JJM Scam: इंश्योरेंस कंपनी में काम करने वाला संजय बड़ाया रातों रात बना करोड़पति, चमत्कार हुआ तो खुले बड़े-बड़े राज
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JJM Scam: इंश्योरेंस कंपनी में काम करने वाला संजय बड़ाया रातों रात बना करोड़पति, चमत्कार हुआ तो खुले बड़े-बड़े राज

Rajasthan News: राजस्थान के जल जीवन मिशन घोटाले में ईडी की जांच में कई बड़े खुलासे हुए है. घोटाले में चौथी गिरफ्तारी पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया की ही हुई है, जिन्हें अब 30 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा है. 

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Jal Jeevan Mission Scam: इंश्योरेंस कंपनी में 7 से 8 लाख रुपए सालाना कमाने वाले संजय बड़ाया के साथ ऐसा चमत्कार हुआ कि वे रातों रात करोड़पति बन गया और महज दो साल में करोड़ों की संपत्तियों का उदय हो गया. ये खजाना 2022 के बाद से जल जीवन मिशन के पानी में बहकर आया. ईडी की जांच से पर्दा उठा तो हैरानी ये हुई कि पर्दे के पीछे तो संजय बड़ाया जलदाय महकमे को हैंडल किया करते थे. 

30 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में बड़ाया 
पीएचईडी का रिमोट कंट्रोल संजय बड़ाया के हाथ में था. ये विभाग के इंजीनियर्स बहुत अच्छे से जानते थे, लेकिन वो इस पीड़ा को कैसे बयां करते, क्योंकि संजय बड़ाया तत्कालीन जलदाय मंत्री महेश जोशी के करीबी जो थे और कई तो खुद ही मिले हुए थे. अब इस घोटाले में ईडी ने संजय बड़ाया को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया. ईडी के अधिवक्ता अजातशत्रु मीणा का कहना है कि कोर्ट ने बड़ाया को 30 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा है.

रियल स्टेट कंपनी में से हुआ चमत्कार
पूरे घोटाले में चौथी गिरफ्तारी हुई है और सभी जेल की सलाखों के पीछे चले गए. 4 दिन की ईडी की रिमांड में कई खुलासे हुए है. सूत्रों की मानें, तो संजय बड़ाया अधिकांश घूस की राशि अपने पिता के खातों में ट्रांसफर करते थे. सूत्र बताते है कि प्रवर्तन निदेशालय ने श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के खातों से खुद के पिता के खातों में ट्रांसफर की गई राशि के अहम सबूत जुटाए है. आरोपी संजय बड़ाया ने रियल स्टेट की एक कंपनी बनाई, जिससे ये चमत्कार हुआ. इस कंपनी से दिसंबर 2022 के बाद भारी अचल संपत्तियों की खरीद फरोख्त की गई है.

कई इंजीनियरों के बयान दर्ज किए
ईडी की जांच में सामने आया है कि संजय बड़ाया के निर्देशों की पालना नहीं करने पर अधिकारियों को ट्रांसफर, सस्पेंड और APO जैसे सजा भुगतने के परिणाम मिलते थे. संजय बड़ाया के निर्देश पर सभी प्रोजेक्ट, टेंडर, अनैतिक बिल पास करने, बिना बिलों के भुगतान करने, फर्जी माप पुस्तिकाओं पर हस्ताक्षर करने, फर्जी बिलों में सहयोग करने के लिए मजबूर किया जाता था. प्रवर्तन निदेशालय ने जलदाय विभाग के कई इंजीनियरों के बयान दर्ज किए हैं और उनकी गहनता से छानबीन की जा रही है. अब कई अधिकारी प्रॉपर्टी डीलर प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर हैं.

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