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Alien News: राजस्थान के एक अंतरिक्ष उत्साही प्रोफेसर ने अपनी आकस्मिक खोज में चंद्रमा पर एक गूढ संरचना की खोज करने का दावा किया है जो शायद चंद्रमा पर परग्रही यानि एलियन जीवन का पहला प्रत्यक्ष प्रमाण हो सकता है. न्यूयॉर्क से प्रकाशित एक अमेरिकी वैज्ञानिक पत्रिका नेचर एंड साइंस के अप्रैल 2023 अंक में प्रकाशित अपने शोध पत्र में डॉ. हरि मोहन सक्सेना ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर शेकलटन क्रेटर से सटे एक बड़े ढांचे की खोज करने का दावा किया है जिसकी श्री यंत्र के साथ एक उल्लेखनीय समानता है.
उन्होंने चंद्रमा पर मौजूद संरचना की नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर पर लगे कैमरे (LROC) द्वारा ली गई चंद्र इमेजरी से प्राप्त वास्तविक तस्वीरें सामने रखी है जो सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं. श्री यंत्र एक बहुत ही विशेष ज्यामितीय उपकरण है जिसे वास्तु शास्त्र का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है. यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है. समृद्धि और लाभकारी प्रभावों के लिए श्री यंत्र को घरों और धार्मिक भवनों में रखा जाता है.
प्रोफेसर सक्सेना का दावा है कि यदि चंद्र सतह पर उनके द्वारा देखी गई संरचना वास्तव में एक श्री यंत्र है, तो यह चंद्र अन्वेषण के इतिहास को बदल सकता है क्योंकि यह हिंदू धर्म, वास्तुकला और दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसका वर्णन सबसे पुराने धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में किया गया है. चंद्रमा पर श्री यंत्र की तैनाती का अर्थ होगा हिंदुओं द्वारा चंद्रमा पर उपनिवेश स्थापित करने का सबसे पहला प्रयास.
डॉ. सक्सेना लुधियाना से इम्यूनोलॉजी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं और इससे पहले पटना में डीन स्नातकोत्तर अध्ययन और रूस में भारतीय दूतावास में वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्य कर चुके हैं. उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में एमआईटी में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष विश्वविद्यालय और नासा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने एक अंतर्राष्ट्रीय लूनर बेस डिजाइन परियोजना पर काम किया.
डॉ. सक्सेना ने इससे पहले अपने भाई जगमोहन सक्सेना, एक सेवानिवृत्त बैंकर के साथ संयुक्त रूप से चंद्रमा पर खोए हुए भारतीय लूनर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की खोज की थी, जिसने लैंडर के नष्ट होने के नासा समर्थित व्यापक रूप से प्रचारित दावे को चुनौती दी थी. अंतरिक्ष उत्साही जोड़ी ने लैंडर और रोवर पर अपने निष्कर्षों को प्रकाशित किया था, साथ ही लैंडर और रोवर दोनों के साबुत होने तथा सक्रिय होने के प्रमाण दिखाने वाली तस्वीरें भी प्रकाशित की थीं. प्रोफेसर सक्सेना ने अपनी इस रिसर्च को लेकर नासा और इसरो से भी संपर्क किया है.
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