क्या रामनवमी पर लेनी होगी तीन दिन की छुट्टी? एक दिन उत्सव मनाएंगे, दो दिन मरहम-पट्टी करवानी पड़ेगी - कपिल मिश्रा
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क्या रामनवमी पर लेनी होगी तीन दिन की छुट्टी? एक दिन उत्सव मनाएंगे, दो दिन मरहम-पट्टी करवानी पड़ेगी - कपिल मिश्रा

जयपुर न्यूज: बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने हिंदू त्योहारों और रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव जैसी घटनाओं पर सवाल उठाये. आजादी के बाद हमसे कई झूठ बोले गए और किताबों में गलत जानकारी पढ़ाई गई. जो खोज हमारी ज्ञान परंपरा ने की

 

क्या रामनवमी पर लेनी होगी तीन दिन की छुट्टी? एक दिन उत्सव मनाएंगे, दो दिन मरहम-पट्टी करवानी पड़ेगी - कपिल मिश्रा

Jaipur: बीजेपी के नेता कपिल मिश्रा ने हिंदू त्योहारों और रामनवमी की शोभा यात्रा पर पथराव जैसी घटनाओं पर सवाल उठाये हैं. कपिल मिश्रा ने कहा कि क्या आने वाले समय में रामनवमी पर हिंदुओं तीन दिन की छुट्टी करनी होगी. मिश्रा ने कहा कि एक दिन त्योहार मनाने के लिए होगा तो दो दिन मरहम-पट्टी और इलाज के लिए चाहिए होंगे.

राजधानी जयपुर में ''नवोन्मेष'' कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कपिल मिश्रा ने यह बात कही. रामनवमी की शोभा यात्राओं पर बढ़ती पथराव की घटनाओं को लेकर मिश्रा ने बोले कि, आज यह कहा जा रहा है कि मुस्लिम इलाकों से रामनवमी की शोभायात्राएं निकलेंगी तो पथराव तो होगा ही. मिश्रा ने कहा कि आजादी से पहले 1920 में मोहम्मद अली जिन्ना ने भी कराची में यही बात कही थी. उसके बाद वहां अलग देश बनाने की मांग उठी.

अपने संबोधन में कपिल मिश्रा बोले कि, आजादी के बाद हमसे कई झूठ बोले गए और किताबों में गलत जानकारी पढ़ाई गई. जो खोज हमारी ज्ञान परंपरा ने की, उनका श्रेय विदेशियों को दिया गया. वे बोले कि आमतौर पर हमें बताया जाता है कि अंग्रेजों के आने के बाद हमारे यहां पढ़ाई का मॉडल आया. जबकि भारत ने अंग्रेजों से शिक्षा का मॉडल नहीं लिया बल्कि अंग्रेजों ने यहां से शिक्षा का मॉडल लिया था.

 अंग्रेजों ने अपने सर्वे में बताया कि यहां गांव-गांव में गुरुकुल की व्यवस्था है और सभी जातियों के लोगों को पढ़ने का अधिकार भी है. 18वीं सदी के बाद यह व्यवस्था अंग्रेज भारत से अपने यहां ले गए और इसके बाद वहां साक्षरता की दर बढ़ी. उन्होंने कहा कि हमसे आज भी यह झूठ बोला जाता है कि हम जातियों में बंटे हैं और कभी एक नहीं हो सकते हैं. जबकि हमारे समाज में जातीय जातीय भेदभाव की बातें अंग्रेजों ने गढ़ी हैं. सच्चाई यह भी है कि इस्लामिक और ईसाई देश भी आपस में लड़ रहे हैं.

कपिल मिश्रा ने कहा कि हमें यह पढ़ाया जाता है कि हमारा देश हजारों साल तक गुलाम रहा. जबकि हकीकत यह है कि भारत एक दिन भी किसी का गुलाम नहीं रहा.हमें मुगलों का झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है. जब मुगल भारत में थे तो उनसे बड़े कई साम्राज्य भारत में थे. जिन्होंने कभी उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की. अंग्रेजों का भी साम्राज्य नहीं रहा. देश के आधे से ज्यादा राज्यों से उनकी संधि नहीं रही. आजादी के समय सभी रियासतों से अलग-अलग संधि की गई. इसका मतलब यही है कि तब भी रियासतों का स्वतंत्र अस्तित्व था.

कपिल मिश्रा बोले कि आज हमसे पूछा जाता है कि आजादी की लड़ाई में कितना योगदान था? कहा जाता है कि कांग्रेस ने देश को आजादी दिलवाने के लिए लड़ाई लड़ी, जबकि कांग्रेस तो बनी ही इसलिए थी ताकि अंग्रेजों के बाद सत्ता देशभक्तों के हाथ में जाने से रोका जा सके. कांग्रेस ने हमेशा आजादी मिलने की राह में रोड़े अटकाए. वास्तव में हमें आजादी मिली है सुभाषचंद्र बोस, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण. मिश्रा ने कहा कि पहले झूठ बोला गया कि हिंदू-मुसलमान साथ नहीं रह सकते, लेकिन जैसे ही देश के दो टुकड़े हुए फिर कहा गया कि हिंदू-मुसलमान साथ रह सकते हैं.

राजनीति की दुकान चलाने के लिए लगाई गांधी सरनेम की तख्ती

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ''गांधी हूं, सावरकर नहीं'' वाले बयान पर तंज कसते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि वो सावरकर हो भी नहीं सकते, क्योंकि उसके लिए पहली शर्त राष्ट्रवादी होने की है. मिश्रा ने कहा कि आप गांधी भी नहीं हो, बल्कि गांधी सरनेम का बोर्ड तो आपने अपनी राजनीतिक दुकान चलाने के लिए लगाया है. उन्होंने कहा कि विपक्षी देश को बर्बाद करना चाहते हैं लेकिन मोदी दीवार बनकर खड़े हैं.

रामलला टैंट में थे, तब वे बड़े बंगलों में रह रहे थे, आज बंगले खाली हो रहे हैं

कपिल मिश्रा ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए राहुल गांधी को बंगला खाली करने की बात पर कहा कि आज रामलला का भव्य मंदिर बन रहा है और उनके अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों के बंगले खाली हो रहे हैं. जब रामलला टैंट में थे तब वे लोग बड़े-बड़े बंगलों में रह रहे थे. कभी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर राम और रामसेतु के अस्तित्व को ही नकार रहे थे. अब आज भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है और उनके अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों के बंगले खाली हो रहे हैं.

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