Rajasthan News: सरकार की उम्मीदों पर फेरा पानी, घुमन्तु-अर्ध घुमन्तु जातियों को पंचायती राज नहीं बांट पाए पट्टे, अब फिर खर्च होंगे करोड़ों
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Rajasthan News: सरकार की उम्मीदों पर फेरा पानी, घुमन्तु-अर्ध घुमन्तु जातियों को पंचायती राज नहीं बांट पाए पट्टे, अब फिर खर्च होंगे करोड़ों

Rajasthan News: पंचायतीराज विभाग की अधूरी तैयारी के कारण पट्टा वितरण अभियान अधूरा रह गया. गांधी जयंती 2 अक्टूबर को घुमंतू अद्धघुमन्मु जातियों को पहली बार पट्टे बांटे थे, लेकिन ये अभियान पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया. अब फिर से पंचायती राज विभाग अभियान चलाकर शेष पट्टे वितरित करेगा.

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Rajasthan News: पंचायतीराज विभाग ने पट्टा वितरण अभियान में सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर दिया. दरअसल, राजस्थान में पहली बार घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जातियों के लिए को पट्टा वितरित किया जाना था, लेकिन अभियान चलाने के बावजूद पंचायती राज विभाग सभी पात्र परिवारों को पट्टा वितरित ही नहीं कर पाया. पहले चरण में 20 हजार से ज्यादा परिवारों को पट्टे वितरित करने थे, लेकिन पंचायतीराज विभाग समय पर पट्टे ही नहीं बांट पाया. विभाग के इस योजना के प्रचार प्रसार में कमी रही. पट्टा वितरण अभियान के नोडल अधिकारी बीडी कृपलानी को ये तक नहीं पता कि राज्य में अब तक कितने पट्टे बांटे है. शायद तभी राज्य में पट्टा वितरण की मॉनिटरिंग फेल रही.

14 अक्टूबर से चल रहा था अभियान
पंचायती राज विभाग ने घुमंतू और अर्ध घुमंतू जातियों के लिए राज्य में 14 अगस्त से 2 अक्टूबर पट्टा वितरण अभियान चलाया गया. 2 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में एक साथ पट्टे बांटने के कार्यक्रम हुए.लेकिन करोड़ों का खर्चा करने के बावजूद विभाग की अधूरी तैयारी के चलते पट्टे ही वितरित नहीं कर पाए. पंचायती राज विभाग ने माना है कि अधूरे दस्तावेजों के कारण यह अभियान अधूरा रहा गया. इसलिए अब जनवरी या फरवरी में फिर से अभियान चलाकर पट्टे बांटे जाएंगे. पंचायती राज उपायुक्त ने सभी जिला कलेक्टरों को खत लिखकर पंजीकरण प्रक्रिया 30 दिन में करने के निर्देश है.

जिला परिषद सीईओ को जिम्मेदारी दी थी
इस योजना के तहत पंचायती राज विभाग ने 1991 की जनगणना को आधार मानते हुए प्लॉट की दर तय की है. 1000 से कम आबादी वाले गांव में प्लॉट की दर 2 रुपये प्रति मीटर, 1001 से 1999 की आबादी वाले गांव में 5 रुपये प्रति मीटर, और 2 हज़ार से ज़्यादा आबादी वाले गांव में 10 रुपये प्रति मीटर रखी गई है. इस योजना के तहत, ज़्यादा से ज़्यादा जरूरतमंद परिवारों को फायदा पहुंचाना है. अमलीजामा देने के लिए, सभी ज़िला परिषदों के सीईओ को जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अधूरी तैयारी के कारण पट्टा वितरण अभियान अधूरा रहा गया.

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