उमंग, उत्साह, उल्लास और रोशनी का महापर्व दिवाली हस्त चित्रा नक्षत्र, वैधृति विष्कुंभ योग में चतुर्दशी युक्त अमावस्या के रूप में मनाया जा रहा है. रोशनी से लकदक शहर में विभिन्न मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन होगा.
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Jaipur: उमंग, उत्साह, उल्लास और रोशनी का महापर्व दिवाली हस्त चित्रा नक्षत्र, वैधृति विष्कुंभ योग में चतुर्दशी युक्त अमावस्या के रूप में मनाया जा रहा है. रोशनी से लकदक शहर में विभिन्न मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन होगा. पटाखे और आतिशबाजी से रंग बिरंगा आसमान सरोबार नजर आएगा. इससे पूर्व धन देवी की मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों में सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है. मंदिरों से लेकर घर पूरी तरह रोशनी से जगमण रहेंगे. साथ ही आस्था के दीप जलने से छोटीकाशी भी अयोध्या जैसी नजर आएगी.
शाम को शहरवासी परिवारजनों के साथ मिलकर घरों और प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी पूजन करेंगे. साथ ही भगवान गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, कुबेर से सुख समृद्धि की कामना की जाएगी. इससे पूर्व दीपदान किया जाएगा. ज्योतिषविदों के मुताबिक इस बार कई ग्रहों का संयोग दिवाली के पर्व पर खास बनेगा, जो आगामी समय में देश की साख को ओर मजबूत करेगा.
दिवाली के दिन सुबह शहर के बाहरी बाजारों के साथ ही परकोटे के बाजारो में खरीददारी की भीड़ नजर आई. घर के साज सज्जा से लेकर मांडने, दीपक, लक्ष्मी पूजन सामग्री, फल-फूल, प्रसाद, गन्ने आदि की बिक्री हुई. खासतौर पर इस बार आत्मनिर्भर भारत के तहत गोशालाओं में बने गोबर के दीपकों की मांग ज्यादा देखने को मिली. दिवाली वाली पूजन के लिए शुभ माने जाने वाले गन्ने की जोड़ी की कीमत इस बार महंगी रही. एक जोड़ी गन्ने की कीमत जहां 50 रुपए तो हजारे की माला के दाम भी बढ़े हुए नजर आए. हजारे की माला की कीमत 30 से 70 तो वहीं गुलाब की माला 80 रुपए प्रति माला तक बिकी.
लंबे समय बाद छोटे से लेकर बड़े व्यापारी भी खुश नजर आए. परकोटे के चांदपोल, बड़ी चौपड़, जौहरी बाजार में की गई रोशनी आकर्षण का केंद्र रही. इस दौरान कहीं माता लक्ष्मी भक्तों का आर्शीवाद देते नजर आई तो कृष्ण भक्ति, आजादी का अमृत महोत्सव, डिज्नीलैंड की सजावट आकर्षण का केंद्र रही. बचें ने परिवार के साथ सजावट के बीच फोटोज क्लिक भी की.
इस बीच कुछ बाजारों में जाम की स्थिति भी रही. ट्रैफिक रेंग-रेंगकर चलता नजर आया. ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त प्रदोष काल, स्थिर, वृष लग्न, स्थिर कुंभ नवमांश का समय शाम 7.15 से 7.28 मिनट तक रहेगा. अतःयह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. कार्तिक कृष्ण अमावस्या की संपूर्ण रात्रि को कालरात्रि माना जाता है, लेकिन अगले दिन सूर्यग्रहण होने से कल सुबह 4.15 बजे तक पूजा अर्चना के साथ ही विसर्जन होगा. शाम 5.28 संपूर्ण रात्रि विद्यमान रहेगी. कार्तिक कृष्ण अमावस्या की संपूर्ण रात्रि को कालरात्रि माना जाता है, लोग दीपावली की रात्रि में श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त, पुरुष सूक्त, देवी सूक्त,कनकधारा स्तोत्र, गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें.