जयपुर जिला परिषद की बैठक में बीडीओ-प्रधान में टकराव
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जयपुर जिला परिषद की बैठक में बीडीओ-प्रधान में टकराव

जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में बीडीओ और प्रधान के बीच टकराव का मामला तूल पकडता जा रहा हैं. मामले में जांच के लिए जिला कलक्टर के निर्देश पर जांच कमेटी का गठन कर दिया गया हैं. 

 जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक

Jaipur: जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में बीडीओ और प्रधान के बीच टकराव का मामला तूल पकडता जा रहा हैं. मामले में जांच के लिए जिला कलक्टर के निर्देश पर जांच कमेटी का गठन कर दिया गया हैं. तो दूसरी तरफ राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा संघ चाकसू विकास अधिकारी के समर्थन में उतर आया हैं. वहीं चाकसू विकास अधिकारी के आरोपों को चाकसू प्रधान और उनके पति ने पलटवार करते हुए कहा की बीडीओ पद का दुरूपयोग और प्रधान के अधिकारों का हनन कर रही हैं.

जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में चाकसू विकास अधिकारी और प्रधान ने एक-दूसरे पर लगाए आरोप के मामले में जांच कमेटी का गठन कर दिया गया हैं. कलक्टर राजन विशाल के निर्देश पर सीईओ जिला परिषद ने जांच शुरू कर दी हैं. दरअसल चाकसू विकास अधिकारी कृष्णा माहेश्वरी ने चाकसू प्रधान उंगता चौधरी के पति बद्रीनारायण चौधरी पर प्रताडित करने के आरोप लगाए थे. और सदन में फूट-फूट कर रो पड़ी थी. इस मामले पर चाकसू प्रधान उगंता देवी ने पलटवार करते हुए कहा की विकास अधिकारी के लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.

उनके पति का कोई पंचायत समिति में दखल नही रहता हैं. वो धमकी देती हैं की नगर निगम ग्रेटर सौम्या गुर्जर की तरह घर बैठा दूंगी. पंचायत समिति में विकास कार्यो की जानकारी नहीं देती हैं. खुलेआम बीडीओ कृष्णा माहेश्वरी पद का दुरूपयोग और प्रधान के अधिकारों का हनन कर रही हैं. जब उनको विकास कार्यो पर चर्चा के लिए बुलाया जाता हैं तो वो आती नही हैं. जब पंचायत समिति में उनके कक्ष में जाकर चर्चा की जाती हैं तो कहती हैं की आप तो अनपढ़ प्रधान हो और मे पढी़ लिखी अधिकारी हूं. 

इस कार्यालय पंचायत समिति की में मालिक हूं. जो चाहूंगी वहीं होगा. इसकी शिकायत पंचायतीराज विभाग और कलक्टर, जिला परिषद सीईओ को ज्ञापन देकर की जा चुकी हैं. और मांग की हैं की पंचायत समिति में चल रहे कार्यो की जांच करवाई की जाए. उनके शहर में बीडीओ कृष्णा माहेश्वरी बाधक बनी हुई हैं. इसके साथ ही बीडीओ पंचायत समिति की मुखिया मानती हैं और प्रधान को पत्र लिखकर निर्देशित करती हैं. बीडीओ अपने को संविधान से उपर मानते हुए प्रधान को ही आदेश जारी कर रही हैं. बार-बार उनको अनपढ़ गवार कह देती हैं. उधर प्रधान पति बद्रीनारायण चौधरी का कहना हैं की पंचायत समिति में कैमरे लगे हुए हैं. उनकी जांच करवा ली जाए कौन पंचायत समिति में आता हैं. उनके लगाए गए सभी आरोप गलत हैं.

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उधर चाकसू विकास अधिकारी कृष्णा माहेश्वरी के समर्थन में राजस्थान ग्रामीण विकास सेवा संघ उतर आया हैं. संघ के अध्यक्ष ताराचंद ने कहा की जिला परिषद की बोर्ड बैठक में जो बीडीओ के साथ दुरूव्यहार किया गया, उसकी निंदा करते हैं. एक तरफ सरकारें महिला सशक्तिकरण की बात करती हैं. महिला जनप्रतिनिधियों को आगे लाने की बात करती हैं. लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों से ज्यादा इनके सगी-संबंधी का सरकारी कामकाज में दखल रहता हैं. सरकारी ऑफिस में आकर दखल करते हैं. इस मामले में राज्य सरकार को संज्ञान लेना चाहिए नहीं तो हमारा संघ आंदोलन करेगा. 

वहीं दूसरी तरह इस मामले के बाद जयपुर के सभी विकास अधिकारियों ने कलक्टर और जिला परिषद को ज्ञापन सौंपा. उन्होने कहा की जिला परिषद की बैठक आमजन के मुद्दे, नीतिगत निर्णय और अन्य अनुमोदन के लिए आयोजित की जाती हैं. इस बैठक में किसी अधिकारी पर पूर्वाग्रहपूर्ण अशोभनीय टिप्पणी करना नियम विरूद्ध और सदन की गरिमा के प्रतिकूल हैं. यदि भविष्य में इस प्रकार के व्यक्तिगत टिप्पणी पर रोक नहीं लगाई तो जिले के विकास अधिकारी जयपुर जिला परिषद की साधारण सभा में शामिल नहीं होंगे.

बहरहाल, राज्य की सियासत में ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है. विवाद पहले भी होते रहे है. लेकिन हर बार जनप्रतिनिधियों का पलड़ा भारी रहा है. विवादों में हमेशा अफसरों को पद से हटाना पड़ा है. राजधानी से लेकर जिलों में मंत्री-आईएएस, विधायक-एसडीएम के बीच टकराव की खबरे आती रहती हैं. पूर्व में भी मंत्रियों, विधायकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के निशाने पर रहे आईएएस और आईपीएस अफसरों के तबादले होते रहे हैं. 

 

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