राजस्थान में जिलों की जिम्मेदारी मिलने के मामले में डायरेक्ट सेवा के युवा आईएएस अधिकारियों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है और प्रमोटी आईएएस अफसरों की जिलों में हिस्सेदारी घटती जा रही हैं. जयपुर सहित प्रदेश के 25 जिलों में 30 से 39 उम्र के युवा अफसर जिलों में कमान संभाले हुए हैं. इनमें से कुछ युवा आईएएस अफसर तो ऐसे है जो पहली बार जिलों में कलेक्ट्री कर रहे हैं.
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Rajasthan News: गहलोत सरकार को उम्मीद है कि युवा और जोशीले चेहरों की मदद से जमीन पर बड़ा बदलाव करने में मदद मिलेगी. धरातल पर काम होगा और आमजन की समस्याओं का समाधान होगा साथ में सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का आमजन तक लाभ पहुंच सकेगा. यही कारण है राजस्थान में पुराने जिलों से लेकर नए जिलों में सबसे ज्यादा डायरेक्ट सेवा वाले युवा आईएएस अफसरों के पास जिलों की कमान हैं. इतना ही महिला युवा आईएएस के पास भी जिलों की कमान हैं.
राजस्थान में जिलों की जिम्मेदारी मिलने के मामले में डायरेक्ट सेवा के युवा आईएएस अधिकारियों का दबदबा लगातार बढ़ रहा है और प्रमोटी आईएएस अफसरों की जिलों में हिस्सेदारी घटती जा रही हैं. प्रदेश के पुराने गठित जिलों से लेकर नए जिलों में डायरेक्ट सेवा वाले युवा आईएएस अफसर कमान संभाले हुए हैं. जिसमें नौ महिला आईएएस भी शामिल हैं. जयपुर सहित प्रदेश के 25 जिलों में 30 से 39 उम्र के युवा अफसर जिलों में कमान संभाले हुए हैं. इनमें से कुछ युवा आईएएस अफसर तो ऐसे है जो पहली बार जिलों में कलेक्ट्री कर रहे हैं. कार्मिक विभाग के अनुसार जयपुर और जोधपुर ऐसे जिले हैं जहां सबसे ज्यादा जिलों का अनुभव वाले आईएएस के पास कलेक्ट्री करने का जिम्मा हैं. जयपुर में प्रकाश राजपुरोहित का छठा जिला है जहां उन्हें कलेक्ट्री करने का मौका सरकार ने दिया हैं.
वहीं जोधपुर में हिंमाशु गुप्ता चौथे जिले की कमान संभाले हुए हैं जबकि नमित मेहता,भगवती प्रसाद कलाल, सिद्धार्थ सिहाग, आलोक रंजन के पास तीसरे जिले की जिम्मेदारी हैं. वहीं 33 में से 15 जिलों में पहली बार वालों को जिले की कमान दी गई है. इसमें से 6 प्रमोटी और 9 युवा आईएएस है. वहीं 12 अफसर ऐसे हैं जिन्हें दूसरी बार कलेक्ट्री करने का मौका मिला हुआ हैं.
प्रकाश राजपुरोहित जयपुर में, भगवती प्रसाद कलाल बीकानेर, रूकमणि रियार हनुमानगढ, सिद्धार्थ सिहाग चूरू, हिंमाशु गुप्ता जोधपुर में, नमित मेहता पाली में, आलोक रंजन झालावाड में, अरविंद पोसवाल चित्तौडगढ में, चिन्मयी गोपाल टोंक में, भारती दीक्षित अजमेर में, सुरेश कुमार ओला झालावाड में, कमर चौधरी दौसा में, भंवरलाल सिरोही में, आशीष मोदी भीलवाडा में, पीयूष सामरिया नागौर में, अंकित कुमार सिंह करौली में, नीलाभ सक्सेना राजसमंद में, निशांत जैन जालौर में, खुशाल यादव झुंझुनूं में, लोकबंधु भरतपुर में, सौरभ स्वामी श्रीगंगानगर में, इंद्रजीत यादव प्रतापगढ में, टीना डाबी जैसलमेर मे और रविन्द्र गोस्वामी बूंदी में कमान संभाले है.
पुखराज सैन अलवर में, ओपी बुनकर कोटा में, ताराचंद मीना उदयपुर में, नरेन्द्र गुप्ता बारां में, अनिल कुमार अग्रवाल धौलपुर में, लक्ष्मी नारायण मंत्री डूंगरपुर में, प्रकाश चंद शर्मा बांसवाडा में, अरूण कुमार पुरोहित बाड़मेर में कलेक्टर के पद पर तैनात हैं.
उधर हाल में सरकार ने बजट घोषणा में नए जिलों की घोषणा भी की हैं. जहां 15 जिलों के लिए आईएएस अधिकारियों को विशेषाधिकारी (OSD) नियुक्त किए हैं. इनमें नए जिलों में भी युवा आईएएस अफसरों को तरजीह दी गई हैं. जिलों की कमान युवा आईएएस (31 से 38 उम्र ) के अफसरों के हाथ में दी गई हैं. वहीं सात जिलों में तजुर्बेकार अफसरों को दी गई हैं. अब इन्हीं अधिकारियों की देखरेख नए जिलों के स्वरूप का खाका खींचा जाएगा. इनके निर्देशन में ही जिला प्रशासन का ढांचा तैयार होगा.
यह अधिकारी नए जिलों के लिए गठित रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों पर नए जिलों का खाका खीचेंगे. कमेटी की सिफारिशों का परीक्षण करके नए जिलों का स्वरूप तय करने के लिए सभी प्रस्ताव तैयार करेंगे. इसी आधार पर ही नए जिलों की ढांचागत व्यवस्थाओं के लिए अधिसूचनाएं जारी की जाएंगी. विशेषाधिकारी राजस्व विभाग की देखरेख में ही रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों के आधार पर नए जिलों के लिए प्रस्ताव राजस्व मंडल को सौंपेंगे और इन प्रस्तावों के आधार पर ही नए जिलों का गठन होगा.
जोधपुर में पूर्व और पश्चिम 2 जिले बनाने और इसी प्रकार जयपुर को भी दो भागों में बांटने की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले बजट में की थी लेकिन इसका विरोध भी सामने आया था. ऐसे में जोधपुर और जयपुर जिले के दो भाग करने और उनके सीमांकन को लेकर संशय चल रहा है. इसी को देखते हुए फिलहाल यहां विशेष अधिकारी नहीं लगाए गए हैं.
शुभभ चौधरी कोटपूतली-बहरोड, पूजा कुमार पार्थ-सांचौर, अंजलि राजोरिया-गंगापुरसिटी, जसमीत संधु-फलौदी, प्रतापसिंह-सलूंबर, डॉ.मंजू- शाहपुरा, रोहिताश्व सिंह तोमर-ब्यावर, अर्तिका शुक्ला-दूदू.
राजेन्द्र विजय-बालोतरा, हरजीलाल अटल-नीमकाथाना, खजान सिंह-केकडी, कल्पना अग्रवाल-अनूपगढ, सीताराम जाट-डीडवाना-कुचामन, शरद मेहरा-डीग, ओमप्रकाश बैरवा-खैरथल.
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बहरहाल, आमतौर पर युवा आईएएस अधिकारी जिन्हें पहली या दूसरी बार जिले की कमान मिल रही होती है वे निर्विवाद छवि पूर्ण कार्यक्षमता व पूरे जोश के साथ काम करते हैं. जिन प्रमोटी अफसरों में ये गुण नजर आते हैं. वे अपना स्थान बना ही लेते हैं. हाकिम का दायित्व संवेदनशील होता है और सरकार की छवि उसी से बनती-बिगड़ती है.