मुगल हरम के दीवाने हो गये थे अंग्रेज, लेकिन कामसूत्र के अनुवादक की सलाह थी चौंकाने वाली
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मुगल हरम के दीवाने हो गये थे अंग्रेज, लेकिन कामसूत्र के अनुवादक की सलाह थी चौंकाने वाली

मुगलों(Mughal) के कमजोर होने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company)भारत (india)में मजबूत हो रही थी. लेकिन अंग्रेज भी मुगलों की तरह अय्याशी में डूबे थे. कुछ अंग्रेज अपने हरम (Haram)बना चुके थे और कई शादियां कर चुके थे. लेकिन कामसूत्र (kamasutra)के अनुवादक अंग्रेज सर रिचर्ड बर्टन (Richard Burton)ने अंग्रेज पुरुषों के लिए ये बड़ी कह कर सबको चौंका दिया था.

मुगल हरम के दीवाने हो गये थे अंग्रेज, लेकिन कामसूत्र के अनुवादक की सलाह थी चौंकाने वाली

Mughal Haram : मुगल हरम का कांस्सेप्ट शुरू होने से लेकर इसके विस्तार होने तक हरम में औरतों की संख्या को लेकर इतिहासकारों ने अलग अलग बातें बताई हैं. शाहजहां और औरंगजेब के शासनकाल के मनूची के मुताबिक उस दौर में मुगल हरम में करीब 2000 रानियां थी. जिसमें मुस्लिम के साथ-साथ हिंदू, राजपूत और क्रिश्चियन औरते भी शामिल है. तो वहीं अबू फजल ने 'अकबरनामा' में बताया है कि अकबर के समय में ये संख्या करीब 5 हजार थी.

साल 1757 दिन 23 जून को हुआ प्लासी का युद्ध सब बदलने वाला था. बंगाल के नवाब और अंग्रेजों के बीच हुए इस युद्ध के बाद, भारत में अग्रेजों का शासन स्थापित हो रहा था और मुगल कमजोर हो चुके थे.

लेकिन मजाल है कि मुगलों की अय्याशी कम हुई हो. हरम में अभी भी सब कुछ जारी था. हरम को बनाये रखने के लिए लाखों खर्च हो रहे थे. अब अग्रेजों को भी मुगलों की अय्याशी भाने लगी थी और कुछ अंग्रेजों ने भी अपना हरम बना लिया था.

ब्रिटिश अधिकारी सर डेविड ऑक्टरलोनी जिसे वाइट मुगल  कहा जाता था. मुगलों की तरह ही अय्याशी करना चाहता था. वो मुगलों की तरह कपड़े और सिर पर पगड़ी पहनता था. हुक्का पीते हुए औरतों का नृत्य देखना उसे पसंद था. इस वाइट मुगल ने 13 हिंदुस्तानी औरतों से शादी भी कर ली थी.

दरअसल जब साल 1804 में दिल्ली में मुगल बादशाह शाह आलम था. तब मराठों के प्रमुख जसवंत राव होल्कर ने दिल्ली पर हमला बोल दिया था. तब इसी  अंग्रेज अफसर सर डेविड ऑक्टरलोनी ने दिल्ली की सुरक्षा संभाली थी.

खुश होकर बादशाह ने इस अग्रेंज अफसर को नासिर उद-दौला की उपाधि दे दी और फिर ब्रिटिश रेजिडेंट नियुक्त कर दिया गया. जिसके बाद ये वाइट मुगल कहलाया और लाल किले में रहने लगा. 

वाइट मुगल उर्फ डेविड ऑक्टरलोनी इकलौता नहीं था जो मुगलों की तरह अय्याशी कर रहा था. हैदराबाद में भी एक ब्रिटिश अधिकारी जेम्स एच्लीस किर्कपैट्रिक अपने घर में मुगलों की तरह जी रहा था और घर पर एक छोटा-सा हरम बना रखा था.

यहां ये बताना जरूरी है कि ई्स्ट इंडिया कंपनी की तरफ से अधिकारियों को ये चेतावनी दी जाती थी कि वो भारतीय महिलाओं के आकर्षण से बचें. हालांकि अक्सर अंग्रेज अफसर मनमानी करते थे.

नवभारत गोल्ड के एक आर्टिकल के मुताबिक कामसूत्र के अनुवादक और एक ब्रिटिश लेखक सर रिचर्ड बर्टन के बताया कि अंग्रेजों ने भारत में हरम इसलिए बना लिया, क्योंकि भारतीय महिलाएं प्रेम और शारीरिक संबंध के मामले में ज्यादा बेहतर थी.

कामसूत्र के अनुवादक बर्टन ने ये भी लिखा है कि भारतीय महिलाएं इतनी पारंगत थीं कि ब्रिटिश पुरुष उन्हें संतुष्ट कर ही नहीं कर पाते थे. एक भारतीय पत्नी को खुश करने के लिए 20 मिनट का समय देना होता था लेकिन अक्सर अंग्रेज पुरुष जल्दी में होते थे.

कामसूत्र के अनुवादक सर रिचर्ड बर्टन ने अपने देशवासियों को शक्ति बढ़ाने की सलाह भी दी. उन्होंने कहा कि यूरोपीय पुरुष अपनी पॉवर बढ़ाने के लिए शरबत और सिगार पीए पिए और सुपारी चबाएं(बर्टन ने ऐसा करते मुगलों को देखा था, उसे लगा ये ही उसकी काबलियत की वजह है)

मुगल कमजोर हो रहे थे और अंग्रेज ताकतवर लेकिन हरम के हालत वही थे. तमाम सुविधाओं के बाद भी गुलामों के तरह रह रही औरतों के लिये बाहरी दुनिया नहीं थी. नाफरमानी की एक ही सजा थी मौत.

हरम में अगर कोई औरत बात नहीं मानती तो उसे फांसी की सजा दे दी जाती थी. इसके लिए हरम के अंदर ही गुप्त रास्ते, सीढ़िया और कमरे थे. फांसी घर में मौत देने के बाद औरतों के शव को वहीं बने गहरे कुएं में फेंक दिया जाता था.

 

 

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