8 साल की बच्ची के साथ गंदी हरकत करने वाले दोषी को कोर्ट ने अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई
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8 साल की बच्ची के साथ गंदी हरकत करने वाले दोषी को कोर्ट ने अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई

Jaipur News: पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 महानगर द्वितीय ने आठ साल की मासूम के साथ ज्यादती करने वाले अभियुक्त भूरा उर्फ सलीम को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. 

मासूम के साथ ज्यादती करने वाले को कोर्ट ने सुनाई सजा.

Jaipur News: पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 महानगर द्वितीय ने आठ साल की मासूम के साथ ज्यादती करने वाले अभियुक्त भूरा उर्फ सलीम को बीस साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर पांच हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त ने अपनी बेटी की आठ साल की सहेली के साथ ज्यादती की है. उसके कृत्य को माफ नहीं किया जा सकता है.

गंदी हरकतें करने के बाद धमकाया
अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया गया कि पीड़िता के पिता ने भट्टा बस्ती पुलिस थाने में 13 मई 2021 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि उसके पड़ोस में रहने वाले अभियुक्त की बेटी उसकी नाबालिग बेटी की सहेली है. अभियुक्त उसकी बेटी सहित एक अन्य बच्ची को अपने घर में खेलने के लिए लेकर गया था, लेकिन घर पर अभियुक्त की बेटी नहीं थी और उसकी पत्नी भी पीहर गई हुई थी. इसके बावजूद अभियुक्त ने दोनों को रोक लिया और कपडे़ खोलकर उनसे गंदी हरकतें करने लगा. वहीं उन्हें धमकाया कि यदि वहां से गई तो उन्हें हौद में डालकर मार देगा.

भागकर परिजनों को घटना की जानकारी दी
जब अभियुक्त अंदर गया तो दोनों बच्चियां वहां से भाग आई और परिजनों को घटना की जानकारी दी. वहीं लोगों के मौके पर जाने पर अभियुक्त वहां से भाग गया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 11 गवाहों के बयान लेखबद्ध कराए गए.

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न्यायालय ने टिप्पणी भी की है कि मासूम बच्ची के साथ ज्यादती के अपराधों में अभियुक्त के प्रति यदि नरमी का रूख अपनाया जाएगा तो निश्चित रूप से समाज में विपरित संदेश जाएगा.

इस प्रकार के अपराधियों का मनोबल बढ़ेगा. ऐसे अभियुक्त के प्रति नरमी का रूख अपनाया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है बल्कि प्रकरण के समस्य तथ्यों, परिस्थितियों एवं अपराध की प्रकृति को मद्देनजर रखते हुए अभियुक्त को दंडित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है.

Reporter-Mahesh Pareek

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