Annapurna Food Scheme: निशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के 4500 करोड के टैंडर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सहकारिता प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने 29 मई को राजफैड वित्तीय सलाहकार उषस्पति त्रिपाठी को रजिस्ट्रार के सहयोग के लिए अन्नपूर्णा योजना में लगाया था. लेकिन मंत्री आंजना ने जी मीडिया की खबर का जिक्र करते हुए जवाब तलब किया.
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Jaipur Annapurna Food Scheme Controversy: अन्नपूर्णा फूड योजना विवाद के बीच जी राजस्थान न्यूज की खबर का जबरदस्त असर हुआ है. सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने प्रमुख सचिव श्रेया गुहा और रजिस्ट्रार मेघराज रत्नू से जवाब मांगा है. आखिर मंत्री आंजना ने नोटशीट में अफसरों की कार्यशैली पर क्या-क्या सवाल उठाए?
निशुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना के 4500 करोड के टैंडर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. सहकारिता प्रमुख सचिव श्रेया गुहा ने 29 मई को राजफैड वित्तीय सलाहकार उषस्पति त्रिपाठी को रजिस्ट्रार के सहयोग के लिए अन्नपूर्णा योजना में लगाया था. लेकिन मंत्री आंजना ने जी मीडिया की खबर का जिक्र करते हुए जवाब तलब किया.
मंत्री ने सवाल किए कि किन नियमों के तहत त्रिपाठी विभाग में कार्यरत एफए के इतर विभाग के कार्यों में टिपण्णी या उनका पर्यवेक्षण करेंगे? यदि किसी तरह का विवाद है तो एक महीने में पत्रावली मेरे संज्ञान में क्यों नहीं लाई है? इसके अलावा CONFLICT OF INTEREST होने की अवस्था में अवस्था में लगाया गया है.यह स्पष्ट करे कि CONFLICT OF INTEREST क्या है?CONFLICT OF INTEREST हो चुका है या होने वाला है? विभाग में ये सवाल इसलिए उठ रहे है, क्योंकि वित्तीय सलाहकार वित्त विभाग के अधीन होता है.
सहकारिता मंत्री आंजना ने टेंडर दस्तावेजों को लेकर सवाल उठाए है.उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल को अन्नपूर्णा योजना के लिए कॉनफैड एमडी ने तैयार किए टेंडर दस्तावेज प्रमुख सचिव और रजिस्ट्रार को भेजे गए थे.लेकिन 1 महीने 3 दिन बाद भी दस्तावेज राज्य सरकार को प्रेषित नहीं किया गया.राज्य सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना में देरी के लिए कौन उत्तरदायी है? निविदा की कार्यवाही से मुझे अवगत करवाए.
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RTPP ACT की धारा 4 में लोक उपापन के मूल सिद्धांत जैसे पारदर्शिता , दक्षता वर्णित है,जिसकी पालना करना उपापन समिति का दायित्व है.धारा-5-7 के अनुसार शर्तों और अहर्ताओं को उपापन समिति ही निर्धारित कर सकती है.उच्च अधिकारी केवल उपापित की जाने वाली विषय वस्तु का निर्धारण कर सकते है.उपापन समिति के कार्यों में आरटीपीपी की 42 धारा में कोई भी बाहरी व्यक्ति हस्तक्षेप नही कर सकते है.ऐसे में क्या प्रमुख सचिव श्रेया गुहा,रजिस्ट्रार मेघराज सिंह रत्नू का सीधे तौर पर हस्तक्षेप है?
नोटशीट में फूड पैकेट के टैंडर के लिए रजिस्ट्रार ने जिक्र किया है कि जिला स्तर के अनुभव वाली फर्म को शामिल किया जाये.जबकि कॉनफैड ने आपत्ति जताई है कि 90% से अधिक राशन की दुकानें तो ग्रामीण या तहसील क्षेत्रों में है.जब फर्म को ग्राम स्तर या तहसील स्तर पर अनुभव ही नहीं होगा तो कैसे जिला स्तर वाली फर्म फूड पैकेट बांट पाएगी? पूरे मामले के बाद रजिस्ट्रार ने कॉनफैड की कार्यशैली को संदेह के घेरे में मानी है.ऐसे में विभाग को क्यों ना दूसरी उपापन समिति का गठन करना चाहिए?