Maha Shivaratri 2023: महाशिवरात्रि पर इस समय करें रुद्राभिषेक, शिव-गौरी देंगे खुशियों का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त
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Maha Shivaratri 2023: महाशिवरात्रि पर इस समय करें रुद्राभिषेक, शिव-गौरी देंगे खुशियों का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त

Maha shivratri 2023: महाशिवरात्रि पर जो भक्त सच्चे मन से भगवान शंकर के साथ महागौरी, भगवान गणेश, कार्तिकेयजी और नंदी की पूजा करते है उन्हें शिवपरिवार में शामिल के पांचों देव सुख समृद्धि वैभव, यश, लंबी उम्र देते है. इसलिए हम आपको इस महाशिवरात्रि पर इन पांचों की पूजा और रुद्राभिषेक के बारे में विशेष रुप से बताने जा रहे है ताकि आपको ये सारे सुख प्राप्त हो.

Maha Shivaratri 2023: महाशिवरात्रि पर इस समय करें रुद्राभिषेक, शिव-गौरी देंगे खुशियों का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त

Maha shivratri 2023: भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की आराधना का महाशिवरात्रि का पर्व  18 फरवरी को मनाई जाएगी.मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर मां पार्वती का विवाह संपन्न  हुआ था. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर जो भक्त सच्चे मन से भगवान शंकर के साथ महागौरी, भगवान गणेश, कार्तिकेयजी और नंदी की पूजा करते है उन्हें शिवपरिवार में शामिल के पांचों देव सुख समृद्धि वैभव, यश, लंबी उम्र देते है. इसलिए हम आपको इस महाशिवरात्रि पर इन पांचों की पूजा और रुद्राभिषेक के बारे में विशेष रुप से बताने जा रहे है ताकि आपको ये सारे सुख प्राप्त हो.

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सर्वप्रथम भगवान गणेश जी की पूजा करें 

हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. हम सभी जानते हैं कि गणेश जी शिव-पार्वती के पुत्र हैं. लेकिन ऐसा कहा जाता है कि शिव-पार्वती के विवाह में भी श्रीगणेश की पूजा हुई थी. इसको लेकर लोगों में यह शंका है कि गणेश जी भगवान शिव के पुत्र हैं तो आखिरी इनके विवाह में उनका पूजन कैसे हुआ?

गणेश जी अनादि देवता मानें गए हैं. गणेश जी भले ही भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र थे. लेकिन वो वह अनादि गणपति के अवतार माने गए हैं. इसलिए भगवान गणपति की पूजा शंकर और पार्वती जी के विवाह में हुई थी. जिसका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास जी के इस दोहे में मिलता है. इसलिए इस महाशिवरात्रि में गणेशजी की पूजा के साथ महाशिवरात्रिपर भगवान गणेश जी का आशिर्वाद ले.

भगवान कार्तिकेय दुश्मनों पर दिलाएंगे जीत 

इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ के साथ भगवान कार्तिकेय की पूजा करें. भगवान कार्तिकेय की पूजा से सेहत और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है. भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं, इसलिए दुश्मनों पर जीत के लिए भी इनकी पूजा की जाती है.  

भगवान शिव होंगे प्रसन्न जब नंदी से कहेंगे मन की बात
नंदी को भगवान शिव का प्रिय भक्त माना जाता है. शिव पुराण के अनुसार, नंदी को भगवान शिव का नंदीश्वर अवतार कहा गया है. भगवान शिव का ऐसा कोई मंदिर नहीं जिसमें नंदी की प्रतिमा स्थापित न हो. नंदी जी कैलाश पर्वत के द्वारपाल भी हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद नंदी की प्रतिमा के समक्ष दीपक जलाएं उसके पश्चात आप नंदी महाराज की आरती कीजिए, आरती करने के पश्चात आप चुपचाप बिना किसी से बातचीत किए अपनी मनोकामना नंदी महाराज के कानों में बोल दीजिए. मनोकामना बोलने के बाद बोलें कि नंदी महाराज हमारी मनोकामना पूरी करो. इसलिए इस महाशिवरात्रि पर विशेष फल प्राप्त करना चाहते है तो नंदी की पूजा अवश्य करें. 

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शिव-गौरी देंगे खुशियों का वरदान 
इस महाशिवरात्रि पर शिव के साथ गौरी का विशेष संयोग बन रहा है.ऐसा शुभ संयोग कई साल बाद बना है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए और व्रत भी रखना चाहिए. इस दिन विधिपूर्वक रुद्राभिषेक करने से कई ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है. वैवाहिक जीवन सुखमय होता है.

अब गणेश जी, माता गौरी, भगवान कार्तिकेय और नंदी की पूजा करें. फिर शिव चालीसा और शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें. किसी मंत्र विशेष का जाप करना चाहते हैं, तो रुद्राक्ष की माला से शुद्ध उच्चारण के साथ कम से कम 108 बार करें.

5. पूजा के अंत में शिव जी की आरती करें. इसके लिए घी के दीपक या फिर कपूर का उपयोग करें. आरती के समय शंख और घंटी बजाते रहें. आरती के दीपक को पूरे घर में ले जाएं. ऐसा करने से नकारात्मकता दूर होती है.

शिवरात्रि का पूजा मुहूर्त 

महाशिवरात्रि में निशीथ काल पूजा मुहूर्त-  18 फरवरी, रात्रि 12 बजकर 16 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक 
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय - 18 फरवरी, शाम 06 बजकर 30 मिनट से 09 बजकर 35 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय - 18 फरवरी, रात्रि  09 बजकर 35 मिनट से तड़के 12 बजकर 39 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय - 19 फरवरी, प्रातः 12 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 43 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय - 19 फरवरी, प्रातः 3 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक

महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का समय

महाशिवरात्रि के अवसर पर तंत्र, मंत्र साधना, तांत्रिक पूजा, रुद्राभिषेक करने के लिए रात्रि 12 बजकर 24 मिनट से 1 बजकर 40 मिनट तक का समय श्रेष्ठ रहेगा. वहीं भक्तों के लिए सुबह 5 बजकर 55 मिनट से पूरे दिन भगवान भोलनाथ का  रुद्राभिषेक और जल चढ़ाने का सिलसिला जारी रहेगा. सामान्य गृहस्थ को शुभ और मनोकामना पूर्ति के लिए सुबह और संध्या काल में शिव की आराधना करनी चाहिए.

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देवों के देव महादेव करेंगे मालामाल, कामनाएं होगी पूर्ण 

- जल से रुद्राभिषेक करने पर वृष्टि होती है.
- कुशा जल से अभिषेक करने पर रोग व दु:ख से छुटकारा मिलता है.
- दही से अभिषेक करने पर पशु, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है.
- गन्ने के रस से अभिषेक करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
- मधुयुक्त जल से अभिषेक करने पर धनवृद्धि होती है.
- तीर्थ जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- इत्र मिले जल से अभिषेक करने से रोग नष्ट होते हैं.
- दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति होगी। प्रमेह रोग की शांति तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
- गंगा जल से अभिषेक करने से ज्वर ठीक हो जाता है.
- दूध-शर्करा मिश्रित अभिषेक करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है.
- घी से अभिषेक करने से वंश विस्तार होता है.
- सरसों के तेल से अभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है.
- शुद्ध शहद से रुद्राभिषेक करने से पाप क्षय होते हैं.

महाशिवरात्रि पर करे ये विशेष उपाय

1. शिवलिंग पर कच्चे चावल चढ़ाने से धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है.
2. तिल चढ़ाने से समस्त पापों का नाश होता है.
3. शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से लंबे समय से चली रही परेशानी दूर होती है.
4. शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से सुयोग्य पुत्र की प्राप्ति होती है.
5. शिवलिंग पर जल चढ़ाने से परिवार के किसी सदस्य का तेज बुखार कम हो जाने की मान्यता है.
6. शिवलिंग पर दूध में चीनी मिलाकर चढ़ाने से बच्चों का मस्तिष्क तेज होता है.
7. शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.
8. शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाने से मनुष्य को भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
9. शिवलिंग पर शहद अर्पित करना करने से टीबी या मधुमेह की समस्या में राहत मिलती है.
10. शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध देसी घी चढ़ाने से शारीरिक दुर्बलता से मुक्ति मिलती है.
11. शिवलिंग पर आंकड़े के फूल चढ़ाने से सांसारिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
12. शिवलिंग पर शमी के पेड़ के पत्तों को चढ़ाने से सभी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है.
13. भगवान शिव के ऊपर नाग नागिन का जोड़ा चढ़ाने से कालसर्प योग से मिलने वाली परेशानियों का अंत होता है, यह जोड़ा सोना, चांदी, तांबा अपनी यथाशक्ति अनुसार चढ़ा सकते हैं.

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