Jaipur news: राजस्थान में खरीफ की फसल की बुवाई हुए एक माह से ज्यादा का वक्त हो चुका है. फसलें खेतों में लहलहा रही हैं. इस बार बाजरा और ज्वार की बम्पर बुवाई हुई है. लेकिन यदि अतिवृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा से फसलें खराब हुई तो किसानों को बीमा योजना से फूटी कौड़ी नहीं मिल सकेगी.
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Jaipur: खरीफ की बुवाई हुए एक माह से ज्यादा का समय हो चुका है. फसलें खेतों में लहलहा रही हैं. इस बार बाजरा और ज्वार की बम्पर बुवाई हुई है. लेकिन यदि अतिवृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदा से फसलें खराब हुई तो किसानों को बीमा योजना से फूटी कौड़ी नहीं मिल सकेगी. वजह, किसानों का बीमा ही नहीं हो सका है. क्या हैं कारण, क्यों हो रही है लापरवाही, पड़ताल करती जी मीडिया की यह खास रिपोर्ट-
राजस्थान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अक्सर अव्वल रहता है. चाहे फसल बीमा योजना में पंजीकरण की बात हो या फिर किसानों को दिए जाने वाले क्लेम की, अक्सर राजस्थान इस योजना में अग्रणी रहा है. किसानों को पॉलिसी उनके हाथ देने की तो पहल ही राजस्थान सरकार ने की थी. राजस्थान की इस पहल को केन्द्र सरकार ने भी स्वीकार किया है. लेकिन इस बार चुनावी सीजन में राज्य सरकार अन्नदाता को शायद भूल बैठी है.
यही वजह है कि खरीफ फसलों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों का पंजीकरण ही नहीं हो पा रहा है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए खरीफ फसलों का बीमा 1 जुलाई से शुरू होता है, जो 31 जुलाई तक जारी रहता है. लेकिन इस बार किसानों का 20 जुलाई होने के बावजूद अभी तक पंजीकरण शुरू नहीं हो सका है. दरअसल इसके लिए राज्य सरकार को अपने स्तर पर प्रदेश के जिलों के क्लस्टर के हिसाब से बीमा कंपनियों का चयन करना होता है. इस बार कृषि विभाग ने बीमा कम्पनियों का टेंडर इन्वाइट किया. तकनीकी और वित्तीय निविदा खोले जाने की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन अंतिम रूप से क्लस्टर वाइज कंपनियों का चयन नहीं किया जा रहा है.
सरकारी कंपनी हावी, कृषि अफसर बैक फुट पर !
- दरअसल जून माह में कृषि विभाग ने टेंडर प्रक्रिया शुरू की
- प्रदेश में जिलों के हिसाब से 10 क्लस्टर हैं
- वित्तीय निविदा में एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया का रहा दबदबा
- इस सरकारी कंपनी ने 23 जिलों के लिए सबसे कम दरें डाली
- 3 जिलों में शेमा, 7 जिलों में रिलायंस की दरें कम रही
- पिछले वर्षों में ज्यादातर निजी कंपनियां ही टेंडर में दरें कम देती थी
- 28 जून तक बिड खोले जाने के बाद भी कंपनियों को अलॉटमेंट नहीं
- अभी तक कृषि विभाग के अफसर मंथन में ही लगे हुए
- पंजीकरण नहीं हाेने से किसान परेशान, कृषि भवन में चक्कर काट रहे किसान
कृषि विभाग के अफसरों की ढिलाई की वजह से प्रदेश के लाखों किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है. राज्य में खरीफ सीजन में पिछले वर्ष करीब 31 लाख किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पंजीकरण करवाया था. इस बार भी किसान 1 जुलाई से ही वेबसाइट पर पंजीकरण के लिए प्रयास कर रहे हैं, उन्हें निराश होना पड़ रहा है. योजना में पंजीकरण के लिए पीएम फसल बीमा योजना के पोर्टल पर किसान खुद पंजीकरण कर सकता है. या फिर बैंक के माध्यम से या नजदीकी जनसेवा केन्द्र से पंजीकरण कराया जा सकता है. लेकिन इस बार किसानों का किसी भी तरह से पंजीकरण नहीं हो पा रहा है.
10 दिन बचे हैं, कैसे होगा पंजीकरण ?
- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अब महज 10 दिन का समय बचा हुआ
- हर वर्ष 31 जुलाई रहती है बीमा योजना में पंजीकरण की अंतिम तिथि
- तिथि बढ़ाने का अधिकार राज्य सरकार के हाथ में नहीं
- ऐसे में अफसरों की ढिलाई से किसानों का पंजीकरण होना मुश्किल
जी मीडिया ने इस बारे में कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क करने का प्रयास किया तो वे बात करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए. योजना के समन्वयक कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक मुकेश माथुर और कृषि आयुक्त गौरव अग्रवाल बात करने के लिए उपलब्ध नहीं हुए. देखना होगा कि किसानों से जुड़े इस संवेदनशील मुद्दे पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, जो खुद एक किसान हैं, कब तक समाधान निकाल पाते हैं.
Reporter- Kashiram Choudhary
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