Dr Archana Suicide Case: सुसाइड नोट में मिले साइन और FSL रिपोर्ट पर रामलाल शर्मा और जितेंद्र गोठवाल ने उठाए सवाल
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Dr Archana Suicide Case: सुसाइड नोट में मिले साइन और FSL रिपोर्ट पर रामलाल शर्मा और जितेंद्र गोठवाल ने उठाए सवाल

Dr Archana Suicide Case: बीजेपी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा और इस मामले में पुलिस कार्रवाई का सामना करने वाले बीजेपी के प्रदेश मंत्री जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि सुसाइड नोट पर जो दस्तखत हैं, उनका मिलान करने वाली रिपोर्ट गलत होने की आशंका है.

Dr Archana Suicide Case: सुसाइड नोट में मिले साइन और FSL रिपोर्ट पर रामलाल शर्मा और जितेंद्र गोठवाल ने उठाए सवाल

Jaipur: लालसोट के डॉ अर्चना शर्मा आत्महत्या मामले में बीजेपी ने मृतक डॉक्टर को न्याय की मांग उठाते हुए पुलिस के साथ ही मामले की जांच में एफएसएल रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं. बीजेपी के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा और इस मामले में पुलिस कार्रवाई का सामना करने वाले बीजेपी के प्रदेश मंत्री जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि सुसाइड नोट पर जो दस्तखत हैं, उनका मिलान करने वाली रिपोर्ट गलत होने की आशंका है.

रामलाल ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में जिन दस्तखत को डॉ अर्चना के साइन बताया है, उन्हीं साइन को दूसरी जांच लैब डॉ अर्चना के साइन नहीं मानती. रामलाल शर्मा ने कहा कि एफएसएल ने केवल दस्तखत के पहले अक्षर के आधार पर ही मिलान कर दिया, जो रिपोर्ट पर सवाल खड़े करता है. रामलाल ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने पूर्व विधायक जितेंद्र गोठवाल पर कार्रवाई की, लेकिन न तो उनका नाम एफआईआर में था और न ही सुसाइड के वक्त वे लालसोट में थे. रामलाल ने कहा कि बीजेपी खुद चाहती है कि अर्चना शर्मा को न्याय मिले और इसके लिए सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए. 

रामलाल शर्मा ने कहा कि लालसोट विधानसभा क्षेत्र में आशा बैरवा की प्रसव के दौरान मृत्यु पर निजी अस्पताल के डॉक्टर को दोषी मानते हुए डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ एक एफ.आई.आर दर्ज होने के बाद दूसरे दिन डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या की, लेकिन उसके बाद राजनीति के स्तर के ऊपर अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सरकार के द्वारा जो कृत्य किए गए, उसकी भारतीय जनता पार्टी निंदा करती है. सरकार के दबाव में पुलिस ने जिन्हें मुलजिम बनाया, वह मृतका को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं. 

शर्मा ने बताया कि यदि फॉरेंसिक जांच दिल्ली या हैदराबाद से होकर आए तो मृतका को न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि जितेंद्र गोठवाल ने उस समय भी इंवेस्टिगेशन ऑफिसर के सामने भी अपना परिवाद देते हुए कहा था कि सरकार की लैब पर विश्वास नहीं है, लिहाजा इसकी जांच हैदराबाद या दिल्ली की लैब से कराई जाए. रामलाल ने कहा कि न्यायालय में भी परिवाद पेश करके जांच की निष्पक्षता को लेकर गोठवाल ने अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सब पहलुओं को नजरअंदाज करते हुए और अपने प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक आधार पर इस विषय को डायवर्ट करने का काम किया है. 

शर्मा ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी मांग करती है कि सरकार में जरा सी भी संवेदनशीलता है तो सरकार इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराएं, सरकार इसकी जांच राजस्थान की लैब से करवाने के बजाय, हैदराबाद या दिल्ली की लैब से जांच करें, इसे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. लेकिन जितेंद्र गोठवाल ने हर वक्त मीडिया के सामने भी और अन्य अपने स्टेटमेंट में भी यह कहा है कि डॉ अर्चना शर्मा को न्याय मिलना चाहिए, उसके साथ जो हादसा हुआ वह दुखद है, दुख सभी को है, लेकिन जो दोषी है उनके खिलाफ सरकार कार्रवाई करें, लेकिन निर्दोष लोगों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करें यह अनुचित है, गलत है, जो अब्युट बनाया गया, उस अब्युट की पृष्ठभूमि भी मैं मीडिया के सामने रखना चाहूंगा. निष्पक्षता के साथ सीबीआई से जांच करवाएं, अगर सरकार को लगता है कि हम ईमानदारी के साथ में काम कर रहे है और सरकार को कोई आंच नहीं आए तो सीबीआई से जांच हो, और दिल्ली और हैदराबाद की एफएसएल से जांच होकर आए, ताकि जो सही हो मैं सही हूं और गलत को सजा मिले. 

इस मामले में पुलिस कार्रवाई का सामना कर चुके जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि डॉ अर्चना सुसाइड मामले के अंदर सरकार द्वारा भारतीय जनता पार्टी के लोगों को शामिल करने का षड्यंत्र रचा गया. गोठवाल ने कहा कि उस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के खिलाफ वे धरना-प्रदर्शन कर रहे थे और कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी को 922 रुपये खर्च करके खुद उन्होंने रेल की टिकट भेजी थी. गोठवाल ने कहा कि इस तरह की हरकतों पर रोक लगाने की मंशा से सरकार के इशारे पर मनगढ़ंत कहानी बनाकर एफआईआर दर्ज की गई.

गोठवाल ने कहा कि जिस समय अर्चना जहां पर सुसाइड करती है, वहां पर पुलिस को बाद में सूचना दी जाती है. गोठवाल बोले कि उन्होंने उसी समय कहा था कि यह डॉक्टर की हैंडराइटिंग नहीं है. गोठवाल ने कहा कि मैंने यहां के गृह सचिव को एफएसएल रिपोर्ट के लिए पहले से ही निवेदन किया था, कि मुझे राजस्थान की सरकारी लैब पर विश्वास नहीं है. गोठवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उसको मैनेज करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि सरकार इस केस में अपनी गलतियों को दबाने के लिए यह सारा षड्यंत्र रच रही है. 

गोठवाल ने कहा कि इस मामले में धारा 302 के तहत की एफआईआर पुलिस ने की. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 302 की एफआईआर डॉक्टरों के खिलाफ होती ही नहीं है. गोठवाल ने कहा कि पुलिस ने सारी सूचनाएं मिलने के बाद भी सुसाइड माना और यह इस बात को दर्शाता है कि इस केस के कई और भी तथ्य हैं, जो पुलिस के सामने आना जरूरी हैं. 

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गोठवाल ने कहा कि पुलिस एसएचओ को सस्पेंड करने के बाद भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती है. साथ ही उन्होंने कहा कि यह सब ऐसे हालात में, जबकि सरकार ने मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा था, कि पुलिस अगर धारा 302 में मामला दर्ज नहीं करती तो यह हादसा नहीं होता. गोठवाल ने कहा कि इसके बाद भी इस केस का इंवेस्टिगेशन ऑफिसर सार्वजनिक रूप से कहता है कि वे सरकार के निर्देश पर काम करेंगे. 

गोठवाल ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में जयपुर ग्रामीण रेंज के आईजी को जांच दी गई और उसके बाद बीजेपी के लोगों को दुर्एभावनापूर्ण तरीके से फंसालाय गया. गोठवाल ने कहा कि इस मामले से जुड़े पुलिस अधिकारियों को सरकार ने 15 अगस्त पर सम्मानित भी किया. 

गोठवाल ने न्याय की मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार चाहती है कि इस केस में आशा बैरवा और डॉ अर्चना शर्मा के साथ उन लोगों को भी न्याय मिले जो 50 दिन जेल में रहकर आए तो इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए. गोठवाल ने कहा कि इसके साथ ही निलंबित पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो और सरकार ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई करें. 

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