Rajasthan By-Elections 2024: राजस्थान में विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव के लिए कल, यानी बुधवार, 13 नवंबर को मतदान होगा. इन सात विधानसभा क्षेत्रों में कुल 69 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 10 महिलाएं और 59 पुरुष शामिल हैं.
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Rajasthan By-Elections 2024: राजस्थान में विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव के लिए कल, यानी बुधवार, 13 नवंबर को मतदान होगा. इन सात विधानसभा क्षेत्रों में कुल 69 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 10 महिलाएं और 59 पुरुष शामिल हैं. निर्वाचन आयोग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, इन सीटों के लिए कुल 1915 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी. शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
राजस्थान के उपचुनाव के परिणाम से भले ही राज्य सरकार की स्थिरता पर सीधा असर नहीं होगा, लेकिन सभी की निगाहें परिणामों पर रहेंगी. कई सीटें इस बार त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई हैं, जो परिणामों को और भी दिलचस्प बना देता है. यह उपचुनाव राजस्थान की राजनीतिक स्थिति को और भी रोचक बना रहा है.
राजस्थान में सात विधानसभा सीटों - झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, खींवसर, चौरासी, सलूंबर और रामगढ़ पर बुधवार को मतदान होगा. इनमें पांच सीटों पर उपचुनाव विधायक के सांसद बनने के कारण और दो सीटों पर विधायक के निधन के बाद हो रहा है. सात में से पांच सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है, जबकि दो सीटों पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होगी.
राजस्थान के आगामी उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की प्रतिष्ठा दांव पर है. हालांकि राज्य विधानसभा में संख्या बल को देखते हुए इन उपचुनाव के परिणामों से मौजूदा भाजपा सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह उपचुनाव दोनों नेताओं के लिए बड़ी परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, जहां पार्टी को राज्य की 25 में से 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में यह उपचुनाव पार्टी के लिए अपनी स्थिति सुधारने का एक मौका है.
राजस्थान के आगामी उपचुनाव में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन राज्य विधानसभा में संख्या बल के कारण सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद यह उपचुनाव पार्टी के लिए अपनी स्थिति सुधारने का मौका है. यह दोनों नेताओं के लिए बड़ी परीक्षा होगी.
खींवसर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है, जिसमें भाजपा के रेवंतराम डांगा, कांग्रेस की रतन चौधरी और आरएलपी की कनिका बेनीवाल मैदान में हैं. कनिका बेनीवाल सांसद हनुमान बेनीवाल की पत्नी हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में रेवंत राम डांगा हनुमान बेनीवाल से 2059 मतों से हार गए थे, लेकिन भाजपा ने उन पर फिर से भरोसा जताया है. यह सीट हनुमान बेनीवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी.
राजस्थान की खींवसर सीट पर एक दिलचस्प मुकाबला हो रहा है, जहां भाजपा के रेवंतराम डांगा, कांग्रेस की रतन चौधरी और आरएलपी की कनिका बेनीवाल आमने-सामने हैं. डांगा पहले हनुमान बेनीवाल के करीबी सहयोगी थे, लेकिन कथित तौर पर उपेक्षित महसूस करने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया. यह सीट जाट बहुल है, और तीनों पार्टियों के नेता यहां जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं. डांगा का भाजपा में आना इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना देता है, क्योंकि अब यह एक त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.
राजस्थान की झुंझुनू सीट पर भाजपा के राजेंद्र भांभू और कांग्रेस के अमित ओला के बीच सीधा मुकाबला है. अमित, लोकसभा चुनाव जीतने वाले बृजेंद्र ओला के बेटे हैं और कांग्रेस के दिग्गज जाट नेता शीशराम ओला के पोते हैं. अमित ओला इस उपचुनाव के जरिए ओला परिवार की राजनीतिक विरासत को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं. इस सीट पर पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भी मैदान में हैं.
आदिवासी बहुल चौरासी सीट पर भाजपा और बीएपी उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है, जो विधायक राजकुमार रोत के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई थी. वहीं, देवली-उनियारा में कांग्रेस के बागी नरेश मीणा के मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिससे यहां का चुनाव और भी रोचक हो गया है. यह दोनों सीटें राजस्थान के महत्वपूर्ण चुनाव क्षेत्र हैं, जहां विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
दौसा सीट पर उपचुनाव में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन कांग्रेस के दीनदयाल बैरवा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. यहां किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस नेता सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर है. मीणा और बैरवा की लड़ाई में जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है, यह देखना दिलचस्प होगा. यह उपचुनाव राजस्थान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा.
रामगढ़ और सलूंबर विधानसभा सीटें क्रमशः कांग्रेस के जुबेर खान और भाजपा के अमृत लाल के निधन के बाद खाली हुईं. दोनों पार्टियों ने मतदाताओं की सहानुभूति की उम्मीद में उनके परिजनों को टिकट दिया है. सलूंबर में, भारत आदिवासी पार्टी भी पूरी ताकत से चुनावी मैदान में है, जो राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और झारखंड में सक्रिय है. यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत आदिवासी पार्टी कितना वोट हासिल कर पाती है, खासकर जब से उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव में चार सीटें जीती थीं.
राजस्थान में उपचुनाव के लिए प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. मतदान के दिन बुधवार को सुरक्षा के लिए 9,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे. मुख्य चुनाव अधिकारी नवीन महाजन ने आश्वासन दिया है कि सात विधानसभा क्षेत्रों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए कानून व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.
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