Maha Shivratri 2023: शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में, सूर्यदेव भी कुंभ, चंद्रमा भी कुंभ में विराजमान रहेंगे. इस दिन त्रिग्रही योग का बन रहा है. ऐसे में शनिदेव, सूर्यदेव, चंद्रदेव के साथ जब भगवान शिव के साथ माता गौरी का आशीर्वाद मिलेगा तो भक्तों की मुंहमांगी मुराद पूरी होगी. यह योग सदियों में कभी-कभी बनता है. जानते है उन 5 पत्तों के बारे में जिनको चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
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Maha Shivratri 2023: महाशिवरात्रि शिवभक्तों के लिए सबसे बड़ा पर्व होता है. भक्तों को इस दिन का इंतजार रहता है. यह अति शुभ दिन कहलाता है. इस महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. ज्योतिषों की बात मानें तो तो उनके अनुसार इस बार बन रहे दुर्लभ संयोग पर जो भी शिवभक्त विधि-विधान से पूजा -व्रत करेंगे. उनके जीवन में आने वाला समय मंगलकारी, भाग्योदय, शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलेगी. शनिदेव खुद इसी दशा सुधारेंगे. क्योंकि इस दिन शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में, सूर्यदेव भी कुंभ, चंद्रमा भी कुंभ में विराजमान रहेंगे. यानी त्रिग्रही योग का बन रहा है. ऐसे में शनिदेव, सूर्यदेव, चंद्रदेव के साथ जब भगवान शिव के साथ माता गौरी का आशीर्वाद मिलेगा तो भक्तों की मुंहमांगी मुराद पूरी होगी. यह योग सदियों में कभी-कभी बनता है.
यह योग भक्तों को राजपाट, अकस्मात धन लाभ, जातकों को सालों-साल से मिल रही परेशानी से मुक्ति मिलेगी. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन पूरे विधि-विधान से महादेव की आराधना की जाती है. इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी शनिवार के दिन है. इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. इस पावन दिन पर भगवान शिव की आराधना कर महादेव का श्रृंगार करना चाहिए. भगवान शंकर को श्रृंगार प्रिय है. कहा तो ये भी गया है कि जो कार्य दिन भर वेद मंत्रों से नहीं होता, वो श्रृंगार कर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर शिवभक्त इस महाशिवरात्रि पर मनचाहा फल पा सकते है. कहते है भोलेनाथ एक बार प्रसन्न हो जाएं तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. उसके घर में दौलतों की बारिश होती है. आप भी इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ का करेंगें ऐसे श्रृंगार तो मिलेगा तो खुल जाएगा किस्मत का ताला.
महाशिवरात्रि का पर्व शनिवार के दिन रहेगा. इस दिन शनि प्रदोष पर्व मनाया जाएगा. साथ ही इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और वरियान योग भी बन रहा है. इसी दिन वाशी योग, सुनफा योग और शंख योग भी रहेगा. जिससे भगवान भोलनाथ के साथ शनि का आशीर्वाद भी भक्तों को मिलेगा.
24:09:26 से 25:00:20 तक रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है. इस समय पूजा का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस समय भगवान भोलेनाथ की पूजा करने पर मनोबांछित फल देते है.
महाशिवरात्री पारण मुहूर्त : 06:57:28 से 15:25:28 तक 19, फरवरी को है. अगले दिन प्रातःकाल में मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने से सौ जन्मों का फल मिलता है. कहा ये गया है कि महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले को अगले दिन शिवलिंग पर जरूर जल चढ़ाएं. इसके बिना आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी. इसके बाद जौ, तिल-खीर तथा हवन करें. ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करना चाहिए. इस विधि तथा स्वच्छ भाव से जो भी यह व्रत रखता है, भगवान शिव प्रसन्न होकर उसे अपार सुख-सम्पदा प्रदान करते हैं.
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:29 से 01:16 तक.
अमृत काल : दोपहर 12:02 से 01:27 तक.
गोधूलि मुहूर्त : शाम को 06:37 से 07:02 तक.
शुभ योग 18 फरवरी 2023
सर्वार्थ सिद्धि योग
शाम 05:42 से अगले दिन प्रात: 07:05 तक. यानी सर्वार्थ सिद्धि योग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी.
वरियान योग
महाशिवरात्रि पर रात्रि 07 बजकर 35 मिनट से वरियान योग प्रारंभ होगा जो अगले दिन दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. कोई मंगलदायक कार्य करने जा रहे हैं तो वरियान योग में करें. इस योग में मांगलिक कार्य करने पर सफलता मिलेगी ध्यान रहें कि इस योग में किसी भी प्रकार से पितृ कर्म नहीं किया जाता है.
देवों के देव महादेव का श्रृंगार
देवों के देव महादेव का श्रृंगार महाशिवरात्रि और सावन माह में करने का विशेष महत्व होता है. बहुत कम ही लोग भगवान शिव के 9 श्रृंगार के बारे में जानते हैं. आइए जानते हैं आखिर कौन से ऐसे 9 श्रृंगार हैं जो शिव को बेहद प्रिय है. भगवान शिव की पूजा के साथ श्रृंगार करने से व्यक्ति की मनोकामना जल्द पूरी हो जाती है. ऐसे में इस महाशिवरात्रि भगवान शिव को मनाने के लिए भक्तों को उनके 9 रत्नों का सहारा लेना चाहिए. आइए जानते हैं क्या हैं उनके 9 रत्न.
भगवान शिव के 9 रत्नों के नाम हैं-पैरों में कड़ा, मृगछाला, रुद्राक्ष, नागदेवता, खप्पर, डमरू, त्रिशूल, शीश पर गंगा और शीश पर चंद्रमा. कहा जाता है कि भोलेबाबा के इन सभी अलग-अलग नौ रत्नों का अपना एक अलग महत्व है.
भगवान शिव के हर रत्न के साथ उनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसका अलग लाभ मिलता है. सिर पर चंद्रमा धारण करने वाले शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में अनुकूल ग्रहों की दशा मजबूत होती है. इसके लिए शिव जी का दूध से अभिषेक करना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी की पूजा करने से चंद्रमा शांत रहते हैं. इस दिन चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं. इससे भोलेनाथ की कृपा आप पर बरसेगी.
- गंगाधारी शिव की प्रतिमा की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से विद्या, बुद्धि और कला में वृद्धि होती है.
- कहा जाता है कि भस्मधारी शिव की पूजा करने से न सिर्फ सुखों की प्राप्ति होती है बल्कि ऐसा करने से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त कर सकता है.
- इसके अलावा त्रिशूल धारण करने वाले शिव का आराधना करने से विवाह में आने वाली सभी रुकावटें दूर होती हैं.
- डमरू धारण करने वाले शिव का पूजा करने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है.
- जबकि सर्पधारी शिव की पूजा करने से राजनैतिक सफलता मिलना तय माना जाता है.
- मान्यताओं की मानें तो रूद्राक्ष धारण करने वाले भोले बाबा की पूजा करने से वो जल्दी प्रसन्न होकर इच्छा पूरी करते हैं तो कंमडधारी शिव की पूजा करने से व्यक्ति का मान-सम्मान बढ़ता है.
- पारद धातु को भगवान शिव का रूप माना गया है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस कड़े को पहनने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है.पारद के धातु को पहनने से जीवन में आनी वाली बाधा भी खत्म हो जाती है.
जानते है उन 5 पत्तों के बारे में जिनको चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं…
बेलपत्र का महत्व
शिवपुराण में बेलपत्र की महिमा के बारे में वर्णन मिलता है. मान्यता है कि तीनों लोक में जितने पुण्य तीर्थ हैं वे सभी बेलपत्र के मूलभाग में निवास करते हैं. जो लोग बेल पत्र से शिवजी की पूजा करते हैं, उन्हें विशेष कृपा प्राप्त होती है. इतना ही नहीं बेल के पेड़ की जड़ को समीप रखकर शिवभक्तों को भोजन कराने से करोड़ों पुण्य के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें, बेलपत्र के साथ जल की धारा ओम नम: शिवाय का मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं. बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ाएं. ध्यान रखें पत्तियां कटी-फटी न हों. यह जान लें कि बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता. पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ा सकते हैं.
भांग के पत्ते चढ़ाने से विशेष कृपा मिलेगी
भगवान शिव को भांग अतिप्रिय मानी जाती है. इसके पत्ते शिवरात्रि के दिन भोलेबाबा को अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. दरअसल भांग को एक औषधि माना जाता है. मान्यता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का पान किया था तो उनके उपचार के लिए फिर भांग के पत्तों का प्रयोग किया गया था. आदि शक्ति के कहने पर शिव के सिर पर भांग, धतूरा और बिल्वपत्र रखा और निरंतर जलाभिषेक किया जिससे उनके मस्तिष्क का ताप कम हुआ. तभी से शिवजी को यह चीजें अर्पित की जाने लगी. इस कारण शिवजी के पूजा में भांग के पत्तों का विशेष महत्व होता है.
आक के पत्ते चढ़ाने से हानिकारक ऊर्जाओं से मिलेगी मुक्ति
शिवपुराण में आक के पत्तों के बारे में बताया गया है कि भोलेबाबा को इसके फूल और पत्ते दोनों खासे प्रिय होते हैं. इसलिए शिव पूजा में आक के पत्ते और फूल दोनों चढ़ते हैं. ऐसा मान्यता है कि भोलेबाबा आक के पत्ते चढ़ाने वाले भक्त की अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं. शिवलिंग पर आक के पत्ते और फूल चढ़ाना बहुत शुभ होता है. शास्त्रों के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर या सामने आक का पौधा लगाना अत्यंत शुभ माना जाता है. यह पौधा हमेशा हानिकारक ऊर्जाओं और ताकतों से रक्षा करता है.
धतूरा फल व पत्ते चढ़ाने से धन -धान्य मिलेंगे
धतूरे का फल और पत्ता दोनों ही पूजा में प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग भी मुख्य रूप से औषधि के रूप में होता है. शिव पुराण में बताया गया है कि शिवजी को धतूरा अतिप्रिय है. अधूरा अर्पित करने वाले भक्तों का घर धन और धान्य से भरा रहता है. आर्युवेद में भी धतूरा को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है.
दूर्वा चढ़ाएं, अकाल मृत्यु से रक्षा होगी
भगवान शिव और उनके पुत्र गणेशजी को भी दूर्वा खासी प्रिय होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसमें अमृत बसा होता है. जो भक्त शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाता है, उसके सभी भय दूर होते है उनकी अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.