World Wildlife Day 2024: गोविंद के इन हाथों ने हजारों को दिया है नया जीवन, पढ़िए बेजुबानों से दिल लगी की ये कहानी...
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World Wildlife Day 2024: गोविंद के इन हाथों ने हजारों को दिया है नया जीवन, पढ़िए बेजुबानों से दिल लगी की ये कहानी...

World Wildlife Day 2024: वन्य जीव से लगाव की कहानी तो बहुत सुनी होगी आपने, लेकिन आज हम आपको कोटपूतली के पावटा तहसील के गोविंद की बेजुबानों से दिल लगी की कहानी बताने जा रहे हैं जो अब तक हजारों बेजुबान जानवरों की जान बचा चुके हैं. 

Kotputli News Zee Rajasthan

Rajasthan News: वन्यजीवों को बचाने को लेकर सरकारे तरह-तरह के जतन करती हैं, लेकिन बढ़ती आबादी और कटते जंगलो के चलते आज वन्य जीवों पर खतरा बढ़ाता जा रहा है. हालांकि, आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो वन्य जीव व पालतू जीवों को बचाने में अपना जीवन लगा रहे हैं, जिन्होंने अपना जीवन ही वन्यजीवों को समर्पित कर रखा है. ऐसे ही एक मसीहा कोटपूतली के पावटा तहसील के भांकरी निवासी एलएसए गोविंद भारद्वाज भी हैं, दिन-रात वन्यजीवों की रक्षा में जुटे रहते हैं. भारद्वाज मौजूदा समय मे पशुपालन विभाग में LSA पद पर हैं, लेकिन वो पिछले कई सालो से वन्यजीवों और पशु-पक्षियों का निशुल्क इलाज कर उनका जीवन बचा रहे है. किसी भी जगह से फोन आने पर वो बेजुबानों के इलाज के लिए 24 घंटे तैयार रहते हैं. 

लावारिस बेजुबान बच्चों का करते हैं लालन-पालन 
भारद्वाज ने अपने सेवा काल में अब तक 24603 गाय, 2371 नील गाय, 1920 मोर, 154 बंगर, 61 लंगूर, दो जरख, तीन बाज, दो बिज्जू, सात सौ से अधिक छोटे परिन्दों का उपचार कर चुके हैं. इसके अलावा 234 वन्य जीवों के ऐसे बच्चों का निप्पल एवं बोतल से दूध पिलाकर पालन पोषण किया है, जिनकी माताएं मर गई या जंगल में छोड़कर चली गई. वहीं, भारद्वाज ने 6 हजार लावारिस गायों के पैरों पर प्लास्टर कर उन्हें चलने लायक बनाया है. भारद्वाज ने अपनी जान की परवाह किए बिना कुएं व गहरे गड्ढे में गिरकर घायल हुए 25 वन्य जीवों को निकालकर उनकी जान बचाई है. भारद्वाज अब तक जिले के पावटा, शाहपुरा, विराटनगर, कोटपूतली, बानसूर, नारायणपुर क्षेत्र में बेजुबान जीवों का उपचार करते आ रहे हैं. उपचार में काम आने वाली दवा और अन्य खर्चे भी वह स्वयं वहन करते आ रहे हैं. हालांकि, कई संगठन व ग्रामीण इसके लिए सेवा देने को तैयार हैं, लेकिन जीव प्रेमी होने के कारण वह खुद अपना स्वयं का खर्चा करते हैं.

बंदर का जटिल ऑपरेशन किया
वहीं, कोरोना काल में जहां लोग अपना जीवन बचाने लगे हुए थे, उस समय गोविन्द का पूरा परिवार इन जीवों की रक्षा कर इनका जीवन बचाने में लगी हुआ था. इनके बड़े भाई डॉ. गौरीशंकर शर्मा सहित परिवार के बच्चे मोहित शर्मा और दिव्या शर्मा बेजुबान घायल पशु पक्षियों का सकुशल इलाज कर इनकी सेवा मे जुटे हुए थे. इन्होंने गत वर्ष फैली लम्पी स्किन बीमारी के दौरान भी करीब 1500 से अधिक गायों की जान बचाई. भारद्वाज ने 18 अक्टूबर 2023 शाहपुरा में अलवर तिराहे पर बन्दर के मुंह से गर्दन तक आर-पार हुई लकड़ी को बाहर निकालकर बन्दर को नया जीवन दिया. साथ ही 5 दिसम्बर 2023 को ग्राम जोधपुरा में उनकी भतीजी दिव्या शर्मा एवं बड़े भाई डॉ गौरीशंकर शर्मा के साथ मिलकर कुंए मे उतरकर गीदड को सकुशल बाहर निकालकर उसकी जान बचाई. 

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