मोतीडूंगरी गणेश मंदिर का लड्डू प्रसाद 100% शुद्ध , FSSAI ने शुद्धता की लगाई मुहर
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मोतीडूंगरी गणेश मंदिर का लड्डू प्रसाद 100% शुद्ध , FSSAI ने शुद्धता की लगाई मुहर

 अगर आप जयपुर से हैं, तो मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के लड्डू के बारे में जरूर जानते होंगे. मोतीडूंगरी गणेश मंदिर का वो स्पेशल प्रसाद (मोदक) लड्डू जिसे लेते आने के लिए आपके रिश्तेदार हमेशा फरमाइश करते होंगे.

मोतीडूंगरी गणेश मंदिर का लड्डू प्रसाद 100% शुद्ध , FSSAI ने शुद्धता की लगाई मुहर

जयपुर: अगर आप जयपुर से हैं, तो मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के लड्डू के बारे में जरूर जानते होंगे. मोतीडूंगरी गणेश मंदिर का वो स्पेशल प्रसाद (मोदक) लड्डू जिसे लेते आने के लिए आपके रिश्तेदार हमेशा फरमाइश करते होंगे. इस कारण उसका स्वाद है और इसी वजह से आज मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के लड्डू को भोग सर्टिफिकेट से नवाजा गया है. बता दें कि मोतीडूंगरी गणेश मंदिर के लड्डू (मोदक) की विशिष्ट गुणवत्ता, स्वाद, शुद्धता, हाइजीन आदि मानकों पर खरा उतरने के बाद एफएसएसएआई (FSSCI) ने यह सर्टिफिकेट दिया है.

मोतीडूंगरी गणेशजी मंदिर में श्रद्धालुओं को मिलने वाला प्रसाद का लड्डू शुद्धता में 100% खरा उतरा है. यह राज्य में पहला मंदिर है जिसे ब्लेसफुल हाईजेनिक ऑफरिंग टू गॉड (भोग) योजना के तहत एफएसएसएआई से भोग टैग मिला है. यानी इस मंदिर से प्रदेश में इस योजना का ''श्रीगणेश'' हो गया है. दिल्ली से टीम ने आकर महंत कैलाश शर्मा को यह सर्टिफिकेट दिया. अब आगे भोग प्लेस योजना में हर 6 माह में ऑडिट होगा. टीम के सदस्यों ने बताया कि चरणों में जांच होने के बाद सर्टिफिकेशन जारी होता है.

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राज्य का पहला मंदिर जिसे मिला सर्टिफिकेट

जिसमें गैप ऑडिट कर मंदिर रसोई की कमियों, जरूरतों, कार्य और मापदंड के पालन का पता लगाकर रिपोर्ट तैयार की गई. उसके बाद दूसरा स्टेप में रिपोर्ट के आधार पर ट्रेनिंग दी गई. तीसरा स्टेप गैप ऑडिट में बताए बिंदुओं की पूर्ति होने के बाद प्री- ऑडिट हुई और उसके बाद फाइनल ऑडिट में प्राधिकरण के मापदंड की जांच की गई. सबसे अच्छी बात है कि मोतीडूंगरी मंदिर में प्रसाद के लड्डू में किसी भी तरह के रंग का इस्तेमाल नहीं होता जबकि अब तक कई जगह रंग का उपयोग पाया गया है. शुद्धता के मानको में पानी की शुद्धता, खाद्य सामग्री की गुणवत्ता एवं सुरक्षा हाईजेनिक भंडारण कर्मचारियों का मेडिकल फिटनेस लाइसेंस और फूड सेफ्टी डिस्प्ले को देखा गया. सचिव चिकित्सा राजस्थान सरकार एवं आयुक्त खाद्य सुरक्षा राजस्थान की पहल पर केंद्र सरकार के भोग कार्यक्रम के तहत क्रियान्वित किया गया है.

पहला मंदिर जिसे एफएसएसएआई से भोग टैग मिला

मोतीडूंगरी गणेश मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि लड्डू बनाने में शुद्धता का ध्यान रखा जाता है. क्वालिटी से कोई भी समझौता नहीं किया जाता है. लड्डू में बेसन,चीनी, दाख, इलायची मोटी-पतली, देशी घी और ड्राई फ्रूट्स इस्तमाल लिए जाते है. महीने में करीब 70 हजार लड्डू तैयार करवाये जाते है. महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि यह सर्टिफिकेट मिलना मंदिर के लिए बड़ी उपलब्धि है और सबसे अच्छी बात है कि इस योजना का श्री गणेश जी मोती डूंगरी गणेश मंदिर से हुआ है. दरअसल बी से ब्लिसफुल, एच से हाईजिनिक, ओ से ऑफरिंग, जी से गॉड. यानी भगवान को प्रस्तुत मधुर और स्वस्थप्रद प्रसाद . प्राधिकरण ने योजना 2020 से शुरू की गई थी. जून 2021 में उज्जैन के महाकाल मंदिर को सबसे पहला भोग टैग मिला. अब तक प्रमुख 10 मंदिरों सहित 35 धार्मिक स्थलों को सर्टिफिकेट मिल चुका है. अब पिंकसिटी का मोतीडूंगरी गणेश मंदिर भी शामिल हो गया है.

मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुरवासियों के प्रथम अराध्य हैं

बहरहाल, जयपुर में मोती डूंगरी स्थित गणेश मंदिर जयपुरवासियों के लिए प्रथम अराध्य माने जाते है. मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है की यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदाता है. तो उसे सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा है. नवरात्रा, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली जैसे खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए यहां लंबी कतारें लग जाती हैं. इसके अलावा यहां शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है. मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेश उनके घर आते हैं और शादी-विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं. 

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