लंपी बीमारी से गोमाता को बचाने के लिए शीतला माता की शरण में पशुपालक, दूर-दूर से आ रहे पदयात्री
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लंपी बीमारी से गोमाता को बचाने के लिए शीतला माता की शरण में पशुपालक, दूर-दूर से आ रहे पदयात्री

लोगों का कहना है कि जीवन मे पहली बार शीतला माता के प्रति लोगों की आस्था,विश्वास देखने को मिल रहा है. मंदिर शीतला माता ट्रस्ट एवं नगर पालिका के साथ पुलिस प्रशासन यात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने में लगा हुआ है क्योंकि यात्राएं रात दिन आ रही हैं.

लंपी बीमारी से गोमाता को बचाने के लिए शीतला माता की शरण में पशुपालक, दूर-दूर से आ रहे पदयात्री

Chaksu: कोरोना महामारी से त्रस्त जनता अभी संभल भी नहीं पाई कि गोवंश में फैल रही जानलेवा बीमारी लंपी ने किसानों एवं पशुपालकों को झकझोर कर रख दिया. देखते देखते हजारों की संख्या में गोमाताओं ने इस बीमारी के प्रकोप से प्राण त्याग दिए. हताश निराश किसानों एवं पशु पालकों ने प्राचीन परम्पराओं, मान्यताओं का सहारा लेते हुए इस लंपी बीमारी को बड़ी माता मानते हुए इसे चेचक का प्रकोप समझते हुए शीतला माता की शरण ली.

लोगों का कहना है कि जीवन मे पहली बार शीतला माता के प्रति लोगों की आस्था,विश्वास देखने को मिल रहा है. मंदिर शीतला माता ट्रस्ट एवं नगर पालिका के साथ पुलिस प्रशासन यात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने में लगा हुआ है क्योंकि यात्राएं रात दिन आ रही हैं.चढ़ावे के रूप में आ रहे अन्न का सदुपयोग करने के लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा गो शालाओं में गो माता के लिए व मंदिरों में पक्षियों के लिए भेज जा रहा है. जयपुर से महज 45 किलोमीटर दूर चाकसू स्थित शीतला माता मंदिर पर पिछले एक महीने से श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ लग रही है.

अब तक सैकड़ों की संख्या में दूर दराज से पैदल यात्रियों का आना जाना लगा रहा है. इनके स्वागत सत्कार के लिए जगह जगह विश्राम की व्यवस्था की जा रही है. लोगों का मानना है कि शीतला माता की कृपा से उसके चरणामृत ( चपडाव) से आशातीत लाभ मिल रहा है. आज कल शीतला माता मंदिर परिसर एवं मंदिर पर यात्रियों का जमावड़ा लगा रहता है. शीतलादेवी मंदिर तक पहुंचने के लिए जितने रास्ते हैं सभी पर डीजे के साथ नाचते गाते यात्रियों की लम्बी कतार आती दिखती है. शीतला माता की जय के घोष के नारे गूंज रहे हैं. अधिकांश जिलों से शीतला माता के यात्राएं आ रही हैं.

चाकसू निवासी कैलाश शर्मा कहना है कि वर्तमान में गो माता में फैल रहे लंपी रोग को लेकर गांवों में मान्यता है कि यह बड़ी माता (चेचक)का दूसरा रूप है. इस रोग में शीतला माता का चरणामृत (चपडाव) लगाने से गायों में फैली लंपी बीमारी में कुछ हद तक लाभ मिला है. जिसके चलते माता के मंदिर में हजारों की संख्या में यात्री उमड़ रहे हैं. राजस्थान ही नहीं अन्य प्रदेशों से भी लोग माता के दर्शन के लिए आ रहे हैं. जिस हिसाब से लोगों की आस्था शीतला माता के प्रति बढ़ी है निश्चित रूप से शीतला माता जयपुर ही नहीं राजस्थान का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बनेगा.

शीतला माता मंदिर के पुजारी भगवान प्रजापति का कहना है कि करीब डेढ़ महीने से रोजाना पद यात्राएं आ रही हैं. उनका कहना है कि गो माता में फैली लंपी बीमारी का डॉक्टर्स से भी पूर्ण रूप से इलाज नहीं हो रहा है लेकिन शीतल से श्रद्धालु माताजी का चरणामृत (चपडाव)ले जाकर गो वंश में लगाने से लंपी बीमारी में लाभ हो रहा है. जिसके चलते रोजाना हजारों की संख्या में दूर दूर से श्रदालु माता रानी के दर पर पहुंच रहे हैं

बस्सी निवासी श्रद्धालु विकेश खोलिया का कहना है कि करीब दो माह से शीतला माता के लगातार श्रदालु आ रहे है ओर माता के चपडाव को लंपी से ग्रसित गोवंश के लगाने से वो ठीक हो रहे हैं. आसपास के पशु चिकित्सक भी डायरेक्ट इनडायरेक्ट रूप में कह रहे हैं कि शीतला माता के चपडाव से पशुओं की बीमारी में लाभ हो रहा है. पश्चिमी राजस्थान बाड़मेर जैसलमेर तक के किसान भी शीतला माता के डीजे के साथ शीतला माता पदयात्रा लेकर आ रहे हैं.

गो वंश में फैले लंपी वायरस को लेकर चाकसू निवासी पूर्व पार्षद सरदार परमजीत सिंह का कहना है कि लंपी वायरस को लेकर जहां प्रशासनिक तंत्र व पशु चिकित्सक फेल हो गए हैं वहां शीतला माता के चपडाव से बीमारी ठीक हो रही है.

Reporter- Amit Yadav

 

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