Akbar : तारे जमीन पर (Taare Zameen Par Movie) फिल्म के किरदार इशान को पढ़ने लिखने में परेशानी थी. कुछ ऐसा ही हाल मुगल शासक अकबर का था. फिल्म में इशान को जहां ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर था तो वहीं अकबर को डिस्लेक्सिया था. इस बीमारी के चलते मुगल साम्राज्य का तीसरा शासक अकबर पढ़ नहीं सका.
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Akbar : तारे जमीन पर फिल्म के(Taare Zameen Par Movie) किरदार इशान को पढ़ने लिखने में परेशानी थी. कुछ ऐसा ही हाल मुगल शासक अकबर का था. फिल्म में इशान को जहां ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर था तो वहीं अकबर को डिस्लेक्सिया था. इस बीमारी के चलते मुगल साम्राज्य का तीसरा शासक अकबर पढ़ नहीं सका.
अबुल फजल के आईन-ए-अकबरी में इस बारे में बताया गया है. अकबर को पढ़ने लिखने में बहुत परेशानी होती थी. कई इतिहासकारों ने भी इस बीमारी को डिस्लेक्सिया ही कोड किया है. इस बीमारी में अक्षरों को याद रखना और समझ पाना बेहद मुश्किल होता है.
इतिहास के जानकार बताते हैं कि अकबर ताउम्र अनपढ़ रहा. हालांकि उसे किताबे प्यारी थी, उसे किताबों से प्रेम था. हर शाम अकबर को एक शख्स किताबें पढ़कर सुनाता भी था. और ऐसा कर किताबों को पढ़ने का अपना शौक वो पूरा किया करता था.
कई इतिहासकारों का कहना है कि अकबर के अनपढ़ रह जाने के पीछे डिस्लेक्सिया नाम की बीमारी थी जिससे वो जूझ रहे थे. ऐसे हालात में बच्चा अक्षरों का याद और समझ नहीं पाता. नतीजा, उनकी पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ा. रितिक रोशन जैसा बिल्कुल नहीं दिखता था अकबर..जानें कैसा था मुगल बादशाह
अकबर के पिता हुमायूं कुछ समझ नहीं पा रहे थे तो अकबव को पढ़ने के लिए दूसरे देश भी भेज दिया लेकिन अकबर कुछ नहीं पढ़ पाया. हारकर फिर हुमांयू ने अकबर को भारतीय सभ्यता को समझने के लिए शिक्षक रखा और फिर यहां की कारीगरी के साथ ही मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी करायी.
अकबर का किताबों से लगाव ही था कि उसने पिता हुमायूं की लाइब्रेरी को सहेज कर रखा. फतेहपुर सीकर में मौजूद लाइब्रेरी को और बढ़ाया गया. इतिहासकार लिखते हैं कि अकबर के दादा बाबर दिल्ली और आगरा में कम समय के लिए ही रहे, और उनके शासनकाल में लाइब्रेरी कहीं नहीं थी. इन किताबों को पहले बाबर के बेटे हुमायूं ने सहेजा और फिर अकबर अनपढ़ होने के बाद भी इन्हे संभाले रहा.
अकबर को डिस्लेक्सिया था. इस बीमारी हुमायूं ने अब्दुल समद को अकबर को पेंटिंग का शिक्षक लगाया. इस चित्रकार के बनाये दो चित्रों में अकबर को पेंट करते भी दिखाया गया है. यहीं वजह रही की बाद में अकबर के शासन काल में मुगल चित्रकला अपने चरम पर थी और कई चित्रकार दरबार की शान बढ़ा रहे थे.