उदयपुर-श्रीगंगानगर में ERT की नई यूनिट की जरूरत, ATS-SOG का प्रस्ताव, जानिए आखिर यहां क्यों है जरूरी
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उदयपुर-श्रीगंगानगर में ERT की नई यूनिट की जरूरत, ATS-SOG का प्रस्ताव, जानिए आखिर यहां क्यों है जरूरी

Jaipur: राजस्थान में वीवीआईपी सुरक्षा, आतंकी और हथियारबंद अपराधियों से उत्पन्न खतरों को दूर करने के लिए प्रदेश दो और आपदा प्रतिकार दल (ERT) की जरूरत है. पुलिस मुख्यालय ने राज्य सरकार से उदयपुर और श्रीगंगानगर में ERT यूनिट के गठित करने की मांग की है.

फाइल फोटो.

Jaipur: राजस्थान में विशेष परिस्थितियों में खासकर आतंकी हमले, बंधक बनाने और हथियारबंद अपराधियों से होने वाले खतरों से मुकाबले के लिए इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम का गठन किया हुआ है. इनके साथ ही वीवीआईपी और वीआईपी सुरक्षा के फर्स्ट रेस्पॉन्डर के रूप में भी कार्य कर रही है ईआरीटी. प्रदेश में संभाग मुख्यालयों पर 9 ईआरटी दलों का गठन किया हुआ है. इन विशेष परिस्थितियों के प्रतिकार के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है. ईआरटी द्वारा देश की प्रतिष्ठित एजेंसियों जैसे एन.एस.जी. के साथ प्रशिक्षण एवं विभिन्न महत्त्वपूर्ण संस्थानों के परिचयीकरण, मॉकड्रिल व अन्य कई महत्त्वपूर्ण ऑपरेशन्स किए जाते हैं.  फिलहाल गृह विभाग में पीएचक्यू के इस प्रस्ताव पर मंथन किया जा रहा है, बजट सत्र में ईआरटी यूनिट की घोषणा होना संभव है. 

इन सभी कार्यों के लिए अपनी शारीरिक एवं व्यवसायिक दक्षता बनाए रखने के लिए निरन्तर शारीरिक अभ्यास, बिल्डिंग इन्टरवेशन एवं छदम कवायद आदि करते रहने की आवश्यकता होती है. इसके लिए श्रीगंगागनर एवं उदयपुर में आपात प्रतिकार दल (ईआरटी) जरूरत बताई गई है.

उदयपुर में ईआरटी क्यों है जरूरी 
उदयपुर संभाग राजस्थान का एक महत्वपूर्ण एवं क्षेत्रफल की दृष्टि से काफी बड़ा संभाग है. उदयपुर संभाग मुख्यालय के जिले उदयपुर की जयपुर मुख्यालय से दूरी 400 किलोमीटर है, बांसवाड़ा जिला मुख्यालय की दूरी 500 किलोमीटर से अधिक है. उदयपुर संभाग में अधिकांश आबादी आदिवासी समुदाय की है, इसका भौगोलिक क्षेत्रफल अधिकांशतया पहाड़ी एवं अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है. उदयपुर संभाग में आदिवासी समुदाय की बहुलता के कारण आए दिन उनकी जातीय पंचायतों संबंधी विवाद होते रहते हैं. ये विवाद कभी-कभी उग्र रूप धारण कर लेते हैं, काफी हिंसक हो जाते हैं. 

ऐसी स्थिति उदयपुर संभाग में एक प्रशिक्षित एवं कमांडो कार्रवाई में दक्ष एवं सक्षम पुलिस बल की आवश्यकता महसूस की जा रही है. अभी हाल ही में उदयपुर-डूंगरपुर हाईवे एवं ऋषभदेव कस्बे में आदिवासी समुदाय द्वारा किया गया. आंदोलन काफी उग्र होने से राज्य के अन्य स्थानों से पुलिस अधिकारियों एवं कार्मिकों को स्थिति कंट्रोल करने के लिए उदयपुर संभाग में लगाया गया था. उदयपुर संभाग की भौगोलिक परिस्थिति सामरिक महत्व तथा अभी हाल ही में घटी घटनाओं को दृष्टिगत रखते हुए उदयपुर संभाग मुख्यालय के लिए एक नई ईआरटी का गठन जरूरी है.

श्रीगंगानगर में इसलिए जरूरत है ईआरटी की 
श्रीगंगानगर जिलें में इंटरनेशनल बॉर्डर, सीमावर्ती राज्य पंजाब में खालिस्तानी आलगाववादी विचारधारा के पनपने, सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी होने से नई ईआरटी यूनिट का गठन अत्यन्त आवश्यक है.

ईआरटी के लिए इन पदों की जरूरत होगी 
उदयपुर -श्रीगंगानगर ईआरटी के लिए कंपनी कमांडर 2 , प्लाटून कमाण्डर 8 , हैड कांस्टेबल 8 , कांस्टेबल 56 के पद सृजित करने की मांग की गई है, दोनों ईआरटी के लिए कुल 74 पदों की मांग की गई है. इन नवसृजित ईआरटी के पदों पर करीब दो करोड़ रुपए का सालाना आर्थिक भार आएगा.

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