अन्नदाताओं को बजट से आस: उपज का न्यूनतम समर्थन मिले, ECRP का बाकी काम पूरा हों
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अन्नदाताओं को बजट से आस: उपज का न्यूनतम समर्थन मिले, ECRP का बाकी काम पूरा हों

 गहलोत सरकार के बजट से हर वर्ग को उम्मीद है.मरूधरा के किसानों को भी उतनी उम्मीद और आस सरकार के आखिरी बजट से है.

अन्नदाताओं को बजट से आस: उपज का न्यूनतम समर्थन मिले, ECRP का बाकी काम पूरा हों

जयपुर: गहलोत सरकार के बजट से हर वर्ग को उम्मीद है.मरूधरा के किसानों को भी उतनी उम्मीद और आस सरकार के आखिरी बजट से है. हालांकि, बजट से किसानों की पूर्णतया ऋण माफी उम्मीद है.सहकारी बैंको का तो ऋण माफ हो गया,लेकिन अब तक राष्ट्रीयकृत बैंको का ऋण माफ नहीं हुआ है.इसके अलावा प्रदेश के किसानों को और भी उम्मीदे है बजट से.

बजट से किसानों को ये हैं उम्मीदें 

न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को प्राप्त हो,उससे कम दामों पर उपज नहीं बिके. कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 में संशोधन करना चाहते है.वहां लिखा है कर सकते है,लेकिन किसान की मांग है कि इस शब्द को बदलकर करना ही है,का संशोधन करे.

1963 के नियम कोई भी उपज मंडी में आती है तो उसका मूल्य निर्धारण खुली नीलाम बोली से होता है,इसमें सरकार संशोधन कर नीलामी बोली एमएसपी से शुरू करे.जिससे किसानों की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम नहीं बिकेगी और किसानों को उपज का उचित दाम मिल पाएगा.

-कृषि के लिए सबसे जरूरी है पानी.पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना में 37 हजार करोड की लागत है,जिसमें 26 बांध बनने है.10 हजार करोड का काम इस परियोजना में खर्च हो चुके है.किसानों को उम्मीद है कि इस बजट से बाकी 27 हजार करोड मिल पाएंगे,ताकि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से खेतों में पानी की समस्या का समाधान हो पाएगा.

गोदाम में अनाज रखने से किसानों को मिलता है एक मुश्त पैसा

एक ग्राम पंचायत में एक साल का बजट आता है 1 करोड से 2 करोड तक.किसान चाहते है ये बजट गोदाम बनाने में काम में लिया जाए.किसान अपनी उपज को गोदामों में रख जाएगा.2007 में कानून बना हुआ है कि एक बार किसान गोदाम में अपनी उपज रख देता है तो उसे 80 प्रतिशत पैसा किसानों को मिलता ही है.यदि गोदाम बनेंगे तो मजबूरी में किसानों को खेती नहीं बेचनी पडेगी.

 

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