Jaipur: मानसरोवर में बाजार बंदकर व्यापारियो का पैदल मार्च,निगम के नोटिस का विरोध,काली पट्टी बांधकर जताया गुस्सा
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Jaipur: मानसरोवर में बाजार बंदकर व्यापारियो का पैदल मार्च,निगम के नोटिस का विरोध,काली पट्टी बांधकर जताया गुस्सा

जयपुर: नगर निगम ग्रेटर मानसरोवर जोन की ओर से 468 मकानों-दुकानों पर चस्पा नोटिस के बाद व्यापारियों और दुकानों पर काम करने वाले लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया हैं. आज मानसरोवर बाजार के व्यापारियों ने अपनी-अपनी दुकानें बंद रखते हुए काली पट्टी बांधकर पैदल मार्च निकाला.

फाइल फोटो.

जयपुर: नगर निगम प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.व्यापारियों को स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी साथ मिल रहा हैं.लेकिन सवाल ये है की नोटिसों के बाद भी धड़ल्ले से निर्माण चल रहे हैं, उन पर भी जब कोर्ट का डंडा चलेगा तब कार्रवाई होगी. या फिर निगम के अफसर आंखे मूंदे बैठकर देखते रहेंगे?

सालों से आंखे मूंदकर सोते रहे लापरवाह अफसरों के कारण आज मानसरोवर के व्यापारियों और उनके यहां काम करने वाले लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया. हैं.यदि अफसर अपनी आंखों को मूंदकर नहीं रखते तो ना तो अवैध निर्माण होते ना ही आज इन निर्माणों पर बुलडोजर चलाने की नौबत आती.जयपुर ग्रेटर नगर निगम की ओर से मानसरोवर के मध्यम मार्ग के अवैध निर्माणों को हटाने के लिए व्यापारियों के दिए गए नोटिस के बाद गतिरोध बढ़ता ही जा रहा हैं.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम की ओर से अवैध निर्माणकर्ताओं को नोटिस देने के बाद भी मानसरोवर क्षेत्र में बिना सैटबैक छोडे हुए अवैध निर्माणों की तस्वीरे देखने को मिल रही हैं.सवाल ये है की क्या नगर निगम ऐसे अवैध निर्माणकर्ताओं को भी नोटिस देकर उनकी बिल्डिंग पर बुलडोजर चलाएगा.बड़ा सवाल यह है कि जब व्यावसायिक निर्माण हो रहे थे, उस समय निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने क्यों नहीं रोका? जानकारों की मानें तो पिछले 20 वर्ष में मध्यम मार्ग पर व्यावसायिक निर्माण हुए हैं.

नगर निगम की ओर से 468 लोगों को नोटिस जारी होने के बाद व्यापारियो की रोजी-रोटी में संकट आ गया हैं.मानसरोवर बाजार के व्यापारियों ने सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक बाजार बंद रखकर नगर निगम के खिलाफ नारेबाजी की.व्यापारियों ने एसएफएस से कावेरी पथ तक 5 किलोमीटर का काली पट्टी बांधकर पैदल मार्च निकाला.विधायक अशोक लाहोटी भी इस पैदल मार्च में शामिल हुए.लाहोटी ने कहा की यह व्यापारियों की बहुत बड़ी पीड़ा है.

मैं व्यापारियों के साथ रहूंगा और जब तक यह समस्या समाप्त नहीं हो जाती जब तक फूल माला नहीं पहनूँगा यह मेरा संकल्प है.90 मीटर तक सेटबैक मे छूट का प्रावधान है.कोई सेट बैक लागू ही नही होते है..व्यापारी समझौता समिति में जा सकते है यह उनका अधिकार और विकल्प है , समझौता समिति के निर्णय के बाद सेट बैक वायलेशन तय होता है.

मध्यम मार्ग का लैंड यूज पहले से ही मिश्रित यूज़ करने के आदेश निकले हुए है 2014 में इसके आवेदन भी नगर निगम ने लिए हैं परंतु आज तक उसमे निर्णय कर स्वीकृतियां जारी नही की गई है.नगर निगम ने बड़ी चूक करते हुए हाईकोर्ट में भी इन सब बातो को नहीं रखा तथा सही जवाब नहीं दिया-पैरवी नहीं कि जिससे यह एक पक्षीय निर्णय हुआ है और व्यापारियों को नोटिस दे दिए जिसका खामियाजा व्यापारी भुगत रहे हैं.

मानसरोवर महासंघ व्यापार संघर्ष समिति के बैनर तले हुए पैदल मार्च में व्यापारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बताया की कोर्ट का आदेश के बाद ही नगर निगम प्रशासन क्यों जागा हैं. बनते हुए देखते रहा और अब जो नए व्यावसायिक निर्माण हो रहे हैं तो जिम्मेदार चुप क्यों हैं.पर क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही हैं? नगर निगम के पूर्व चेयरमैन मुकेश लख्यानी ने कहा कि कई भूखंड तो 36 मीटर, 51 मीटर के हैं.इनमें सेटबैक छोडऩे का प्रावधान नहीं है.90 मीटर तक सेटबैक में छूट का प्रावधान है.

निगम ने 36 और 51 वर्ग मीटर के भूखंडों में सेटबैक के उल्लंघन के नोटिस जारी कर दिए.व्यापारियों के पास समझौता समिति में जाने का रास्ता खुला है.समिति में सेटबैक उल्लंघन तय होता है.मध्यम मार्ग का लैंड यूज मिश्रित है.वर्ष 2014 में निगम ने विज्ञप्ति भी जारी की की थी.आज तक निर्णय कर स्वीकृति जारी नहीं की गई.

 हैं.मध्यम मार्ग पर नौ बाजार हैं ने वकीलों के माध्यम से कोर्ट में याचिका लगाने की तैयारी की हैं.जो तथ्य निगम पेश नहीं कर पाया है, उनसे कोर्ट को अवगत कराएंगे.व्यापारियों के साथ न्याय की उम्मीद है.व्यापारियों ने कहा कि मध्यम मार्ग पर ही कुछ भूखंडों के निगम ने व्यावसायिक पट्टे दे दिए हैं.व्यापारियों का कहना है? कि वर्षों से नगरीय विकास कर व्यावसायिक देते आ रहे हैं.

उधर उपायुक्त मानसरोवर जोन मुकेश चौधरी का कहना हैं की नियमानुसार नोटिस दिए गए हैं.हाउसिंग बोर्ड की टाइप डिजाइन को चेंज नहीं कर सकते हैं.नोटिस देने के बाद सात दिन का समय दिया गया हैं. यदि कोई आपत्ति हैं तो दर्ज करवा सकता हैं.

जो नए निर्माण नियमों के वितरित हो रहे हैं उन पर भी कार्रवाई की जाएगी.दरअसल, निगम ने जो नोटिस जारी किए हैं, उनमें लिखा है? कि भूखंडों के सेटबैक में अवैध निर्माण किए गए हैं.इनको ध्वस्त करें और व्यावसायिक गतिविधि को बंद करें.सात दिन में फोटो के साथ जवाब पेश करें.

तय समय में यदि सेटबैक से अवैध निर्माण नहीं हटाया तो निगम सेटबैक को ध्वस्त करेगा और व्यावसायिक गतिविधि को सील करेगा.हाईकोर्ट ने ये आदेश मानसरोवर निवासी मनमोहन नागपाल की याचिका पर सुनवाई के बाद दिए है.

नागपाल का मानसरोवर के सेक्टर 30 में फ्लैट है? जो फर्स्ट फ्लोर है? और ग्राउंड फ्लोर पर बने फ्लैट व्यावसायिक गतिविधियां चल रही थी. इसके अलावा फ्लैट मालिक ने सैट बैक एरिया में भी दुकानें बना रखी हैं.नगर निगम ग्रेटर ने 2 मार्च को इन दुकानों को सील कर दिया था.

इस पर दुकान मालिक अनिल गुप्ता ने हाईकोर्ट में पेश होकर कोर्ट को बताया कि करीब 5 किलोमीटर लंबे पूरे मध्यम मार्ग पर ही आवासीय मकानों में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं तो अकेले उसकी ही दुकानों को क्यों सील किया गया है? इस पर कोर्ट ने नगर निगम ग्रेटर को मध्यम मार्ग का सर्वे करके रिपोर्ट पेश करने को कहा था.

बहरहाल, हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद नगर निगम प्रशासन ने मध्यम मार्ग के व्यापारियों को नोटिस थमाकर हलचल तो मचा दी.लेकिन अवैध निर्माण करवाने की शह देने अफसरों पर कार्रवाई कब होगी. उस समय कौन-कौन अफसर थे, जिनके कार्यकाल में ये निर्माण होते रहे और अफसरों ने आंखे मूंदे रखी.क्या उन अफसरों की भी फेरिहस्त बनाकर उन पर एक्शन लेने जैसी कलम चलेगी?

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