Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन राजस्थान के शिला माता मंदिर में लगा भक्तों का तांता, तिरछे मुंह वाली देवी की बरसती है सीधी कृपा
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Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन राजस्थान के शिला माता मंदिर में लगा भक्तों का तांता, तिरछे मुंह वाली देवी की बरसती है सीधी कृपा

Chaitra Navratri 2024: आज से देश भर में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ हो गई. छोटी काशी जयपुर के आमेर स्थित शिला माता मंदिर में 12 बजकर 4 मिनट पर घट स्थापना शुरू हुई, 1 मंदिर के पट खोले गए. मंदिर के पट खुलते ही भक्तों का सैलाब मंदिर में उमड़ा. 

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन राजस्थान के शिला माता मंदिर में लगा भक्तों का तांता, तिरछे मुंह वाली देवी की बरसती है सीधी कृपा

Chaitra Navratri 2024: आज से देश भर में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ हो गई. छोटी काशी जयपुर के आमेर स्थित शिला माता मंदिर में 12 बजकर 4 मिनट पर घट स्थापना शुरू हुई, 1 मंदिर के पट खोले गए.

चैत्र नवरात्रि पर आमेर स्थित शिला माता मंदिर में भक्तों का उमड़ा सैलाब 

मंदिर के पट खुलते ही भक्तों का सैलाब मंदिर में उमड़ा. बड़ी संख्या में श्रद्धालु शिला माता की जयकारे लगाते हुए मंदिर की ओर बढ़ने लगे. इस दौरान भक्तों ने माता को चुनरी, प्रसाद अर्पित कर मनोकामना मांगी.

इस बारे में शिला माता मंदिर के पुजारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि नवरात्रों में प्रतिदिन दुर्गा माता का पाठ और हवन किया जाएगा। इसके साथ ही माता रानी का विशेष श्रंगार कर झांकी भी सजाई जाएगी. शिला माता मंदिर में नवरात्रों के दौरान 10 महाविद्याओं और 9 दुर्गाओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना शुरू हुई. शिला माता मंदिर में नवरात्र के दौरान दर्शनार्थियों के लिए दर्शनों की विशेष व्यवस्थाएं की गई. 10 अप्रैल से 17 अप्रैल तक शिला माता मंदिर दर्शन समय रहेगा. 

सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक.

शाम 4 बजे से रात 8:30 बजे तक दर्शनार्थी कर सकेंगे दर्शन.
दोपहर 12:30 बजे से शाम 4 बजे तक दर्शन बंद रहेंगे.

शिला माता मंदिर में सुबह 8 बजे से 8:15 बजे तक बालभोग.
सुबह 10 बजे आरती,सुबह 11 बजे से 11:30 बजे तक राजभोग.

शाम 6:45 बजे संध्या आरती,रात 7:45 बजे से 8 बजे तक रात्रि भोग.
शिलामाता मंदिर में शयन आरती 8:30 बजे होगी.

18 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे नवरात्रा उत्थापना.

आमेर महल के जलैब चौक में शिला माता मंदिर अपनी बड़ी महिमा और चमत्कारिक केंद्र के लिए जाना जाता है. युद्ध के समय की बात हो या फिर किसी पर संकट आया हो, माता रानी को जिसने मन से याद किया उसने युद्ध भी जीता और संकट भी टला है.

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16 वीं शताब्दी के इस मंदिर का आकर्षण अभी भी उसी तरह बरकरार है और जो भी यहां आता है उन्हें इसके माता रानी के दिव्य दर्शन होते हैं. माता शिला देवी का मंदिर अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए जाना जाता हैं. साथ में इस मंदिर की बड़ी महिमा है और चमत्कारिक भी.

शिला माता के आशीर्वाद से ही मुगल शासक अकबर के प्रधान सेनापति रहते हुए राजा मानसिंह ने 80 से अधिक लड़ाईयों में विजय हासिल की, तभी से जयपुर राजवंश के शासकों ने माता को ही शासक मानकर राज्य किया. आमेर महल के अधीक्षक राकेश छोलक ने बताया श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई तकलीफ नहीं हो इसकी ओर से विभाग के द्वारा सभी इंतजाम किए गए हैं.

श्रद्धालुओं के लिए टेंट और पानी की व्यवस्था के साथ-साथ पुलिस और चिकित्सा व्यवस्थाएं भी मुस्तैद की गई है. 19 अप्रैल तक हाथी सवारी पर भी रोक लगा दी गई है. वहीं श्रद्धालुओं ने कहा वह हर साल नवरात्र में शिला माता के दर्शन करने जरूर आते हैं, शिला माता से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूर्ण होती है.

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