Amalaki Ekadashi 2023: फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी के दिन व्रत-उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है. आमलकी एकादशी के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए, आइये जानते है. इसके अलावा आंवला पेड़ की उत्पत्ति कैसे हुई इसे लेकर जानेंगे दिलचस्प कहानी...
- आमलकी या रंगभरी एकादशी के दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत करें. अन्यथा शुभ फल की कामना करना बेमानी होगा.
- इस दिन लहसुन, प्याज, मसूर की दाल, गाजर, शलजम, गोभी, पालक, मांस आदि चीजों का सेवन करने से बचें. इस दिन संध्याकाल में फलों का सेवन करें. घर के लोगों को सात्विक भोजन करना चाहिए.
- इस दिन ना ही बाल कटवाए और ना ही नाखून काटें.
- एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष से पत्ते ना तोड़े. स्वयं गिरा हुआ पत्ते ही उपयोग में लाएं.
- संभव हो तो इस दिन लकड़ी का दातुन न करें,नीबूं,जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा कर कंठ की शुद्धिकरण करें. अगर ये संभव नहीं हो तो पानी से अच्छे तरह से कुल्ला करें.
- दशमी तिथि की रात तथा आमलकी एकादशी के उपवास वाले दिन चावल ग्रहण न करें.
- आमलकी एकादशी के दिन क्रोध, गुस्सा आदि पर कंट्रोल करे. मधुर वचनों का प्रयोग करें इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
- इस दिन हो सके तो कम बोलें. हरिनाम का जाप अधिक से अधिक करें. भगवान और भक्ति पर ध्यान लगायें.
- इस दिन मोक्ष की कामना से व्रत रखें तथा किसी का भी अहित ना करें और ना ही सोचें. भगवान विष्णु भक्तों की भावना समझते है और उसी के आधार पर उनको आशीर्वाद देते हैं.
- एकादशी के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है.
- भगवान विष्णु को पीला रंग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन पीले वस्त्र को धारण कर पूजा करना चाहिए.
- आमलकी एकादशी के दिन गंगा स्नान करना शुभ माना गया है. इससे जीवन में आने वाली सारी बाधाएं नष्ट हो जाती है.
- मान्यता है कि आमलकी एकादशी का व्रत करने से संतान सुख, धन-लक्ष्मी का वैभव मिलता है.
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ब्रह्मा जी के आंसू और आंवला की उत्पत्ति
विष्णुधर्म पुराण के अनुसार, जब पूरी धरती पानी में डूबी हुई थी और कहीं भी कोई जीवन नहीं था. तब ब्रह्मा जी के मन में सृष्टि को पुन: दोबारा शुरू करने का विचार आया. वह कमल के फूल पर बैठकर भगवान विष्णु के ध्यान में लीन थे. जब भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए तो उनकी आंखों से आंसू की धारा निकल पड़ी. जब ये आंसू जमीन पर गिरे तो आमलकी यानी आंवला का पेड़ अंकुरित हो गया, जिससे चमत्कारी औषधीय फल की प्राप्ति हुई. पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में भी इसका जिक्र मिलता है.