दिवाली पर कोरोना नई शक्ल में दे सकता है दस्तक, इधर अमेरिका में Corona का घातक स्ट्रेन तैयार, डेथ रेट 80 फीसदी
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दिवाली पर कोरोना नई शक्ल में दे सकता है दस्तक, इधर अमेरिका में Corona का घातक स्ट्रेन तैयार, डेथ रेट 80 फीसदी

दिवाली पर इस दौरान भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जानें से बचें क्योंकि कोरोना का नया वैरिएंट BQ.1 भारत में आ चुका है, इधर अमेरिका में कोरोना से भी घातक वैरिएंट बना लिया गया है जो चिंता की वजह है.

दिवाली पर कोरोना नई शक्ल में दे सकता है दस्तक, इधर अमेरिका में Corona का घातक स्ट्रेन तैयार, डेथ रेट 80 फीसदी

New Covid Variant : कोराना महामारी की दहशत अब भी लोगों के दिलों में हैं और इस बार दिवाली पर खास सतर्कता के निर्देश दिये गये हैं, कई देशों में कोरोना के मामले एक बार फिर बढ़ रहे हैं और इसके पीछे वजह है कोरोना का नया वेरिएंट BQ.1.

दरअसल कुछ देशों में  कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के कुछ सब वेरिएंट पाए गए हैं जिससे कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती दिख रही है. टेंशन की बात ये है कि इस सब वेरिएंट की भारत में भी एंट्री हो गयी है और दिवाली से पहले इस वेरिएंट के आने से कोरोना की एक नई लहर देखने को भी मिल सकती है. इसलिए सतर्क रहने की जरुरत है.

इधर अमेरिका में बोस्टन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 80% मृत्यु दर के साथ एक नया COVID-19 स्ट्रेन लिया है. फॉक्स न्यूज के मुताबिक कथित रूप से इसी तरह के चीन की लैब में प्रयोगों की एक सिरीज दुनिया भर में महामारी की वजह बनी थी.

फ्लोरिडा और बोस्टन के शोधकर्ताओं के एक समूह ने विश्वविद्यालय की लैब में इस रिसर्च को किया है. जिसकी खबरों के सामने आते ही एक्सपर्ट्स ने वैज्ञानिकों की आलोचना की है. बताया जा रहा है कि इस रिसर्च में इस्तेमाल किए गए 80 प्रतिशत मर गए. विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी वैज्ञानिक आग से खेल रहे हैं.

विश्वविद्यालय ने बताया कि कोरोना का ये स्ट्रेन ओमिक्रॉन और वुहान के मूल वायरस का एक काम्बिनेशन है. शोधकर्ताओं ने ओमिक्रॉन से स्पाइक प्रोटीन निकाला और इसे उस स्ट्रेन के साथ मिला कर शोध किया. जिसे शुरू में चीन के वुहान में महामारी की शुरुआत में खोजा गया था. इस दौरान संक्रमित चूहों ने हाइब्रिड स्ट्रेन पर दी गयी प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड किया गया. विशेषज्ञों ने बताया है कि नए संस्करण में ओमिक्रॉन स्ट्रेन की तुलना में पांच गुना ज्यादा संक्रामक वायरस कण मौजूद हैं.

क्यों हो रही है रिसर्च उठे सवाल
फ्लोरिडा और बोस्टन के वैज्ञानिकों की एक टीम ने स्कूल की नेशनल इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज लेबोरेटरीज में ये रिसर्च की. ये लैब अमेरिका में 13 जैव सुरक्षा स्तर 4 प्रयोगशालाओं में से एक है. ये COVID और इबोला जैसी खतरनाक रिसर्च परियोजनाओं पर ही काम कर रही है.

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