बड़ा ट्विस्ट! कांग्रेस के हाथ से फिसली शहरी सरकार की चाबी, सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी हुई रद्द
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बड़ा ट्विस्ट! कांग्रेस के हाथ से फिसली शहरी सरकार की चाबी, सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी हुई रद्द

Jaipur Greater Mayor : जयपुर की सियासत में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिला. कांग्रेस के हाथ से शहरी सरकार की चाबी फिसल गई, राजस्थान हाई कोर्ट ने सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी रद्द कर दी.  जिसके बाद मतगणना को बीच में रोककर बैलेट को सील बंद कर दिया गया.

बड़ा ट्विस्ट! कांग्रेस के हाथ से फिसली शहरी सरकार की चाबी, सौम्या गुर्जर की बर्खास्तगी हुई रद्द

Jaipur Greater Mayor : जयपुर नगर निगम ग्रेटर में आज हुए महापौर के उपचुनाव में बड़ा ट्विस्ट देखने को मिला. सुबह 11 बजे तक भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के पदाधिकारी अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे थे, लेकिन हाईकोर्ट के एक आदेश ने इस पूरे चुनावी घटनाक्रम की तस्वीर को ही बदलकर रख दिया. जिन समर्थकों के चेहरों पर जीत को लेकर खुशी थी वह मायूसी में बदल गई. आसमान से लेकर निगम मुख्यालय, भाजपा और कांग्रेस मुख्यालय तक माहौल बदल गया. हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को तुरंत चुनाव रोकने के निर्देश देते हुए सौम्या गुर्जर की बर्खास्ती को निरस्त कर दिया. यानि कि फिर से डॉ. सौम्या गुर्जर के हाथ में शहरी सरकार की सत्ता की चाबी राज्य सरकार की ओर से बर्खास्ती रद्द करने के विड्रा आदेश के साथ आ सकती है.

जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर के उप चुनाव में अचानक ट्विस्ट आ गया. मतदान पूरा होने के बाद मतगणना चल रही थी कि अचानक राज्य निर्वाचन आयोग ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया (काउंटिंग और रिजल्ट) पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने के सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था जिसके बाद आयोग ने यह आदेश जारी किया. सुबह करीब 11:30 बजे डाक्टर सौम्या गुर्जर के मामले में जब कोर्ट की टिप्पणी आई, उसके एक घंटे बाद तक वोटिंग हुई. क्योंकि रिटर्निंग अधिकारी के पास कोई आदेश नहीं मिला था.12:30 बजे सभी 146 पार्षदों ने अपने-अपने वोट डाल दिए और रिटर्निंग अधिकारी ने डेढ़ बजे से काउंटिंग भी शुरू कर दी, लेकिन आधे घंटे बाद ही सबकुछ थम गया.

मतपेटियां खुलने से पहले हुई सील

राज्य निर्वाचन आयोग ने काउंटिंग के समय ही करीब दोपहर 2.10 बजे एक आदेश जारी करते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को रूकवा दिया और काउंटिंग रोककर मतपेटियों को सील कर दिया. और कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रेजरी में भेज दिया गया. कोर्ट के इस आदेश के बाद जिस तरह पूरा माहौल बदला उसके साथ ही आसमान में भी मौसम बदल गया. घने बादल छा गए और तेज बरसात के साथ आंधी चलने लग गई. मौसम के इस बदलाव के बाद पूरा नगर निगम मुख्यालय में सन्नाटा पसर गया और सभी कार्यकर्ता, पार्षद और भाजपा-कांग्रेस के पदाधिकारी चुनाव स्थल से वापस घर और मुख्यालय पर लौट गए.

रिटर्निंग अधिकारी शंकरलाल सैनी ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से मतगणना प्रकिया को रोकने के आदेश मिले हैं. उसके बाद बीच में ही प्रकिया को रोककर सभी वैलेट पेपर को सील बंद लिफाफे में रखकर बक्से में ट्रेजरी में रखवाया गया है. इस पूरे घटनाक्रम के बाद सौम्या गुर्जर एक बार फिर कल मेयर की कुर्सी पर बैठ सकती है. .हालांकि इससे पहले सौम्या गुर्जर एक बार भाजपा मुख्यालय जाएगी और संगठन के पदाधिकारियों से चर्चा करेगी. वहीं इस मामले में वे लीगल राय भी ले सकती है, कि पद को दोबारा ग्रहण किया जाए या नहीं. 

कोर्ट में क्या हुआ

दरअसल वोटिंग शुरू होने के साथ ही नगर डॉक्टर सौम्या गुर्जर के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह बर्खास्तगी के आर्डर को विड्रो करें और आधे घंटे में कोर्ट को सूचित करें. ऐसा नहीं करने पर कोर्ट ने रिट को अलाऊ करने के लिए कहा. सरकार की ओर से आदेश नहीं आने पर जस्टिस ने करीब एक घंटे बाद ही अपने स्तर पर सरकार के 27 सितम्बर वाले बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए चुनाव आयोग को चुनाव प्रक्रिया रोकने के लिए कहा. साथ ही सरकार को निर्देश दिए कि वह दोबारा न्यायिक जांच के मामले में सौम्या गुर्जर की सुनवाई करें.

उधर वोटिंग के समय कांग्रेस की एक और भाजपा की दो बसों में बैठकर पार्षद नगर निगम मुख्यालय पहुंचे. यहां कांग्रेस ने 4-4 के ग्रुप में पार्षदों को वोट देने के लिए भेजा. वहीं भाजपा ने अपने पार्षदों को 2-2 के ग्रुप में वोटिंग के लिए पोलिंग स्टेशन पर भिजवाया. इस दौरान भाजपा के करीब 40 से ज्यादा कार्यकर्ताओं ने एक सुरक्षा घेरा बनाया, जिसके बीच में से पार्षदों को बस से निकालकर पोलिंग बूथ तक पहुंचाया. क्रॉस वोटिंग के डर से करीब एक हफ्ते से भाजपा ने पार्षदों की बाड़ेबंदी चौमूं पैलेस होटल में कर रखी है.....वहीं कांग्रेस ने मानसरोवर के निजी रिसोर्ट में बाडाबंदी कर रखी थी. इस दौरान विधायक गंगा देवी, कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज सहित कई नेता मौजूद रहे...मतदान के दौरान भाजपा से विधायक कालीचरण सराफ, नरपत सिंह राजवी, अशोक लाहोटी, सांसद रामचरण बोहरा, शहर अध्यक्ष राघव शर्मा सहित कई नेता मौके पर ही मौजूद रहे.

ये रहा था पूरा घटनाक्रम

4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुई. कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हो गई. कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया.

5 जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक को सौंप दी.

6 जून को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी.

7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया.

सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया.

जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की.

1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी.

11 अगस्त 2022 को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया.

22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है. इन पार्षदों को भी सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है.

इसके बाद सरकार ने 23 सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामल की जल्द सुनवाई की मांग की.

23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.

27 सितम्बर को सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए सौम्या गुर्जर को मेयर पद और पार्षद की सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था.

बहरहाल, नगर निगम ग्रेटर में शहरी सरकार की सत्ता की चाबी किस्तो में मिल रही हैं. उधर गलियारों में चर्चा ये भी है की डॉक्टर सौम्या गुर्जर के लिए 10 तारीख लकी है. क्योकि 10 नवंबर 2020 को ही डॉक्टर सौम्या गुर्जर ने 97 वोट लेकर मेयर की शपथ ली थी और आज 10 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट के आदेशों के बाद बीच मतदान प्रकिया पर रोक लगाते हुए फिर से शहरी सरकार का मौका मिला है.

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