Rajasthan News: प्रदेश में इस साल का रबी सीजन किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आया है. कृषि विभाग ने रबी सीजन के अंतिम आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें साफ है कि प्रदेश में गेहूं का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी बढ़ा है.
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Rajasthan News: प्रदेश में इस साल का रबी सीजन किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आया है. कृषि विभाग ने रबी सीजन के अंतिम आंकड़े जारी किए हैं, जिनमें साफ है कि प्रदेश में गेहूं का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 18 फीसदी बढ़ा है. यह बढ़ोतरी प्रदेश में किसानों के लिए खुशहाली के साथ ही कृषि विभाग के अफसरों के लिए भी नई उपलब्धि लेकर आई है. प्रदेश में रबी सीजन की फसलों की कटाई और उपज अब अन्नदाता के घरों और गोदाम तक पहुंच गई है.
यह उपज प्रदेश के किसानों के लिए खुशहाली लेकर आई है. दरअसल बड़ी बात यह है कि इस बार प्रदेश में गेहूं की उपज करीब 18 फीसदी बढ़ी है. यह बढ़ोतरी कृषि विभाग के आंकड़ों में दर्शाई गई है. कृषि विभाग का कहना है कि 18 फीसदी की बढ़ोतरी से प्रदेश में खाद्यानों की कमी नहीं रहेगी. दरअसल पिछले साल की तुलना में 18 लाख 31 हजार 844 टन अधिक गेहूं का उत्पादन हुआ है. गेहूं की उपज बढ़ने के पीछे सरसों की बुवाई कम होने को बड़ा कारण माना जा रहा है.
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पिछले 3 साल से सरसों की फसल की खरीद की दरें लगभग स्थिर हैं. कोविड से पहले तक जहां सरसों की खरीद दर 9 हजार रुपए प्रति 100 किलोग्राम तक थी, वहीं अब यह दर मात्र 5 हजार के आस-पास रह गई है. ऐसे में सरसों की बुवाई करने वाले किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए किसानों ने इस बार गेहूं की अधिक बुवाई की थी. पिछले साल की तुलना में 1 लाख 28 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की अधिक बुवाई की गई थी.
पिछले साल रबी फसलों में गेहूं का उत्पादन 1 करोड़ ढाई लाख टन रहा. इस साल रबी में गेहूं की उपज 1 करोड़ 21 लाख टन हुई. पिछले साल से 18 लाख 31 हजार टन अधिक गेहूं की उपज हुई. मक्का का पिछले साल उत्पादन 86388 टन था. इस साल 1 लाख 5 हजार टन मक्का का उत्पादन रहा मतलब 19 हजार टन वृद्धि हुई.
जौ की उपज पिछले साल 9 लाख 47 हजार टन रही थी. इस साल 10 लाख 26 हजार टन जौ रहा कुल 79 हजार टन बढ़ोतरी हुई. चना का उत्पादन पिछले साल 19 लाख 77 हजार टन रहा था. इस साल 22 लाख 34 हजार टन रहा मतलब कुल 2 लाख 57 हजार टन की बढ़ोतरी हुई. पिछले साल तारामीरा का उत्पादन 91255 टन था, इस साल तारामीरा 1 लाख 47 हजार टन रहा 56 हजार टन की बढ़ोतरी हुई.
दूसरी तरफ जिन फसलों की उपज में कमी आई है, उनमें सरसों सबसे आगे है. हालांकि जिस अनुपात में सरसों बुवाई के क्षेत्रफल में कमी आई है, उस अनुपात में सरसों के उत्पादन में कमी नहीं हुई है. सरसों के क्षेत्रफल से उपज की तुलनात्मक बात की जाए तो जहां सरसों का क्षेत्रफल 10.91 प्रतिशत कम हुआ है. वहीं उपज में गिरावट मात्र 1.16 फीसदी दर्ज की गई है. इस तरह से कहा जाए तो कम क्षेत्रफल में औसतन अधिक उपज मिली है.
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सरसों का उत्पादन पिछले साल 63 लाख 30 हजार टन था जबकि इस साल 62 लाख 56 हजार टन रहा. यानी सरसों की उपज में 74 हजार टन की कमी रही. दरअसल पिछले साल सरसों का रकबा 44 लाख 25 हजार हैक्टेयर था. जबकि इस साल सरसों का रकबा 39 लाख 42 हजार हैक्टेयर था. यानि पिछले साल से 4 लाख 83 हजार हैक्टेयर में कम सरसों बुवाई हुई. सरसों का सही उपज मूल्य नहीं मिलने से किसानों में रुझान घटा रबी सीजन का कुल रकबा पिछले साल 1 करोड़ 14 लाख हैक्टेयर था, जबकि इस साल यह घटकर 1 करोड़ 12 लाख हैक्टेयर रहा.