कानून मंत्री और जजों के सामने बोले गहलोत, मोदी हमारी नहीं सुनते आप समझाओ
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कानून मंत्री और जजों के सामने बोले गहलोत, मोदी हमारी नहीं सुनते आप समझाओ

सीएम अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार पर तंज कसते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू से आग्रह किया वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करें और देश में शांति के लिए अपील करें.

कानून मंत्री और जजों के सामने बोले गहलोत, मोदी हमारी नहीं सुनते आप समझाओ

Jaipur: नालसा की 18वीं ऑल इंडिया लीगल सर्विस अथॉरिटी मीट के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयान चर्चा में हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट सहित देशभर के हाईकोर्ट जजों के सामने ही केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए नुपूर शर्मा से जुड़े केस की सुनवाई करने वाले जजों के खिलाफ सोशलमीडिया पर चले अभियान को लेकर सख्त टिप्पणी की हैं. वहीं सेवानिवृति के बाद जजों को मिलने वाली नियुक्ति से उनके कार्य प्रभावित होने को लेकर भी सवाल खड़ा किया है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नालसा मीट के मंच पर मौजूद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की उपस्थिति में जजों के खिलाफ सोशलमीडिया पर बढ़ते हमलों पर चिंता जताते हुए कहा कि जजों से बिना किसी डर या पक्षपात के काम करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है, जब उन पर उनकी टिप्पणियों और निर्णयों के लिए हमला किया जाता है.

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गहलोत ने नूपूर शर्मा से जुड़े केस की सुनवाई करने वाले जस्टिस पारदीवाला का नाम लेते हुए कहा, "हाल ही में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस पारदीवाला ने कुछ कहा. न्यायपालिका का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है, लेकिन देश में 116 लोगों को इन दो जजों के खिलाफ खड़ा किया गया. जिनमें पूर्व कई सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट के पूर्व जज, पूर्व ब्यूरोक्रेट और अधिकारी शामिल थे. गहलोत ने कहा कि मैं नहीं जानता,पता नहीं इसे कैसे मैनेज किया गया और इससे एक मुद्दा खड़ा हो गया.सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कुछ देखा था जिसके बाद टिप्पणीयां की, लेकिन यह माहौल बनाया गया था."

गौरतलब है जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बैंच ने ही भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नुपूर शर्मा केस की सुनवाई करते हुए कई सख्त टिप्पणीयां की थी. जिसके बाद सोशल मीडिया पर दोनो जजों को लेकर कई तरह की बातें कही गयी. 

सेवानिवृति के बाद नियुक्ति पर भी खड़े किये सवाल 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में सेवानिवृति के पश्चात नियुक्तियों को लेकर भी सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि कैसे सेवानिवृत्ति के बाद की चिंताएं भी न्यायाधीशों के कामकाज को प्रभावित कर रही हैं.  पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को रिटायरमेंट के बाद मिली राज्यसभा सदस्यता का उदाहरण देते हुए गहलोत ने कहा, "कल्पना कीजिए, सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और जिन लोगों ने यह सब कहा उनमें से एक जज पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई भी थे. जोधपुर में राजस्थान हाईकोर्ट के उद्घाटन समारोह के दौरान मैंने भारत के राष्ट्रपति से पूछा था कि क्या श्री गोगोई पहले ठीक थे या अब ठीक हैं? यह मेरी समझ से परे है कि बाद में वे संसद सदस्य बन गये. हां मेरी सरकार कैसे बच गयी, मुझे आश्चर्य हैं''

अशोक गहलोत ने कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में चुनी हुई राज्य सरकारों को विधान सभा सदस्यों की खरीद-फरोख्त के माध्यम से उखाड़ फेंकने की भी निंदा की. उन्होंने कहा कि देश में चुनी हुई राज्य सरकारों को उखाड़ फेंका जा रहा है. गोवा, मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र देश में ये तमाशा चल रहा है या लोकतंत्र है? अगर खरीद-फरोख्त के कारण चुनी हुई सरकारें उखाड़ फेंकी जाती हैं तो मैं नहीं जानता कि मेरी सरकार कैसे बच गई. गहलोत ने कहा कि मेरी भी सरकार गिर जाती तो, मैं आज आपके सामने खड़ा नहीं होता. आप आज किसी और मुख्यमंत्री से मिल रहे होते.

कानून मंत्री से मोदी से बात करने का आग्रह

गहलोत ने केन्द्र सरकार पर तंज कसते हुए केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू से आग्रह किया वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करें और देश में शांति के लिए अपील करें. जिससे देश में एकता और भाईचारा बना रहे.  गहलोत ने कहा कि देश में स्थिति बेहद गंभीर हैं. सांप्रदायिक संघर्ष से लोग त्रस्त हैं.  लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनते हैं और इसलिए लोग उन्हें वोट देते हैं. क्या प्रधानमंत्री को राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह नहीं कहना चाहिए कि एकता और भाईचारा बनाए रखना है? उनका कहना चाहिए कि मैं किसी भी कीमत पर हिंसा को स्वीकार नहीं करूंगा. गहलोत ने कहा कि मुझे विश्वास है कि कानून मंत्री उन्हें मना सकते हैं, वह हमारी नहीं सुनते. आज स्थिति ऐसी है कि यह बहुत तनाव पैदा कर रहा है, इ​सलिए मंत्रीजी को मोदी से बात करनी चाहिए.

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