत से मिट्टी के कट्टे डलवाकर प्रशासन द्वारा तत्काल अस्थाई समस्या समाधान किया जा सकता है. जिससे स्कूल के बच्चो को आने जाने में परेशानी नहीं हो.
छात्र-छात्राओं ने बताई परेशानी
देवगांव से रूपवास स्कूल आने वाली छात्राओं ने बताया की बरसात आने के बाद से रास्ते में पानी भरा हुआ हैं. जिससे स्कूल आने जाने में परेशानी होती हैं और हादसे का अंदेशा बना रहता हैं हालाकि किशन बाबा रोजाना सुबह शाम हमारी मदद कर पानी पार करवाते हैं जब पानी अधिक होता तो हम स्कूल भी नही जा पाते हैं. हालाकि ग्रामीणों में मिलकर रास्ते में भरे पानी में करीब चार सो मिट्टी के कट्टे डालकर रास्ता बनाया हैं लेकिन ये कट्टे भी कम पड़ गए. प्रशासन द्वारा इस रास्ते में कटे डलवा कर ठीक करवाया जावे तो हमें राहत मिले.
प्रशासन को इस समस्या का स्थाई समाधान करना चाहिए लेकिन बरसात के मौसम के चलते जब तक स्थाई समाधान नहीं होता है. बरहाल जहा रास्ते में जल भराव है वहां पर मिट्टी के कट्टे डालकर अस्थाई तौर पर तो ग्रामीणों समेत स्कूली बच्चो को राहत पहुचानी चाहिए, जिससे आवागम में परेशानी नहीं हो, स्थाई तौर पर तो मिट्टी के कट्टे डलवा कर आवागमन को सुगम किया जा सकता है, जिससे छात्र-छात्राएं ग्रामीणों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. जयपुर ग्रामीण से अनूप शर्मा के साथ मुकुट बिहारी शर्मा जी मीडिया.
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